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राफेल की सीबीआइ जांच की मांग पर अडे़ भूषण, शौरी और सिन्हा

राफेल की जांच की याचिका ठुकराए जाने के अगले ही दिन प्रशांत भूषण ने कहा कि कोर्ट ने सिर्फ सरकार द्वारा दिए गए एक बंद लिफाफे के दस्तावेजों के आधार पर याचिका खारिज कर दी।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 07:52 AM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 07:52 AM (IST)
राफेल की सीबीआइ जांच की मांग पर अडे़ भूषण, शौरी और सिन्हा
राफेल की सीबीआइ जांच की मांग पर अडे़ भूषण, शौरी और सिन्हा

ई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राफेल विमान खरीद मामले की जांच के लिए दाखिल पुनर्विचार याचिका के सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो जाने के बाद भी याचिकाकर्ता सीबीआइ की जांच की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। इसके लिए अरूण शौरी, प्रशांत भूषण और यशवंत सिन्हा ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर सीबीआइ से एफआइआर दर्ज कर इस मामले की जांच शुरू करने और सरकार को इसकी अनुमति देने की मांग की। इसके लिए उन्होंने फैसला सुनाने वाले एक न्यायाधीश जस्टिस केएम जोसेफ के अलग से दिये गए फैसले का हवाला दिया।

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राफेल की जांच की याचिका ठुकराए जाने के अगले ही दिन प्रशांत भूषण ने कहा कि कोर्ट ने सिर्फ सरकार द्वारा दिए गए एक बंद लिफाफे के दस्तावेजों के आधार पर याचिका खारिज कर दी और हमें वह सील बंद लिफाफा नहीं दिया गया। उन्होंने एक अखबार में छपी खबर का हवाला देते हुए कहा कि इससे साफ हो गया था कि रक्षा मंत्रालय के साथ ही पीएमओ भी डील कर रहा था और अजीत डोभाल सीधे तौर पर उसमें संलिप्त थे।

हमारी याचिका में मांग थी कि पूरे मामले की सीबीआई की जांच कराई जाए, पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जांच करने में सक्षम ही नहीं। जबकि हमने कभी यह कहा ही नहीं था कि सुप्रीम कोर्ट इसकी जांच करे। उन्होंने कहा कि दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने हमारी प्रेयर को समझा ही नहीं।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद राफेल खरीद में आरोपों की जांच के लिए सीबीआइ बाध्य है और उसे इसके लिए सरकार से अनुमति मांगनी चाहिए। यदि सीबीआइ ऐसा नहीं करती है, तो उसे इसके कारण भी बताने होंगे।

ध्यान देने की बात है कि अरुण शौरी, प्रशांत भूषण और यशवंत सिन्हा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में ही साफ कर दिया था कि राफेल विमान सौदे पर संदेह करने की कोई गुंजाइश नहीं है। इसके बाद इन तीनों ने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, जिसे अदालत ने फिर खारिज कर दिया।


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