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प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रस्तावित 621 आवासों के निर्माण पर हाई कोर्ट की रोक

छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व(एटीआर) क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रस्तावित 621 आवासों के निर्माण पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 13 Jul 2018 02:59 PM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 02:59 PM (IST)
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रस्तावित 621 आवासों के निर्माण पर हाई कोर्ट की रोक
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रस्तावित 621 आवासों के निर्माण पर हाई कोर्ट की रोक

नईदुनिया [बिलासपुर]। छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व(एटीआर) क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रस्तावित 621 आवासों के निर्माण पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने इसे शासकीय धन का दुरपयोग व वन्यजीवों के वास स्थल में बड़ा व्यवधान माना। मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी व जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की दो सदस्यीय पीठ ने रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, 2020 तक टाइगर रिजर्व क्षेत्र के सभी गांवों का विस्थापन करना है, ऐसे में आवास बनवाए जाने का कोई मतलब नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी।

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नितिन की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि अचानकमार छत्तीसगढ़ का प्रमुख टाइगर रिजर्व है। पिछली गणना में एटीआर में 27 बाघ होने का दावा किया गया था। इसके कोर क्षेत्र के 19 गांवों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 621 मकान निर्माण की मंजूरी से बाघों के वास स्थल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। एकएक मकान की निर्माण लागत एक लाख 20 हजार रुपये है। योजना के तहत कुल सात करोड़ 45 लाख रुपये खर्च होने हैं। इसका निर्माण प्रारंभ कर दिया गया है। मकान की उम्र 30 वर्ष रहेगी। दूसरी ओर टाइगर रिजर्व के अंदर बसे 19 गांवों को वर्ष 2020 तक विस्थापित किया जाना है।

विस्थापन के समय प्रत्येक परिवार को 10 लाख रुपये दिए जाने हैं। ग्रामीण विस्थापन के लिए सहमत हैं। इसके लिए योजना भी तैयार है। रिजर्व फारेस्ट के 25 में से छह गांव के 249 परिवारों का विस्थापन पहले हो चुका है। शेष 19 गांवों का तीन चरण में विस्थापन किया जाना है। इससे 3394 परिवारों को जंगल से बाहर बसाया जाना है। ऐसे में करोड़ों की लागत से इन गांवों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने का क्या औचित्य है। 


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