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बेटे की चाह में की तीन शादियां, फिर भी नहीं हुआ तो पड़ोसी के बेटे की दे दी बलि

रात को दिलीप जब पहुंचा तो वह गांव वालों के साथ बच्चे को ढूंढने लगा। रात को घर पहुंचा और दोनों पत्नियों के साथ मिलकर तांत्रिक द्वारा बताए तरीके अपनाए।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 18 Jul 2017 09:01 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jul 2017 09:06 AM (IST)
बेटे की चाह में की तीन शादियां, फिर भी नहीं हुआ तो पड़ोसी के बेटे की दे दी बलि
बेटे की चाह में की तीन शादियां, फिर भी नहीं हुआ तो पड़ोसी के बेटे की दे दी बलि

इंदौर/गौतमपुरा, जेएनएन। गौतमपुरा स्थित गढ़ी बिल्लौद गांव में हुए दो साल के बच्चे की हत्या का पुलिस ने सवा माह बाद सोमवार को खुालासा किया। बेटा नहीं होने पर पड़ोसी ने ही कथित तांत्रिक के बहकावे में आकर मासूम का अपहरण कर लिया था। पूर्णिमा की रात उसे सुइयां चुभोई और दम घोंटकर उसकी बलि दे दी। हत्याकांड में पुलिस ने पड़ोसी और उसकी दो पत्नियों को गिरफ्तार कर लिया।

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पुलिस के मुताबिक, 9 जून की शाम 6 बजे दो साल का यश घर के आंगन में खेलते-खेलते गायब हो गया था। कुछ देर जब वह नहीं मिला तो यश के परिजन ने उसे ढूंढना शुरू किया। काफी खोजबीन के बाद भी पता नहीं चला तो पिता सुनील ने पुलिस को शिकायत की। 10 जून को पड़ोसी दिलीप बागरी के आंगन में यश की लाश मिली। पुलिस ने दिलीप से पूछताछ की। उसने कई बार पुलिस को गुमराह किया। पुख्ता सबूत मिलने पर दिलीप पर सख्ती बरती गई। इस पर उसने कबूला कि दो पत्नियों पुष्पा और संतोष के साथ मिलकर यश की हत्या की है।

तांत्रिक ने दी थी बली की सलाह
संतोष जब मायके पहुंची तो वहां परिजन उसे कथित तांत्रिक गोवर्धन बागरी के पास ले गया। बागरी ने संतोष को कहा था कि वह किसी दंपती के बड़े बेटे की बलि अमावस्या या पूर्णिमा की रात दे तो उन्हें बेटा पैदा होगा। इस पर दिलीप और उसकी दोनों पत्नियों ने पड़ोसी सुनील के बेटे यश के अपहरण की योजना बनाई। 9 जून को पूर्णिमा थी। उन्होंने इसी दिन वारदात को अंजाम दिया। दिलीप सुबह गांव से बाहर चला गया और उसकी दोनों पत्नियों ने यश को आंगन से अगवा कर लिया। रात को दिलीप जब पहुंचा तो वह गांव वालों के साथ बच्चे को ढूंढने लगा। रात को घर पहुंचा और दोनों पत्नियों के साथ मिलकर तांत्रिक द्वारा बताए तरीके अपनाए। उसने बच्चे की गर्दन व मुंह में सुई चुभोई, जब वह रोने लगा तो पुष्पा व संतोष ने मुंह में कपड़ा ठूंस दिया। जब मौत हो गई तो उसे आंगन में एक टाट के बोरे में लपेटकर सो गए।

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