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पीएम ने स्वामीनारायण पंथ के प्रमुख स्वामी को दी श्रद्धांजलि

स्वामीनारायण पंथ के आध्यात्मिक गुरु को पीएम ने श्रद्धांजलि दी।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 15 Aug 2016 12:55 PM (IST)Updated: Mon, 15 Aug 2016 03:44 PM (IST)

अहमदाबाद । स्वामीनारायण संत प्रमुख स्वामी महाराज के अंतिम दर्शन करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भावुक हो गए, उनकी आंखों से अश्रुधारा बह निकली। रुंधे गले से मोदी ने कहा लोगों ने गुरु खोया होगा लेकिन मैंने पिता खोया है।

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भारत की आजादी के 70वें स्वतंत्रता दिवस समारोह पर लाल किले से देश को संबोधित करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी वायुसेना के विमान से सीधे अहमदाबाद पहुंचे। यहां से हेलीकॉप्टर से साळंगपुर पहुंचे जहां बोचासणवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामी नारायण संप्रदाय के प्रमुख स्वामी महाराज के पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है।


मोदी ने प्रमुख स्वाामी को पुष्पांजलि दी, आरती उतारी तथा पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा कि उनके जीवन में प्रमुख स्वांमी अकेले ऐसे व्यतक्ति थे जो उन्हें टोका करते थे। मोदी ने बताया कि मेरे राजनीतिक वरिष्ठा व अखबार भले इस ओर ध्याकन नहीं देते हों लेकिन प्रमुख स्वाकमी फोन कर कह देते थे कि उन्हें ऐसा नहीं बोलना था, अभी समाज के लिए बहुत काम करना है। मोदी ने संत व श्रद्वालुओं से कहा कि आपने तो गुरु खोया है मैंने तो आज पिता खोया है, यह कहते कहते मोदी की आंखों से आंसू छलक गए। मोदी ने कहा स्वारमी गुरु के रूप में एक उत्त म पथप्रदर्शक थे।


प्रमुख स्वामी ने केवल शिष्य ही नहीं बनाए बल्कि। आधुनिक भारत के अनुरुप संत परंपरा व सांस्क्रनतिक विरासत को एक संस्था के रुप में विकसित किया। उन्होंंने अध्यात्म के साथ सभी क्षेत्रों में सुधार के लिए काम किया। दिल्ली यमुना किनारे योगीजी महाराज ने बात बात में कहा कि यहां कुछ करना चाहिए। प्रमुख स्वामी जी ने वहां आलीशान स्वामी नारायण मंदिर का निर्माण कराकर एक श्रेष्ठ शिष्य का दायित्व निभाया। मोदी ने बताया कि मंदिर के शिलान्या स में उनहें बुलाया, पूजा में भी बिठाया तथा दान करने के लिए जेब में संत ब्रम्ह्देव जी से कुछ रुपए भी रखवाए। मोदी बताते हैं कि स्वाठमीजी जानते थे कि उनकी जेब में पैसे नहीं रहते। प्रमुख स्वामी ने बीमारी के चलते खाना बंद कर दिया तो संतों ने उन्हें फोन कर उन्हें मनाने को कहा कि एक बेटे की बात वे नहीं टालेंगे।


मोदी ने बताया कि कश्मीेर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने के तुरंत बाद पहला फोन प्रमुख स्वामीजी का आया और दूसरा उनकी मां का। स्वामीजी ने पूछा कि भगवान स्वामीनारायण सब अच्छा करेंगे, तुम सही सलामत वापस पहुंच जाओगे। मोदी बताते हैं कि उनके सानिध्यछ में हमेशा बेटे जैसी निकटता मिली, वे भव्य्ता व दिव्य ता के सामंजस्य के उत्तम उदाहरण थे। मोदी ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के विजन 20-20 में भी प्रमुख स्वामी की छाया नजर आती थी।

केशवजीवन होंगे उत्तराधिकारी

प्रमुख स्वामी ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में स्वामी केशवजीवन दास महाराज को चुना है। वर्ष 2012 में ही उन्होंने अपने उत्तराधिकारी का नाम लिफाफे में लिखकर रख दिया था। प्रमुख स्वामी ने अपने 65 वर्ष के कार्यकाल में देश विदेश के 70 हजार से अधिक गांव व शहरों का भ्रमण कर 1100 मंदिरों निर्माण कराया। नशामुक्ति व संसकार सिंचन के लिए 9090 संस्कार केन्द्र व 55000 स्वयंसेवक तैयार किए जो भूकंप, अकाल, सूखा व अन्य आपदा में लोगों की मदद करने पहुंच जाते हैं।

वडोदरा में हुआ था जनम

प्रमुख स्वामी का जन्म 7 दिसंबर 1921 को वडोदरा के चाणसद गांव में हुआ था। उनके बचपन का नाम शांतिलाल था, शास्त्रीजी महाराज ने 1939 में उन्हें दीक्षा दी थी, 1950 को वे बीएपीएस के प्रमुख स्वामी बने तब से 13 अगसत 2016 तक वे मानवमात्र की सेवा करते रहे।


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