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नक्सलियों की नसबंदी खुलवा रही है पुलिस, जानिए- क्या है वजह

पुनर्वास नीति के तहत ही सरकार उनकी नसबंदी खुलवाने का काम भी कर रही है।

By Arti YadavEdited By: Published: Mon, 08 Jan 2018 08:47 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jan 2018 01:45 PM (IST)
नक्सलियों की नसबंदी खुलवा रही है पुलिस, जानिए- क्या है वजह
नक्सलियों की नसबंदी खुलवा रही है पुलिस, जानिए- क्या है वजह

रायपुर, नईदुनिया।बस्तर में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का पुलिस रीवर्स वसैक्टमी ऑपरेशन (नसबंदी खुलवाना) करवा रही है। बस्तर संभाग में पिछले कुछ सालों में एक हजार से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर किया है। इन्हें सरकार की पुनर्वास नीति के तहत नौकरी, आवास तथा अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। पुनर्वास नीति के तहत ही सरकार उनकी नसबंदी खुलवाने का काम भी कर रही है। अब तक करीब 25 नक्सलियों की रीवर्स वसैक्टमी ऑपरेशन पुलिस करा चुकी है। छह मामलों में नक्सल दंपतियों के घर किलकारी भी गूंजी है। पुलिस मानती है कि इससे नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करने में मदद मिलेगी।

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बस्तर आइजी विवेकानंद ने कहा, नक्सल संगठन में विवाह करने की अनिवार्य शर्त है नसबंदी कराना। आमतौर पर पुरुष नक्सलियों का वसैक्टमी ऑपरेशन किया जाता है। महिलाओं में इस तरह के ऑपरेशन के मामले अब तक सामने नहीं आए हैं। पुलिस ऐसे आत्मसमर्पित नक्सलियों की सूची बना रही है जिन्होंने संगठन में पूर्णकालिक पदों पर काम किया है और विवाहित हैं। ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें नक्सली संगठनों ने अविवाहित नक्सली पुरुषों की भी नसबंदी करा दी है। नसबंदी कराने वाले पुरुष आमतौर पर संकोच के कारण सामने नहीं आते। विवेकानंद ने बताया कि पुलिस लगातार आत्मसमर्पितों की काउंसिलिंग कर रही है ताकि वह शर्म छोड़कर विवाहित जीवन में पूरी तरह आने को तैयार हो पाएं।

ऐसे हुई शुरुआत 

आइजी विवेकानंद 2001 में दंतेवाड़ा के एसपी थे। उस वक्त नक्सलियों के तत्कालीन कमांडर बदरन्न ने पत्नी संग सरेंडर किया था। वह एसपी के पास गया और कहा, साहब, मैं बच्चे चाहता हूं। लेकिन नक्सलियों ने मेरा ऑपरेशन करा दिया है। विवेकानंद ने अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों से सलाह ली, फिर सरकार की अनुमति से उसे रायपुर भेजकर रिवर्स वसैक्टमी ऑपरेशन कराया। अब बदरन्न की एक बेटी है। पिछले साल विवेकानंद जब बस्तर के आइजी बनकर गए तो उनके सामने सरेंडर नक्सलियों के कुछ ऐसे ही और केस आए। इसके बाद रिवर्स वसैक्टमी को सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति में शामिल किया गया।

बड़े नेता नहीं कराते ऑपरेशन

नक्सल कैंप में छापे के दौरान पुलिस को अक्सर बड़ी मात्रा में गर्भनिरोधक दवाइयां, कंडोम आदि मिलते हैं। सवाल उठता है कि अगर पुरुषों की नसबंदी होती है तो इन दवाइयों की जरूरत उन्हें क्यों पड़ती है। पुलिस अफसरों का कहना है कि नक्सल संगठन में स्थानीय आदिवासियों को तो नसबंदी कराना होता है जबकि उनके बड़े नेता ऑपरेशन नहीं कराते और गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करते हैं।

नक्सल ऑपरेशन के डीजीपी डीएम अवस्थी ने कहा, 'रिवर्स वसैक्टमी ऑपरेशन सरकार की पुनर्वास नीति का महत्वपूर्ण अंग है। इसका पूरा खर्च सरकार उठाती है। यह महत्वपूर्ण कदम है जिससे हमें बहुत लाभ मिल रहा। नक्सली आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित हो रहे हैं।'

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