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केंद्र ने खोजा यूपी सरकार में खोट

मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा नहीं रोक पाने के लिए केंद्र ने सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि केंद्र की पूर्व चेतावनी के बावजूद अखिलेश सरकार ने तनावग्रस्त इलाके में सुरक्षा के पर्याप्त उपाय नहीं किए। गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को मुजफ्फरनगर के हालात की हर 12 घंटे पर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बात कर हिंसा रोकने में केंद्र की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिया। सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने तत्काल हिंसा रोके जाने की जरूरत बताते हुए कहा कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े क्यों न हों।

By Edited By: Published: Mon, 09 Sep 2013 03:48 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2013 01:59 AM (IST)
केंद्र ने खोजा यूपी सरकार में खोट

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा नहीं रोक पाने के लिए केंद्र ने सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि केंद्र की पूर्व चेतावनी के बावजूद अखिलेश सरकार ने तनावग्रस्त इलाके में सुरक्षा के पर्याप्त उपाय नहीं किए। गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को मुजफ्फरनगर के हालात की हर 12 घंटे पर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बात कर हिंसा रोकने में केंद्र की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिया। सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने तत्काल हिंसा रोके जाने की जरूरत बताते हुए कहा कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े क्यों न हों।

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गृह मंत्री ने अखिलेश सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि उन्होंने शनिवार को ही महापंचायत को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बातचीत की थी। मुख्यमंत्री ने महापंचायत की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम का भरोसा भी दिया था। इसी महापंचायत के बाद मुजफ्फरनगर में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़की। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी कहा कि राज्य में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के मद्देनजर खुफिया ब्यूरो (आइबी) ने तीन सितंबर और गृह मंत्रालय ने चार सितंबर को एडवाइजरी जारी की थी। इसमें विस्तार से बताया गया था कि सांप्रदायिक हिंसा रोकने के लिए राज्य सरकार को क्या-क्या कदम उठाने चाहिए। लेकिन, राज्य सरकार ने मुजफ्फरनगर में इनमें से एक भी कदम नहीं उठाया। कैबिनेट सचिव अजित सेठ ने भी बीते शुक्रवार को सांप्रदायिक तनाव की आशंका वाले सात राज्यों के मुख्य सचिवों की बैठक बुलाकर उन्हें संवेदनशील इलाकों में विशेष सुरक्षा इंतजाम करने के निर्देश दिए थे। इस बैठक में यूपी के मुख्य सचिव भी थे।

वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार राज्य सरकार मुजफ्फरनगर की स्थिति को समझने में बुरी तरह नाकाम रही। उनके अनुसार यदि वहां 12 घंटे पहले क‌र्फ्यू लागू कर दिया जाता तो स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सकता था। सेना की तैनाती का अनुरोध भी शनिवार रात करीब साढ़े दस बजे गृह मंत्रालय को भेजा गया। इसके बाद गृह सचिव और रक्षा सचिव ने रात दो बजे तक अपने दफ्तरों में बैठकर सेना की तैनाती से संबंधित औपचारिकताएं पूरी कीं, तब जाकर रविवार सुबह यह संभव हो पाया। उन्होंने कहा कि हिंसा रोकने के लिए राज्य के अधिकारियों को छोटे-छोटे निर्देश भी उन्हें ही देने पड़ते थे। मसलन, गृह मंत्रालय को जानकारी मिली कि गांवों में हमला करने वाले लोग स्थानीय न होकर बाहर से आए थे। इसके बाद राज्य सरकार को वहां लोगों की आवाजाही नियंत्रित करने और चेकपोस्ट बनाने का निर्देश दिया गया।

किसने, क्या कहा

''महापंचायत को लेकर शनिवार को ही मुख्यमंत्री को किया था आगाह।''

- सुशील कुमार शिंदे (गृह मंत्री)

''केंद्र की चेतावनी के बावजूद राज्य सरकार हिंसा रोकने में विफल रही।''

- श्रीप्रकाश जायसवाल (कोयला मंत्री)

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