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China Pneumonia: फेफड़ों में सूजन और तेज बुखार, चीन में रहस्यमयी वायरस का प्रकोप; भारत में कैसी है तैयारी; यहां पढ़ें लेटेस्ट अपडेट्स

चीन के उत्तर पूर्वी इलाके में स्थित लियाओनिंग प्रांत और बीजिंग के बच्चे तेजी से बीमार पड़ रहे हैं। इस बीमारी के दौरान बच्चों के फेफड़ों में सूजन और तेज बुखार जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। हालांकि इसके फैलने के खतरे को देखते हुए WHO ने गाइडलाइन जारी कर दी है। भारत में भी सभी अस्पतालों को सतर्क करने का आदेश दिया गया है।

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariMon, 27 Nov 2023 12:18 PM (IST)
China Pneumonia:  फेफड़ों में सूजन और तेज बुखार, चीन में रहस्यमयी वायरस का प्रकोप; भारत में कैसी है तैयारी; यहां पढ़ें लेटेस्ट अपडेट्स
चीन में फैली रहस्यमयी बीमारी को लेकर भारत में अलर्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Pneumonia In China: कुछ महीनों पहले ही दुनिया ने कोविड-19 जैसी संक्रामक बीमारी से निजात पाया था, लेकिन इसी बीच एक नई बीमारी पड़ोसी देश चीन में अपने पैर पसारने लगी है। इस रहस्यमयी बीमारी ने छोटे बच्चों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। इसको लेकर प्रशासन काफी सख्त नजर आ रहा है।

क्या है यह नया वायरस?

नए वायरस से संक्रमित बच्चों से चीन के अस्पताल भरने लगे हैं। इस नए वायरस को रहस्यमयी निमोनिया वायरस इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इसके कुछ लक्षण आम निमोनिया से मिलते-जुलते हैं और कुछ अलग भी हैं।

दरअसल, अगर निमोनिया की बात करें तो उसमें पीड़ित बच्चों को बलगम वाली खांसी, तेज बुखार और फेफड़ों में सूजन की शिकायत होती है। वहीं, दूसरी ओर चीन के इस रहस्यमयी निमोनिया में बच्चों को बिना बलगम वाली खांसी के ही तेज बुखार और फेफड़ों में सूजन की शिकायत हो रही है।  

जानलेवा साबित हो जाते हैं मामले

निमोनिया यूं तो आम बुखार की ही तरह है, जिसे एंटीबैक्टीरियल और एंटीबायोटिक दवाओं की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। डॉक्टरों के मुताबिक, फेफड़ों में तरल पदार्थ भरने लगता है, जो मवाद बन जाता है और यह धीरे-धीरे पूरे फेफड़े  में भर जाता है, जिससे पीड़ित सांस लेने में असक्षम हो जाता है। यह बीमारी ज्यादातर बच्चों और बुजुर्गों को अपना शिकार बनाती है।

कहां मिल रहे सबसे अधिक मरीज?

दरअसल, चीन के उत्तर-पूर्वी इलाके में स्थित लियाओनिंग प्रांत और बीजिंग के बच्चों में निमोनिया के नए और हैरान करने वाले लक्षण देखे जा रहे हैं। बच्चों को तेज खांसी, बुखार और फेफड़ों में सूजन की समस्या हो रही है, जिससे इलाके के सभी अस्पताल लगभग भर गए हैं। इस बीमारी के प्रकोप को देखते हुए चीन के सभी स्कूलों को बंद करने का फैसला ले लिया गया है।

ऐसे में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) भी अलर्ट हो गया है और उसने चीन से इस बीमारी की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इतना ही नहीं, WHO ने इसे लेकर चेतावनी भी जारी की है, जिसके बाद कई अन्य देशों में भी इस बीमारी को लेकर डर फैल गया है। दरअसल, कोविड महामारी की शुरुआत भी चीन से हुई थी, ऐसे में एक और रहस्यमयी बीमारी को लेकर पूरा विश्व सचेत हो गया है।

क्या यह कोई महामारी है?

यह वायरस काफी समय से चीन में फैल रहा था, लेकिन यह चर्चा में तब आया, जब डब्ल्यूएचओ ने चीन से बीमारी के लक्षण और मामलों पर कड़ी नजर रखने को कहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीमारी को लेकर चीन से रिपोर्ट पेश करने को कहा है और साथ ही कहा है कि चीन में हाल ही में फैले सभी वायरस की लिस्ट जमा की जाए।

अब तक की जांच में डब्ल्यूएचओ ने इसे किसी तरह की महामारी घोषित नहीं किया है। दरअसल, किसी भी बीमारी को बिना जांच-पड़ताल किए महामारी घोषित करना गलत और जल्दबाजी मानी जाती है।

WHO ने जारी की गाइडलाइन

दरअसल, इस वायरस को खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी देशों के लिए गाइडलाइन भी जारी की है। सभी देशों ने इन गाइडलाइन को देखते हुए अपने-अपने देशों में तैयारी शुरू कर दी है।

  • लोग अपने घरों और दफ्तरों के पास साफ-सफाई रखें और किसी भी तरह की गंदगी फैलाने से बचें।
  • शरीर में किसी भी तरह के बुखार के लक्षण दिखने पर खुद कोई दवाई न लें।
  • बुखार का कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
  • किसी भी भीड़भाड़ वाले इलाके में जाने से बचें।
  • जरूरत लगने पर तुरंत मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
  • सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करें।
  • बच्चों और बुजुर्गों के सभी सामानों को साफ-सुथरा रखें।
  • खांसते या छींकते समय मुंह को रुमाल या हाथ से ढक लें।

क्या यह बीमारी दूसरे देशों में फैल सकती है?

चीन में फैल रही यह बीमारी कई देशों को कोविड-19 के शुरुआती दौर की तरह लग रही है, जो पहली बार 2019 में वुहान शहर में रहस्यमयी निमोनिया के तौर पर ही उभरा था। हालांकि, माइकोप्लाज्मा (निमोनिया) एक सामान्य रोगाणु है, जो कुछ सालों में ताजा प्रकोप का कारण बनता है। यह संभावना है कि इस सर्दियों में दुनिया भर के देशों को विभिन्न प्रकार के रोगजनकों का सामना करना पड़ेगा।

रहस्यमयी बीमारी को लेकर भारत हुआ अलर्ट

हाल ही में भारत ने कोविड महामारी के कारण कई तरह की परेशानियों और चुनौतियों का सामना किया था। एक लंबे समय के बाद भारत की स्वास्थ्य सुविधाएं पहले की तरह बहाल हुई हैं। ऐसे में पड़ोसी देश में रहस्यमयी बीमारी फैलने से भारत पहले ही सतर्क हो गया है। हालांकि, भारत के यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री ने हाल ही में एक बैठक के दौरान कहा था कि देश में इस रहस्यमयी बीमारी के फैलने का खतरा काफी कम है, लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्य मंत्रालय बारीकी से स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए मंत्रालय ने कहा कि इस संक्रमण से लड़ने के लिए भारत पहले से ही तैयार है। दरअसल, अब तक इस बीमारी को लेकर भारत के पास जो भी जानकारी है, उसका मुकाबला करने के लिए भारत के पास पर्याप्त वैक्सीन और दवाइयां हैं। फिर भी भारत ने अपने सभी अस्पतालों को तैयार रहने के लिए कहा है।

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सलाह दी गई है कि बच्चों और किशोरों में बीमारी के मामलों पर बारीकी से नजर रखें और जांच सैंपल तत्काल प्रभाव से लैब भेजे जाए। साथ ही, कहा है कि सांस संबंधी किसी भी तरह की परेशानी होने पर बारीकी से इलाज किया जाए और बच्चों और बुजुर्गों के इलाज में किसी तरह की लापरवाही न बरती जाए।

स्वास्थ्य मंत्री ने दिया जवाब

इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि चीन में निमोनिया के प्रकोप की मौजूदा स्थिति पर भारत में स्वास्थ्य संस्थान उत्सुकता से नजर रख रहे हैं और सभी उचित कार्रवाई की जा रही है।

मीडिया से बात करते हुए मनसुख मंडाविया ने कहा, "सरकार चीन के अंदर फैल रहे निमोनिया की स्थिति पर लगातार ध्यान दे रही है. आईसीएमआर और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक इस पर नजर रख रहे हैं और आवश्यक कार्रवाई कर रहे हैं."

भारत के किस हिस्से में सबसे ज्यादा खतरा?

दक्षिण भारत में किसी भी वायरस के फैलने का खतरा थोड़ा ज्यादा रहता है। दरअसल, केरल अक्सर वायरस के प्रति अधिक संवेदनशील होता है, क्योंकि प्रदेश में सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय गतिविधियां होती हैं। दूसरा कारण यह है भी माना जाता है कि इस राज्य के लोग ज्यादातर विदेशों में आवाजाही करते हैं। यहां तक कि मंकीपॉक्स और कोविड-19 जैसे मामलों के पहले केस भी केरल में ही सामने आए थे।

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