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मप्र में आकाशीय बिजली का कहर, पांच की मौत, बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं को भारी नुकसान

कई जिलों में किसानों ने गेहूं काटकर खलिहानों में रखा हुआ था जो कि लगभग बर्बाद हो गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 26 Apr 2020 07:29 PM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2020 08:21 PM (IST)
मप्र में आकाशीय बिजली का कहर, पांच की मौत, बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं को भारी नुकसान
मप्र में आकाशीय बिजली का कहर, पांच की मौत, बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं को भारी नुकसान

जबलपुर, राज्य ब्यूरो महाकोशल-विंध्य के कई जिलों में रविवार को भी मौसम खराब रहा। उमरिया, अनूपपुर, शहडोल, सतना, सीधी और डिंडौरी में बारिश हुई और ओले गिरे। इससे फसलों और खलिहान में रखे अनाज को नुकसान पहुंचा है। वहीं उमरिया में आकाशीय बिजली गिरने से चार मजदूरों और डिंडौरी में एक किसान की मौत हो गई जबकि तीन लोग घायल हुए हैं। तेज हवा के कारण कई पेड़ भी धराशायी हो गए।

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कलेक्टर ने कहा- मृतकों के स्वजनों को चार-चार लाख रुपये की मदद दी जाएगी

उमरिया में आकाशीय बिजली गिरने से जिन लोगों की मौत हुई है, वे सभी मजदूर लॉकडाउन के कारण कई दिनों से बेकार थे और रविवार को ही काम पर गए थे। कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी ने कहा कि मृतकों के स्वजनों को चार-चार लाख रपये की मदद दी जाएगी। वहीं डिंडौरी में खेत में काम रहे किसान की मौत हो गई।

खलिहानों में रखा हुआ गेहूं बर्बाद हो गया

कई जिलों में किसानों ने गेहूं काटकर खलिहानों में रखा हुआ था जो कि लगभग बर्बाद हो गया है। गेहूं की कटाई लगभग पूर्णता की ओर है और ऐसे समय पर बारिश से किसानों को काफी नुकसान हुआ है। जो फसल खेत में खड़ी है वह भी पानी के कारण बर्बाद हो गई है। डिंडौरी के करंजिया में सब्जी की फसल चौपट हुई है। सीधी जिले के भुईमाड़ गांव में रविवार की सुबह तेज हवा के साथ बारिश और ओले भी गिरे। इससे सब्जी, आम सहित खलिहान में रखे गेहूं को भी नुकसान हुआ है।

30-35 फीसद गेहूं का नहीं हुआ परिवहन, प्याज के नहीं मिल रहे खरीदार

कोरोना संकट के बीच किसानों की चिंता को देखते हुए मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने गेहूं की खरीदी तो शुरू कर दी पर लॉकडाउन के कारण परिवहन गति नहीं पकड़ पा रहा है। 30 से 35 फीसद गेहूं खरीदी केंद्रों पर परिवहन के इंतजार में रखा हुआ है। उधर, प्याज की बंपर पैदावार होने और खरीदार नहीं मिलने से किसान परेशान हैं। खेतों में प्याज का ढेर लगा हुआ है। कुछ जगहों पर किसानों को उपज बेचने के लिए 20 से 30 किलोमीटर तक दूर जाना पड़ रहा है।


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