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Rohingya Refugees पर दिल्ली में राजनीति गर्म, जानें- कौन है रोहिंग्या? क्या है भारत सरकार का रुख

Rohingya Refugees दिल्ली में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए बड़ी संख्या में रहते हैं। बताया जाता है कि ये लोग अवैध तरीके से भारत में घुसे हैं। इन शरणार्थियों ने दिल्ली में अवैध तरीके से आधार कार्ड पहचान पत्र राशन कार्ड बनवा लिए हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 19 Aug 2022 11:56 AM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2022 03:04 PM (IST)
Rohingya Refugees पर दिल्ली में राजनीति गर्म, जानें- कौन है रोहिंग्या? क्या है भारत सरकार का रुख
रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा दिल्ली में गरमाया हुआ है (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya Refugees) का मुद्दा फिर गरमाया है। दरअसल, रोहिंग्या शरणार्थी के मसले पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के एक ट्वीट के बाद मामला फिर प्रकाश में आ गया। केंद्र की भाजपा सरकार इन शरणार्थियों को डिपोर्ट करने की बात कई बार कह चुकी है। ऐसे में पुरी का शरणार्थियों को फ्लैट देने वाले ट्वीट के बाद मुद्दा गरमा गया। हालांकि, गृह मंत्रालय ने तुरंत इसपर सफाई देते हुए कहा कि रोहिंग्या शरणार्थी अभी जहां हैं वहीं रहेंगे और गृह मंत्रालय उनको फ्लैट नहीं रखने जा रही है।

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भाजपा ने केजरीवाल सरकार पर लगाया वोट बैंक की राजनीति

रोहिंग्या मुसलमानों पर देश में राजनीति भी खूब होती रही है। भाजपा अवैध रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर करने की मांग करती रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अरविंद केजरीवाल सरकार पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा था कि राज्य सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को राशन कार्ड मुहैया करा रही है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि मोदी सरकार की स्पष्ट नीति है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और रोहिंग्या घुसपैठिये देश की अखंडता के लिए खतरा हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश का कानून कहता है कि उन्हें उनके देश वापस भेजा जाएगा और यह अधिकार क्षेत्र गृह मंत्रालय के पास है। रोहिंग्या घुसपैठिये भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

जानें- कौन है रोहिंग्या

म्यांमार के पश्चिमी छोर पर स्थित राज्य रखाइन है। इस राज्य में उस दौर से ही मुस्लिम आबादी रहती थी। 1826 में हुए पहले एंग्लो-बर्मा युद्ध के बाद रखाइन पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया। युद्ध में जीत के बाद अंग्रेजों ने बंगाल (वर्तमान में बांग्लादेश) से मुसलमान मजदूरों को रखाइन लाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे रखाइन में मुस्लिम मजदूरी की आबादी बढ़ती गई। बांग्लादेश से आकर रखाइन में बसी इसी मुस्लिम आबादी की रोहिंग्या कहा जाता है। रोहिंग्या की संख्या बढ़ती देख म्यांमार के जनरल विन की सरकार ने 1982 में देश में नया राष्ट्रीय कानून लागू किया। इस कानून में रोहिंग्या मुसलमानों का नागरिक दर्जा खत्म कर दिया गया। तभी से म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करती रही है। तब से रोहिंग्या बांग्लादेश और भारत में घुसपैठ करके यहां आते रहे हैं।

दिल्ली में इन इलाकों में रहते हैं रोहिंग्या

राजधानी दिल्ली के अलग-अलग इलाके में सैकड़ों रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं। सरकार ने जहां अभी बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं उसे दिल्ली सरकार को डिटेंशन सेंटर घोषित करने को कहा है। इसके अलावा भी दिल्ली में कुछ ऐसे इलाके हैं जहां अवैध घुसपैठिए रहते हैं। विकासपुरी, नजफगढ़, सीमापुरी रेलवे स्टेशन। जहांगीपुरी, भलस्वा डेयरी जैसे इलाके में अवैध घुसपैठिये की बड़ी तादाद है। इसके अलावा श्रम विहार, कालिंदी कुंज भी अवैध घुसपैठिये रहते हैं।

दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थी की पहचान मुश्किल

दिल्ली में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए बड़ी संख्या में रहते हैं। बताया जाता है कि ये लोग अवैध तरीके से भारत में घुसे हैं। इन शरणार्थियों ने दिल्ली में अवैध तरीके से आधार कार्ड, पहचान पत्र, राशन कार्ड बनवा लिए हैं। ये दिल्ली के कई अलग-अलग इलाकों में झुग्गी बनाकर रहते हैं। 2003 में दिल्ली पुलिस ने अवैध घुसपैठियों को पकड़ने के लिए एक सेल बनाया था और इस दौरान करीब 40 हजार अवैध घुसपैठिए को पकड़ा भी गया था। लेकिन फिलहाल ये सेल अब कम सक्रिय हो गया है। दरअसल, सेल की कम सक्रियता के पीछे की वजह है कि ये अवैध घुसपैठिये ऐसे पहचान पत्र यहां बनवा लेते हैं कि जिससे ये जानना मुश्किल हो जाता है कि वे अवैध घुसपैठिये हैं या देश के नागरिक।

भारत सरकार का रोहिंग्या पर क्या है रुख

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2019 में नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान रोहिंग्या शरणार्थियों का भी जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत कभी बतौर नागरिक स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा था कि रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश के रास्ते भारत में आ जाते हैं। पर उन्हें स्वीकार नहीं किया जाएगा। शाह ने कहा था कि मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि हमें मुसलमानों से नफरत नहीं है और इस बिल का भारत के नागरिक मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है। यही नहीं, सरकार ने अवैध रोहिंग्या मुसलमानों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता चुकी है।


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