'समय पर पावर परियोजना पूरा नहीं करने वालों पर होगी कार्रवाई', RK Singh ने कहा- बिजली क्षमता बढ़ाना बड़ी चुनौती
सिंह ने कहा कि बिजली कंपनियां देश में बिजली की मांग बढ़ने की प्रतीक्षा कर रही हैं लेकिन यह सही नहीं है। माना जाता है कि बिजली मंत्री खास तौर पर सोलर व दूसरी रिनीवेबल सेक्टर की कंपनियों की तरफ इशारा कर रहे थे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार से तमाम मंजूरियां लेकर भी बिजली परियोजना नहीं लगाने वाली कंपनियों पर अब चाबुक चलेगा। देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरत को देखते हुए सरकार उन सारी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने की सोच रही है जो सभी तरह की मंजूरियां मिलने के बावजूद समय पर परियोजनाएं नहीं लगा पाती हैं। यह जानकारी बिजली मंत्री आर के सिंह ने यहां सीआईआई की तरफ से आयोजित सालाना समारोह में दी। उन्होंने कहा कि देश को बिजली क्षमता बढ़ाने की जरूरत है, जबकि दूसरी तरफ लोग निविदा हासिल करने के बावजूद कुछ नहीं कर रहे।
'...तो 5 वर्षों के लिए किया जा सकता है प्रतिबंधित'
बिजली मंत्री ने कहा कि, ''टेंडर में सफल कंपनियां निर्धारित समय सीमा में परियोजनाएं नहीं लगा पा रही हैं तो उन्हें अगले एक वर्ष तक दूसरे किसी टेंडर में हिस्सा नहीं लेने दिया जाएगा। अगर दूसरी बार भी ये कंपनियां बिजली परियोजना लगाने में समय सीमा का पालन नहीं कर पाती हैं तो उन्हें पांच वर्षों तक के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है।'' उन्होंने आगे कहा कि बिजली कंपनियां देश में बिजली की मांग बढ़ने की प्रतीक्षा कर रही हैं, लेकिन यह सही नहीं है। माना जाता है कि बिजली मंत्री खास तौर पर सोलर व दूसरी रिनीवेबल सेक्टर की कंपनियों की तरफ इशारा कर रहे थे।
बिजली की मांग में काफी तेज वृद्धि होने का अनुमान
उन्होंने कहा कि जब तक बैट्री स्टोरेज लगाने की लागत कम नहीं होती है तब तक देश को कोयला आधारित ताप बिजली घरों पर भी निर्भर रहना पड़ेगा। अभी देश में बिजली की दर 2.30 रुपये प्रति यूनिट है जबकि बैट्री स्टोरेज क्षमता की लागत 10 रुपये प्रति यूनिट की है। बिजली मंत्री ने देश में बिजली की मांग में काफी तेज वृद्धि होने का अनुमान लगाया। पिछले वर्ष बिजली की मांग में आठ फीसद की वृद्धि हुई थी जबकि अगले चालू वर्ष यह 10 फीसद होगी। अभी भारत में वार्षिक बिजली की खपत 1600 अरब यूनिट की है जो वर्ष 2030 तक 3500 अरब यूनिट की हो सकती है।
देश में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता अभी पर्याप्त नहीं
देश में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता अभी 4.12 लाख मेगावाट की है जो पर्याप्त नहीं है। ऐसे में भारत में लगातार बिजली की क्षमता बढ़ानी होगी। इसके अलावा अभी ताप बिजली क्षमता में 5200 मेगावाट क्षमता जोड़ने और रिनीवेबल सेक्टर से 82 हजार मेगावाट जोड़ने पर काम चल रहा है। 15 हजार मेगावाट की पनबिजली परियोजनाओं पर भी काम जारी है। 30 हजार मेगावाट और पनबिजली परियोजनाओं की जरूरत है। ये आंकड़े भारतीय बाजार में मौजूदा चुनौतियों और अवसरों के बारे में बताते हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2030 तक देश में स्थापित ऊर्जा उत्पादन क्षमता का 65 फीसदी रिनीवेबल सेक्टर का होगा। सीआईआई के इसी समारोह के एक सत्र में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि वैश्विक ऊर्जा मांग का सबसे बड़ा हिस्सा भारत से निकलेगा। वर्ष 2040 तक भारत में ऊर्जा की मांग में सालाना 3 फीसद की वृद्धि होने की उम्मीद है। जबकि वैश्विक मांग में सिर्फ एक फीसद की वृद्धि अनुमानित है।