Move to Jagran APP

AirSpace बंद होने से पाकिस्तान को भी करोड़ों का नुकसान, जानें कैसे देश करते हैं इससे कमाई

Balakot Air Strike के बाद से पाकिस्तान 11 एयरस्पेस में से 9 बंद हैं। इस वजह से 400 विमान पाक के एयरस्पेस का इस्तेमाल कर रहा है। इससे उसे 688 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 09:06 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 09:06 PM (IST)
AirSpace बंद होने से पाकिस्तान को भी करोड़ों का नुकसान, जानें कैसे देश करते हैं इससे कमाई
AirSpace बंद होने से पाकिस्तान को भी करोड़ों का नुकसान, जानें कैसे देश करते हैं इससे कमाई

नई दिल्ली, जेएनएन। पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र में पाबंदी से भारतीय एयरलाइंस को तो नुकसान हुआ ही है, साथ ही इसके छींटे पाकिस्तान पर भी पड़े हैं। यानी इससे पाकिस्तानी एयरलाइंस को भी चोट पहुंची है। एयरस्पेस बंद होने से भारत को 548 करो़ड़ रुपये और पाकिस्तान को 100 मिलियन डॉलर (लगभग 688 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है। गौरतलब है कि पाकिस्तान का एयरस्पेस फरवरी में पुलवामा आतंकी हमले (Pulwama Terror Attack) के बाद पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर हुए एयरस्ट्राइक (Balakot Air Strike) के बाद से बंद है। इससे तब से अब-तक रोज तकरीबन 400 विमान पाकिस्तान के एयर स्पेस का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं।    

पाकिस्तान का पूरा एयरस्पेस बंद नहीं

ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान ने पूरा एयरस्पेस बंद कर दिया। उसके पास 11 एयरस्पेस हैं, जिसमें से 9 बंद हैं। फिलहाल जो दो हवाई रास्ते चालू हैं वे दक्षिण पाकिस्तान से होकर गुजरते हैं। यह स्थिति तब है जब भारतीय वायु सेना (Indian AirForce) ने 31 मई को ऐलान किया था कि बालाकोट स्ट्राइक (BalaKot AirStrike) के बाद भारतीय एयरस्पेस पर लगाए गए सभी अस्थाई प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। 

loksabha election banner

इन भारतीय विमानों को हुआ नुकसान
एयर इंडिया को 2 जुलाई तक करीब 491 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसके अलावा इंडिगो को 31 मई तक 25.1 करोड़ का तो स्पाइसजेट एवं गोएयर को 20 जून तक क्रमश: 30.73 एवं 2.1 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

अन्य देशों में उड़ान भरने के लिए एयरलाइंस को करना पड़ता है भुगतान 
कोई भी एयरलाइंस अन्य देशों में उड़ान भरने या गुजरने के लिए पैसे का भुगतान करती हैं। इसे ओवरफ्लाइट फीस या एयरटोल कहा जाता है। ये भुगतान इसलिए करना होता क्योंकि जिस तरह किसी देश के पास अपनी जमीन पर अधिकार है, उसी तरह उसके ऊपर हवा के भी अधिकार हैं। अधिकांश देश विदेशी एयरलाइनों को उस हवाई क्षेत्र का 'किराया' देते हैं, ताकि वे इसके माध्यम से उड़ान भर सके। पाकिस्तान में, बोइंग 737 को एयरस्पेस का इस्तेमाल करने के लिए 580 डॉलर का भुगतान करना होता है, वहीं एयरबस 380 या बोइंग 747 के लिए यह किराया बढ़ जाता है। 

एयर ट्रैफिक के लिए भी किराया वसूला जाता है 
कुछ देश हवाई यातायात नियंत्रण सेवाएं (air traffic control services) भी प्रदान करते हैं। इस किराये का कुछ हिस्सा इन सेवाओं के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए कोई मानक शुल्क नहीं है। लागत निर्धारित करने के लिए देश अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। जैसे कनाडा यह किराया हवाई जहाज के वजन और यात्रा की दूरी को ध्यान में रखकर वसूलता है। अमेरिका केवल दूरी को ध्यान में रखकर किराया वसूलता है। 

एयरस्पेस से बचना काफी कठिन
एयरलाइंस कभी-कभी इस किराए से बचने के लिए अपने विमान का रास्ता बदल लेती हैं। हालांकि, एयरस्पेस से बचना काफी कठिन होता है, क्योंकि हवाई क्षेत्र देश से बड़ा हो सकता है। जैसे अमेरिकी हवाई क्षेत्र फिलीपिंस तक फैला हुआ है। समुद्र के ऊपर से उड़ान भरने में जमीन के ऊपर उड़ने से कम खर्च होता है। 

भारत की स्थिति 
भारत में ओवरफ्लाइट और लैंडिंग चार्ज डीजीसीए तय करता है। हमारे यहां स्थानीय उड़ानों को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से ज्यादा भगुतान करना होता है। इसके लिए तय किए गए रास्ते की नॉटिकल माइल्स के हिसाब से गणना होती है साथ ही फ्लाइट का वजन भी देखा जाता है। फ्लाइट भारत की जमीन पर लैंड करती है तो उसके लिए 5,330 रुपये अतिरिक्त देने होते हैं। अगर कोई विमान जमीन का इस्तेमाल किए बगैर यहां के एयरस्पेस से गुजरता है तो एयरस्पेस फीस, तय की गई दूरी और वजन के चार्ज के साथ 5,080 रुपये अतिरिक्त देने होते हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.