Move to Jagran APP

दूसरी हरितक्रांति को परवान चढ़ाने की तैयारी, पूर्वी राज्यों को जैविक खेती वाला क्षेत्र किया जा सकता है घोषित

कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पहली हरितक्रांति वाले राज्य पंजाब हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फसलों की उत्पादकता की वृद्धि दर स्थिर हो गई है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 01 Jan 2020 08:04 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2020 08:10 PM (IST)
दूसरी हरितक्रांति को परवान चढ़ाने की तैयारी, पूर्वी राज्यों को जैविक खेती वाला क्षेत्र किया जा सकता है घोषित
दूसरी हरितक्रांति को परवान चढ़ाने की तैयारी, पूर्वी राज्यों को जैविक खेती वाला क्षेत्र किया जा सकता है घोषित

नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। किसानों की आमदनी को दोगुना करने और खाद्यान्न सुरक्षाा को मजबूत बनाने की दिशा में सरकार दूसरी हरितक्रांति को परवान चढ़ाने की तैयारी में है। देश के पूर्वी राज्यों में इसकी रफ्तार को बढ़ाने का प्रावधान आगामी वित्त वर्ष के आम बजट में किया जा सकता है। प्राकृतिक संसाधनों वाले पूर्वी क्षेत्र के इन राज्यों से कृषि क्षेत्र को बड़ी उम्मीदें हैं। इन पूर्वी राज्यों को जैविक खेती वाला क्षेत्र घोषित किया जा सकता है। जबकि आदिवासी क्षेत्रों को 'एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट जोन' में तब्दील किया जा सकता है।

loksabha election banner

दूसरी हरितक्रांति वैसे तो पुरानी योजना है, लेकिन हाल के सालों में इस पर बहुत फोकस नहीं किया गया। सरकार अब इसे रफ्तार देने की तैयारी में है। वैसे राजनीतिक तौर पर दो प्रमुख पूर्वी राज्य बिहार और पश्चिम बंगाल में आने वाले सालों में विधानसभा चुनाव भी हैं, जिसके मद्देनजर यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से भी काफी अहम हो गया है।

पहली हरितक्रांति वाले राज्य

कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पहली हरितक्रांति वाले राज्य पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फसलों की उत्पादकता की वृद्धि दर स्थिर हो गई है। गेहूं व चावल की लगातार खेती से इन राज्यों में प्राकृतिक संसाधन मिट्टी और भूजल की स्थिति बहुत खराब हो गई है। इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए यहां फसलों के विविधीकरण पर जोर दिया जा रहा है। हरियाणा ने इस दिशा में संतोषजनक पहल की है, जिसका उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने 'मन की बात' में किया था।

दूसरी हरितक्रांति वाले राज्यों में पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और असम शामिल हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश को छोड़कर बाकी राज्यों में भूजल का बड़ा भंडार है। नदियां होने से बाढ़ से प्रभावित रहने वाला क्षेत्र है, जहां मत्स्य पालन की पूरी संभावना है। सूत्रों के मुताबिक आम बजट में सरकार इन राज्यों को रासायनिक व कीटनाशक मुक्त कृषि उत्पाद वाला क्षेत्र घोषित कर सकती है। जैविक खेती में जहां लागत कम हो जाती है, वहीं इसकी उपज के मूल्य बाजार में अधिक मिलते हैं। यहां के किसानों को रासायनिक खेती से सतत विकास वाली कृषि की ओर शिफ्ट करने की योजना है, जो पर्यावरण के अनुकूल भी है।

सघन खेती को प्रोत्साहित कर बढ़ाई जा सकती है उत्पादकता

धान की खेती के बाद देश में 1.16 करोड़ हेक्टेयर खेत परती छोड़ दिया जाता है, जिसका 82 फीसद हिस्सा इन चिन्हित पूर्वी राज्यों का है। दूसरी हरितक्रांति वाले राज्यों में फसलों की सघन खेती को प्रोत्साहित कर उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। यह क्षेत्र खाद्यान्न सुरक्षा की दृष्टि से अगुवा बन सकता है। यहां के छोटी जोत वाले किसानों को भी जैविक खेती से अच्छा लाभ मिल सकता है। इन राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में आमतौर पर जैविक खेती होती है, जिसे एग्रीकल्चरल एक्सपोर्ट जोन के रूप में तब्दील किये जाने की संभावना है।

खाद्यान्न सुरक्षा के मद्देनजर सरकार का फोकस अब पूर्वी राज्यों पर होने वाला है। हालांकि इसी उद्देश्य से वर्ष 2011-12 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 400 करोड़ की लागत से पूर्वी क्षेत्र के राज्यों में दूसरी हरितक्रांति का बिगुल फूंका गया था। इसका नतीजा उत्साहजनक रहा। पहले ही साल में इन राज्यों में 70 लाख टन धान का अतिरिक्त उत्पादन हुआ। इसके चलते अगले साल इस मद में 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। बाद के सालों में भी योजना जैसे तैसे चल रही थी, जिसे अब विशेष तरजीह दी जा सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.