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मोदी कैबिनेट से बाहर हुईं 75 वर्ष पार नजमा, मुख्तार अब्बास नकवी का बढ़ा कद

केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला और जीएम सिद्धेश्वर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद मुख्तार अब्बास नकवी को अल्पसंख्यक मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा जाएगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 12 Jul 2016 08:42 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jul 2016 10:16 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कैबिनेट फेरबदल में बड़े बदलाव के साथ ही उसी दिन पांच मंत्रियों का इस्तीफा लेने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट से अब अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नजमा हेपतुल्ला और कर्नाटक से आने वाले जी सिद्धेश्वरा को भी जाना पड़ा। उन्होंने मंगलवार को अपना इस्तीफा दे दिया है। दो अन्य छोटे मंत्रियों के मंत्रालय भी बदल दिए गए हैं। संकेत साफ है कि मोदी जहां प्रशासनिक तौर पर कोई भी सुस्ती बर्दाश्त नही करेंगे वहीं कुछ तय मापदंड से भी लंबे वक्त तक समझौता नहीं किया जाएगा।

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नजमा 75 की आयु भी पार कर चुकी थीं और प्रदर्शन के स्तर पर भी संतोषजनक नहीं थीं। अब मुख्तार अब्बास नकवी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री होंगे। उन्हें मंत्रालय में बैठकर नहीं बल्कि पूरे देश में घूम घूम कर काम को बढ़ाने का पुरस्कार मिला है। एक अन्य मंत्री बाबुल सुप्रियो का महकमा भी बदल दिया गया है। इन दो इस्तीफों के साथ ही मोदी मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की संख्या 76 हो गई है जो संप्रग काल के मुकाबले कम है।

यूं तो सिद्धेश्वरा के इस्तीफे की चर्चा फेरबदल के साथ ही चल रही थी लेकिन उस वक्त उन्होंने यह कहकर राहत ले ली थी कि उनका जन्मदिन था। कुछ इसी लिहाज से वह दिल्ली से बाहर भी थे। नजमा भी विदेश में थीं। दूसरे दिन खुद प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर चले गए थे। मंगलवार को भारत वापसी के बाद दोनों मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया गया।

ध्यान रहे कि मोदी सरकार बनने के साथ ही 75 की आयु पार कर चुके लोगों को मंत्रिमंडल व सक्रिय राजनीति से अलग रहने का संदेश दे दिया गया था। नजमा पिछले साल ही 75 पूरा कर चुकी हैं। वहीं हर साल तीन से चार बार लंबी छुट्टी पर जाना जैसे कई मामले भी थे जिसके कारण मंत्रालय थोड़ा सुस्त नजर आ रहा था।

हाल में भी वह लंबी छुट्टी पर थीं। समीकरण के लिहाज से भी देखा जाए तो नजमा के जाने के बावजूद सरकार में दो अल्पसंख्यक मंत्री हैं। मुख्तार के साथ साथ अब एम जे अकबर भी मंत्रिपरिषद के सदस्य हो गए हैं। यह संकेत भी बड़ा है।

दरअसल फेरबदल में नजमा के बचे रहने के बाद यह चर्चा भी चली थी कि सरकार 75 के मामले को भूलने लगी है। अब यह संदेश दे दिया गया है कि देर सबेर हर मापदंड पर सरकार भी खरी उतरेगी और संगठन भी। दरअसल फेरबदल के पहले ही प्रदर्शन और तय आयुसीमा के आधार पर भी नजर रखी जा रही थी।

प्रदर्शन के आधार पर बदलाव और नियुक्ति उसी दिन हो गई थी। वहीं पश्चिम बंगाल से आने वाले बाबुल सुप्रियो को शहरी विकास से हटाकर भारी उद्योग में शिवसेना के अनंत गीते के साथ डाल दिया गया है।

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