'मन की बात' में आने वाले पत्रों को संभालने के लिए कोई नामित अधिकारी नहीं
अगर कोई यह जानना चाहता है कि 'मन की बात' कार्यक्रम जब से शुरू हुआ, तब से प्रधानमंत्री कार्यालय को कितने वीडियो, ऑडियो तथा लिखित संदेश मिले, तो बेहद मुश्किल है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मुख्य सूचना आयुक्त (सीआइसी) को बताया है कि 'मन की बात' के लिए आने वाले पत्रों को संभालने के लिए कार्यालय में कोई नामित अधिकारी नहीं है। यह भी बताया गया है कि इस कार्यक्रम के लिए बड़ी संख्या में शिकायतें और सुझाव आते हैं, जिन्हें कंटेंट के आधार पर संबद्ध मंत्रालयों और संगठनों को भेज दिया जाता है।
यह जानकारी आरटीआइ कार्यकर्ता असीम टकयार के एक आवेदन पर मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर द्वारा की जा रही सुनवाई में दी गई। आवेदक ने यह जानकारी मांगी थी कि जब से 'मन की बात' कार्यक्रम शुरू हुआ है, तब से प्रधानमंत्री कार्यालय को कितने वीडियो, ऑडियो तथा लिखित संदेश मिले हैं।
पीएमओ के जवाब से असंतुष्ट टकयार ने सूचना हासिल करने के लिए आयोग में अपील की थी। पीएमओ के अधिकारी ने सीआइसी माथुर को बताया कि मांगी गई सूचना का संकलित रिकॉर्ड नहीं रखा जाता, बल्कि यह विभिन्न दस्तावेजों में बिखरे होते हैं। यह भी बताया गया कि भारी-भरकम इन सूचनाओं के संकलन में बड़े पैमाने पर संसाधन लगेंगे, जिससे सामान्य कामकाज प्रभावित होगा। पीएमओ के जवाब से संतुष्ट सीआइसी ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए कहा कि आरटीआइ आवेदन पर प्रतिवादी द्वारा की गई कार्रवाई तथा उठाए गए कदम संतोषजनक हैं।
सरकारी वेबसाइट 'माईगोव डॉट इन' के अनुसार, ऑल इंडिया रेडियो पर प्रसारित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम 'मन की बात' के लिए लोगों से सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं, जो प्रधानमंत्री के संबोधन का हिस्सा हो सकता है। प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम में दैनिक जीवन को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों पर लोगों को संबोधित करते हैं। सरकारी प्रसारक 'आकाशवाणी' की वेबसाइट के मुताबिक ऑल इंडिया रेडियो' अब तक इस कार्यक्रम के 44 एपिसोड प्रसारित कर चुका है।