प्रल्हाद जोशी को समय से नहीं मिला हेलीकाप्टर, सड़क मार्ग से ही किया खदानों का दौरा
देश में बिजली संकट के बीच कोयला खदानों का दौरा करने दिल्ली से बिलासपुर पहुंचे प्रल्हाद जोशी ने कहा कि बारिश की वजह से कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ था। अब स्थिति पहले से बेहतर है। इसमें कोई राजनीति नहीं है।
बिलासपुर, जेएनएन। कोयला संकट के बीच छत्तीसगढ़ पहुंचे केंद्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी को हेलीकाप्टर नहीं मिल पाया। मिनट टू मिनट जारी कार्यक्रम के अनुसार उनके हेलीकाप्टर को कोरबा पहुंचाने की तैयारी थी। बाद में तय कार्यक्रम में आंशिक बदलाव किया गया। जिला प्रोटोकाल अधिकारी हरिशंकर पैकरा का कहना था कि केंद्रीय मंत्रालय से संदेश मंगलवार रात 11 बजे के बाद मिला था, जिस कारण हेलिकाप्टर उपलब्ध करना संभव नहीं हुआ। गौरतलब है कि हेलीकाप्टर उपलब्ध करवाना सरकार का विषय है। राज्य में एक ही हेलीकाप्टर है, जिसे लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बिलासपुर के रतनपुर मंदिर में दर्शन करने गए थे।
22 दिनों का बचा स्टाक
देश में बिजली संकट के बीच कोयला खदानों का दौरा करने के लिए प्रल्हाद जोशी दिल्ली से बिलासपुर पहुंचे थे। इस दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बारिश की वजह से कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ था। अब स्थिति पहले से बेहतर है। इसमें कोई राजनीति नहीं है। सब कुछ पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है। बिजली मंत्रालय की मांग को हम गंभीरता के साथ पूरा कर रहे हैं। लक्ष्य निर्धारित कर कोयला खदानों से उत्पादन कर रहे हैं। फिलहाल कोल इंडिया में हमारे पास करीब 22 दिनों का स्टाक है।
अब देश में नहीं होगा बिजली का संकट
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमने 20 लाख टन कोयले की आपूर्ति कर दी है। उन्होंने कहा कि बिजली मंत्रालय ने 19 लाख टन कोयले की आपूर्ति का लक्ष्य रखा था। 20 अक्टूबर तक इसे बढ़ाकर 20 लाख टन का लक्ष्य करना था, लेकिन बुधवार को ही हमने 20 लाख टन आपूर्ति का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। उन्होंने आश्वस्त किया कि कोयला उत्पादन और आपूर्ति संकट के कारण देश में अब बिजली संकट होने नहीं देंगे। लक्ष्य प्राप्ति के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं।
उत्पादन और आपूर्ति की समीक्षा
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की कोयला खदानों के दौरे पर पहुंचे मंत्री जोशी ने कहा कि खदानों के निरीक्षण के साथ उत्पादन और आपूर्ति की समीक्षा कर रहे हैं। खदानों में उत्पादन को लेकर अधिकारियों के साथ चर्चा कर रहे हैं। खदानों के दौरे और अधिकारियों के साथ सीधी बातचीत का अर्थ ही यही है कि कोयला उत्पादन और आपूर्ति के कारण उत्पन्न स्थिति से बिजली संकट नहीं हो, इस दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट दीपका गेवरा और कुसमुंडा खदान का निरीक्षण किया।