Power Crisis: छह राज्यों पर बिजली उत्पादक कंपनियों का 72,000 करोड़ का बकाया, विद्युत मंत्रालय के सचिव ने लिखा पत्र
राज्यों पर केंद्रीय बिजली उत्पादक कंपनियों और कोयला उत्पादक केंद्रीय कंपनी सीआइएल का बकाया लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे आने वाले दिनों में बिजली उत्पादन प्रभावित हो सकता है। राज्यों में बिजली संकट पहले से चल रहा है और इस बकाए से यह संकट और बढ़ सकता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यों पर केंद्रीय बिजली उत्पादक कंपनियों और कोयला उत्पादक केंद्रीय कंपनी सीआइएल का बकाया लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे आने वाले दिनों में बिजली उत्पादन प्रभावित हो सकता है। राज्यों में बिजली संकट पहले से चल रहा है और इस बकाए से यह संकट और बढ़ सकता है। इस मामले में बिजली मंत्रालय के सचिव ने छह राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर भुगतान करने के लिए कहा है। बिजली मंत्रालय की तरफ से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि बकाए से बिजली संकट के साथ नए निवेश पर भी विपरीत असर पड़ेगा।
बिजली मंत्रालय के मुताबिक, इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश व जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। इन राज्यों पर बिजली उत्पादक कंपनियों का 72,000 करोड़ रुपये का बकाया है। वहीं जम्मू-कश्मीर को छोड़ अन्य पांच राज्यों पर सीआइएल का 4100 करोड़ रुपये का बकाया है।
राज्य बिजली उत्पादक कंपनियों से बिजली खरीदते हैं और राज्य सरकार की अपनी बिजली उत्पादक कंपनियां सीआइएल से कोयला खरीदती हैं। राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) की दयनीय आर्थिक स्थिति की वजह से राज्यों पर केंद्रीय बिजली उत्पादक कंपनियों का बकाया बढ़ता जा रहा है।
राज्य बिजली कंपनियों का बकाया सीआइएल बकाया
उत्तर प्रदेश- 9,372.49 करोड़ 319.82 करोड़
तमिलनाडु- 20,842.53 करोड़ 729.60 करोड़
महाराष्ट्र- 18,014 करोड़ 2,573.19 करोड़
राजस्थान- 11,176.38 करोड़ 307.86 करोड़
मध्य प्रदेश- 5030.19 करोड़ 256.04 करोड़
जम्मू-कश्मीर- 7275.12 करोड़ (स्रोत : बिजली मंत्रालय)
राज्यों ने कोयला आयात नहीं किया तो फिर हो सकता है बिजली संकट
केंद्र सरकारों ने राज्य सरकारों को उनके बिजली संयंत्रों में और निजी बिजली कंपनियों को कहा कि वो घरेलू कोयला में 10 फीसद तक आयातित कोयला मिलाने के लिए जल्द से बाहर से कोयला मंगवायें। बिजली मंत्री ने राज्यों से कहा कि अगर अभी से पर्याप्त तैयारी नहीं की गई तो मानसून में फिर से बिजली प्लांटों के पास कोयले की कमी पैदा हो सकती है।
उन्होंने उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा और पश्चिम बंगाल को खास तौर पर कहा है कि उनकी तरफ से या तो कोयला आयात की प्रक्रिया ही नहीं शुरू की गई या फिर प्रक्रिया की रफ्तार धीमी है। इन राज्यों ने हाल के महीनों में कोयला संकट का सबसे ज्यादा रोना रोया था। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने जो दिल्ली जा कर बिजली मंत्री से मुलाकात भी की थी।
बिजली मंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर ये राज्य केंद्र के निर्देश के मुताबिक कोयले का स्टाक नहीं उठाया तो उन्हें जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त कोयला नहीं दिया जाएगा और उनके हिस्से का कोयला दूसरे राज्यों को आवंटित कर दिया जाएगा। बिजली मंत्री ने कहा है कि राज्यों को 31 मई, 2022 तक कोयला आयात करने का आर्डर देना होगा, ताकि 30 जून तक 50 फीसद कोयला आयात किया जा सके।