विशेष सत्र के लिए सरकार पर बढ़ा दबाव
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। गैंगरेप को लेकर दिल्ली की सड़कों पर छिड़े आंदोलन के बीच सरकार पर संसद के विशेष सत्र के लिए दबाव बढ़ना शुरू हो गया है। भाजपा के बाद अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी महिला उत्पीड़न और आरक्षण में संशोधन के लिए इसकी मांग कर दी है। वहीं, सड़क पर बाबा रामदेव, अरविंद केजरीवाल और पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह भ
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। गैंगरेप को लेकर दिल्ली की सड़कों पर छिड़े आंदोलन के बीच सरकार पर संसद के विशेष सत्र के लिए दबाव बढ़ना शुरू हो गया है। भाजपा के बाद अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी महिला उत्पीड़न और आरक्षण में संशोधन के लिए इसकी मांग कर दी है। वहीं, सड़क पर बाबा रामदेव, अरविंद केजरीवाल और पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह भी इसके समर्थन में खड़े दिखे।
शनिवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज की ओर से विशेष सत्र की मांग को केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने खारिज कर दिया था। इसके बाद रविवार को मायावती ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर विशेष सत्र की मांग की है। हालांकि, विशेष सत्र के लिए उनकी पहली प्राथमिकता प्रोन्नति में आरक्षण है। उन्होंने कांग्रेस और भाजपा को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि उनकी मिलीभगत से आरक्षण संशोधन विधेयक पारित नहीं हो पाया था। अब विशेष सत्र बुलाकर इसे किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी विशेष सत्र में महिला उत्पीड़न पर भी विचार होना चाहिए। रविवार को संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी से आंदोलनकारियों की मुलाकात के बाद भड़की जनता का हवाला देते हुए भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार भरोसा खो चुकी है। यह विश्वास तभी पैदा होगा जब सरकार गंभीर दिखेगी। लिहाजा, संसद सत्र बुलाकर ही इसका समाधान ढूंढ़ा जा सकता है।
जंतर मंतर और हैदराबाद हाउस में प्रदर्शनकारियों के साथ जुटे बाबा रामदेव, पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह और केजरीवाल ने भी सरकार को कठघरे में खड़ा किया। रामदेव ने कहा कि इस घटना के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाना चाहिए और दोषियों को फांसी दी जानी चाहिए। वहीं, केजरीवाल ने कहा कि सरकार का गरूर अब असहनीय हो गया है। पूरी दिल्ली में धारा 144 लगाकर सरकार जनता के आक्रोश को दबाना चाहती है। उन्होंने भाजपा की विशेष सत्र की मांग का समर्थन किया।
सुषमा ने शीला को दिलाई कर्तव्य की याद
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गैंगरेप को लेकर दिल्ली मे भड़के आंदोलन के बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज ने वर्तमान मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भी नसीहत दी है। एक बयान जारी कर सुषमा ने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कहा था कि वह रात भर जागेंगी, ताकि दिल्ली वाले चैन से सो सकें। उन्होंने आंदोलनकारियों से भी अपील की कि थोड़ा समय दें और हिंसा से बचें।
दिल्ली के माहौल से चिंतित शीला दीक्षित ने जहां कैबिनेट की बैठक बुलाई, वहीं विशेष सत्र की मांग कर रहीं सुषमा ने परोक्ष रूप से यह संकेत दिया कि शीला अपना पूरा कर्तव्य नहीं निभा रही हैं। अपने बयान में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद वह रात में दिल्ली और पुलिस स्टेशनों का दौरा करती थीं। उसके बाद समाचारपत्रों की हेडलाइंस बदल गई थी। दिल्ली की मुख्यमंत्री को यही करना चाहिए।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए सुषमा ने कहा कि वह उनके क्रोध को समझ सकती हैं। लेकिन थोड़ा समय दें ताकि स्थिति ठीक की जा सके। उन्होंने प्रधानमंत्री को विशेष सत्र बुलाने के लिए पत्र लिखा है। हिंसा से बचने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा यह देश हमारा है और हमें ही इसे ठीक करना है। लिहाजा वक्त दें।
अमेरिकी मीडिया में भी उछला दिल्ली का गैंग रेप
दिल्ली में गैंग रेप की घटना के बाद भारत में हुए व्यापक विरोध प्रदर्शन ने अमेरिकी मीडिया का ध्यान खींचा है। मीडिया ने इस घटना के लिए खराब कानून-व्यवस्था और ढीली न्याय पद्धति को दोषी करार दिया है।
अमेरिकी मीडिया इस समय वहां टैक्स में बढ़ोतरी से पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चर्चा कर रहा है। उसके द्वारा हाल ही में कनेक्टिकट के स्कूल में हुई गोलीबारी की घटना के बाद शस्त्र नियंत्रण कानून की प्रासंगिकता को लेकर भी बहस की जा रही है। इसी दौरान देश के अखबारों और समाचार चैनलों ने दिल्ली में युवती के सामूहिक दुष्कर्म के बाद लोगों में भड़के गुस्से को गंभीरता से लिया है। नेशनल पब्लिक रेडियो ने कहा, 'यह अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन है। लोग न्याय चाहते हैं। वे चाहते हैं कि देश में महिलाएं अपने को सुरक्षित महसूस कर सकें।'
न्यूयॉर्क टाइम्स की हेडलाइन थी, 'क्लैसेज ब्रेक आउट इन इंडिया एट ए प्रोटेस्ट ओवर ए रेप केस।' अखबार ने लिखा है कि हजारों प्रदर्शनकारी दिल्ली में जमा हुए हैं और वे न्याय की मांग कर रहे हैं। वे बेहतर व्यवस्था की भी मांग कर रहे हैं। अखबार का कहना है, 'भारत का अपराध संबंधी न्याय तंत्र अयोग्यता, भ्रष्टाचार व राजनीतिक हस्तक्षेप का शिकार है। ऐसा लगता है कि यह प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने में सक्षम नहीं है।' सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया, 'पुलिस का कहना है कि दिल्ली में चलती बस में एक युवती से सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उसे बहुत बुरी तरह से पीटा गया। युवती अस्पताल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि पिछले 40 वर्षो में दुष्कर्म की घटनाओं में करीब 875 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 1971 में दुष्कर्म की 2487 घटनाएं हुई थीं। 2011 में ऐसी 24206 घटनाएं हुई।'
गैंगरेप मामले की न्यायिक जांच करेंगे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा दिल्ली में चलती बस में हुए गैंगरेप के मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन करेंगे। आयोग के अध्यक्ष वर्मा इस मामले में पुलिस की कोताही और भविष्य में दिल्ली सहित पूरे देश में ऐसी घटनाओं को रोकने व महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की रूपरेखा तैयार करेंगे।
विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) धर्मेद्र कुमार ने बताया कि सरकार ने दुष्कर्म से जुड़े कानून में सजा बढ़ाने की संभावनाओं की पड़ताल करने के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन भी किया है। न्यायमूर्ति ललिता सेठ और पूर्व महाधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम के अलावा पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा भी इस समिति में बतौर सदस्य शामिल हैं। उन्होंने बताया कि हालिया मामले में जल्द न्याय के लिए हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डी. कृष्णन विशेष सरकारी वकील होंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस मामले की सुनवाई कम से कम समय पूरी की जाएगी। साथ ही बताया कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश इस पूरे मामले की जांच करेंगे कि यह घटना हुई ही क्यों। घटना को रोका क्यों नहीं जा सका और दिल्ली सहित पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए। धर्मेद्र कुमार ने कहा कि लोगों की सभी मांगें पूरी की जा चुकी हैं। लिहाजा, लोग उकसावे में न आएं और शांत रहें। अगर लोग प्रदर्शन करना चाहते हैं, तो शांतिपूर्ण ढंग से करें।
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