संघ के न्योते पर प्रणब मुखर्जी ने तोड़ी चुप्पी, बोले- नागपुर में ही दूंगा जवाब
प्रणब मुखर्जी ने कहा- 'जो कुछ भी मुझे कहना है, मैं नागपुर में कहूंगा। मुझे कई पत्र आए और कई लोगों ने फोन किया, लेकिन मैंने किसी का जवाब नहीं दिया है।'
By Manish NegiEdited By: Published: Sat, 02 Jun 2018 07:18 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jun 2018 09:40 PM (IST)
कोलकाता, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के नागपुर में होने वाले कार्यक्रम में जाने को लेकर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आखिरकार चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि वह नागपुर में ही इस पर सवाल उठाने वालों को जवाब देंगे। एक साक्षात्कार में प्रणब मुखर्जी ने कहा- 'जो कुछ भी मुझे कहना है, मैं नागपुर में कहूंगा। मुझे कई पत्र आए और कई लोगों ने फोन किया, लेकिन मैंने किसी का जवाब नहीं दिया है।'
गौरतलब है कि जयराम रमेश और सीके जाफर शरीफ जैसे कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर कार्यक्रम में जाने के फैसले पर फिर से विचार करने को कहा है।
जयराम रमेश ने बताया कि उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति को लिखा कि उन जैसे विद्वान और धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति को आरएसएस के साथ किसी तरह की नजदीकी नहीं दिखानी चाहिए। उनके आरएसएस के कार्यक्रम में जाने का देश के धर्मनिरपेक्ष माहौल पर बहुत गलत असर पड़ेगा। इस मुद्दे को लेकर जयराम रमेश ने कहा था कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि प्रणब मुखर्जी जैसे महान नेता, जिन्होंने हमारा मार्गदर्शन किया, अब आरएसएस के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनकर जाएंगे।
वहीं पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि अब जब उन्होंने न्योते को स्वीकार कर लिया है तो इस पर बहस का कोई मतलब नहीं है कि उन्होंने क्यों स्वीकार किया। उससे ज्यादा अहम बात यह कहनी है कि सर आपने न्योते को स्वीकार किया है तो वहां जाइए और उन्हें बताइए कि उनकी विचारधारा में क्या खामियां हैं। दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मुखर्जी का आरएसएस का आमंत्रण स्वीकार करना एक अच्छी पहल है। राजनीतिक छुआछूत अच्छी बात नहीं है।
प्रणब मुखर्जी नागपुर में सात जून को आरएसएस के उन स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे, जिन्होंने संघ के शैक्षिक पाठ्यक्रम का तृतीय शिक्षा वर्ग पास किया है। इस ट्रेनिंग में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर कार्यकर्ता पूर्णकालिक प्रचारक बनते हैं। सूत्रों के मुताबिक आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मुखर्जी को तब भी न्योता दिया था, जब वह राष्ट्रपति थे। हालांकि मुखर्जी ने तब यह कहते हुए इन्कार कर दिया था कि संवैधानिक पद पर रहते हुए वह इस तरह के आयोजन में शामिल नहीं हो सकते हैं।
गौरतलब है कि जयराम रमेश और सीके जाफर शरीफ जैसे कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर कार्यक्रम में जाने के फैसले पर फिर से विचार करने को कहा है।
जयराम रमेश ने बताया कि उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति को लिखा कि उन जैसे विद्वान और धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति को आरएसएस के साथ किसी तरह की नजदीकी नहीं दिखानी चाहिए। उनके आरएसएस के कार्यक्रम में जाने का देश के धर्मनिरपेक्ष माहौल पर बहुत गलत असर पड़ेगा। इस मुद्दे को लेकर जयराम रमेश ने कहा था कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि प्रणब मुखर्जी जैसे महान नेता, जिन्होंने हमारा मार्गदर्शन किया, अब आरएसएस के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनकर जाएंगे।
वहीं पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि अब जब उन्होंने न्योते को स्वीकार कर लिया है तो इस पर बहस का कोई मतलब नहीं है कि उन्होंने क्यों स्वीकार किया। उससे ज्यादा अहम बात यह कहनी है कि सर आपने न्योते को स्वीकार किया है तो वहां जाइए और उन्हें बताइए कि उनकी विचारधारा में क्या खामियां हैं। दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मुखर्जी का आरएसएस का आमंत्रण स्वीकार करना एक अच्छी पहल है। राजनीतिक छुआछूत अच्छी बात नहीं है।
प्रणब मुखर्जी नागपुर में सात जून को आरएसएस के उन स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे, जिन्होंने संघ के शैक्षिक पाठ्यक्रम का तृतीय शिक्षा वर्ग पास किया है। इस ट्रेनिंग में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर कार्यकर्ता पूर्णकालिक प्रचारक बनते हैं। सूत्रों के मुताबिक आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मुखर्जी को तब भी न्योता दिया था, जब वह राष्ट्रपति थे। हालांकि मुखर्जी ने तब यह कहते हुए इन्कार कर दिया था कि संवैधानिक पद पर रहते हुए वह इस तरह के आयोजन में शामिल नहीं हो सकते हैं।
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