भारत-आसियान सहयोग जरूरी: मनमोहन
वैश्विक आर्थिक मंदी के चलते व्यापक भारत-आसियान सहयोग को जरूरी बताते हुए शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मार्च 2012 तक वाणिज्यिक रूप से सार्थक सेवाओं और निवेश समझौते की वकालत की ताकि समग्र आर्थिक सहयोग समझौते के कार्यान्वयन के लिए सकारात्मक माहौल बन सके।
बाली [इंडोनेशिया]। वैश्विक आर्थिक मंदी के चलते व्यापक भारत-आसियान सहयोग को जरूरी बताते हुए शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मार्च 2012 तक वाणिज्यिक रूप से सार्थक सेवाओं और निवेश समझौते की वकालत की ताकि समग्र आर्थिक सहयोग समझौते के कार्यान्वयन के लिए सकारात्मक माहौल बन सके। यहां भारत आसियान शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे सिंह ने संपर्क स्थापित करने से लेकर नौवहन सुरक्षा, आतंकवाद से मुकाबले, प्रशिक्षण, अभ्यासों और आपदा प्रबंधन सहित सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने यहां सालाना शिखर सम्मेलन में कहा कि आसियान के साथ हमारी भागीदारी हमारी विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण तत्व है और हमारी पूर्वोन्मुख नीति की नींव भी है।
भारत और दस देशों के एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस के बीच बातचीत के विभिन्न पहलुओं के बारे में सिंह ने कहा कि मैं मानता हूं कि हमारा सहयोग सही रास्ते पर है। वैश्विक आर्थिक मंदी को देखते हुए आज हमारे सहयोग की महती आवश्यकता है।
व्यापार और आर्थिक मोर्चे का संदर्भ देते हुए सिंह ने कहा कि भारत-आसियान फ्री ट्रेड एग्रीमेंट फॉर ट्रेड इन गुड्स आसियान के सभी सदस्य देशों और भारत में, इस साल अगस्त में कंबोडिया द्वारा पुष्टि किए जाने के बाद प्रभावी हो चुका है।
प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन में कहा, मैं वाणिज्यिक रूप से सार्थक सेवाओं और निवेश समझौते को शीर्ष निष्कर्ष तक लाने के लिए आपका सहयोग मांगता हूं। इससे समग्र आर्थिक सहयोग समझौते के कार्यान्वयन के लिए सकारात्मक माहौल बनेगा जिसके बारे में हमने वर्ष 2003 के फ्रेमवर्क एग्रीमेंट में विचार किया था। उन्होंने कहा, हमें अक्टूबर 2011 की बातचीत के अंतिम दौर में किए गए निर्णय का समर्थन करना चाहिए ताकि करार को मार्च 2012 तक संपन्न किया जा सके।
आसियान के साथ भारत का व्यापार वर्ष 2010-2011 में 30 फीसदी बढ़ा है और अब यह 50 अरब डालर से अधिक हो गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वृद्धि दर के साथ हमें वर्ष 2012 तक 70 अरब डालर के व्यापार का लक्ष्य हासिल करने में सक्षम होना चाहिए।
भारत और आसियान के बीच व्यापक भौतिक संपर्क की वकालत करते हुए सिंह ने कहा, यह हमारा रणनीतिक उद्देश्य बना हुआ है। थल और समुद्री संपर्क के बारे में विचार के लिए कई प्रस्ताव हैं जिनमें भारत, म्यांमार, थाईलैंड राजमार्ग, लाओस तथा कंबोडिया का विस्तार और वियतनाम को जोड़ने वाले एक नए राजमार्ग का विकास आदि शामिल हैं।
इकॉनोमिक रिसर्च इन्स्टीट्यूट फॉर आसियान एंड ईस्ट एशिया ने मेकांग भारत आर्थिक गलियारे पर एक अध्ययन भी किया है और द्वीपीय भागों में गलियारों को जोड़ने तथा संभवत: भारत के पूर्वोत्तर इलाकों को पूर्वी एशियाई क्षेत्र से जोड़ने का प्रस्ताव रखा है।
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