प्रधानमंत्री मोदी पांच फरवरी को करेंगे 'स्टैच्यू आफ इक्वैलिटी' का अनावरण
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और आध्यात्मिक गुरु चिन्ना जियार स्वामी कार्यक्रम के सहआयोजक होंगे। दूसरी प्रतिमा मंदिर के भीतर रखी जाएगी जो संत के 120 सालों की यात्रा की याद में 120 किलो सोने से बनाई गई है। इसका अनावरण राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द 13 फरवरी को करेंगे।
हैदराबाद, प्रेट्र। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच फरवरी को 11वीं सदी के संत और समाज सुधारक रामानुजाचार्य की 216 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे। इस प्रतिमा को 'स्टैच्यू आफ इक्वैलिटी' नाम दिया गया है। प्रतिमा शहर के बाहरी इलाके शमशाबाद में 45 एकड़ के परिसर में स्थित है।
आयोजकों ने गुरुवार को बताया, रामानुजाचार्य की 1000वीं जयंती के मौके पर दो फरवरी से कार्यक्रम शुरू होंगे। 'समारोहम' के तहत सामूहिक मंत्र-जाप और 1035 यज्ञ जैसी आध्यात्मिक गतिविधियों का आयोजन तय किया गया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और आध्यात्मिक गुरु चिन्ना जियार स्वामी कार्यक्रम के सहआयोजक होंगे। दूसरी प्रतिमा मंदिर के भीतर रखी जाएगी, जो संत के 120 सालों की यात्रा की याद में 120 किलो सोने से बनाई गई है। इसका अनावरण राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द 13 फरवरी को करेंगे।
इस समारोह में अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री, राजनेता, मशहूर हस्तियां और अभिनेता भी शामिल होंगे। 1,000 करोड़ रुपये की इस परियोजना को पूरी तरह से वैश्विक स्तर पर भक्तों के दान से वित्त पोषित किया गया था। विज्ञप्ति में कहा गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द 13 फरवरी को रामानुज की प्रतिमा के भीतरी कक्ष का अनावरण करेंगे। इसमें कहा गया है कि 216 फीट की यह मूर्ति बैठने की मुद्रा में बनी सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक होगी।
मूर्ति का निर्माण 'पंचलोहा' से किया गया है, जो पांच धातु- सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का मिश्रण है।
1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में जन्मे रामानुजाचार्य ने इस मूलभूत विश्वास के साथ सामाजिक, सांस्कृतिक, लिंग, शैक्षिक और आर्थिक भेदभाव से लाखों लोगों को मुक्त किया। उन्होंने अत्यधिक भेदभाव के शिकार लोगों सहित सभी लोगों के लिए मंदिरों के दरवाजे खोल दिए। वह दुनिया भर के समाज सुधारकों के लिए समानता के एक कालातीत प्रतीक हैं। चिन्ना जीयर स्वामीजी ने कहा, हम स्टैच्यू आफ इक्वैलिटी के भव्य उद्घाटन के लिए मुख्य अतिथि, गणमान्य व्यक्तियों, भक्तों और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों सहित सभी का दिल से स्वागत करते हैं।
उन्होंने कहा कि रामानुजाचार्य 1,000 वर्षों से समानता के सच्चे प्रतीक बने हुए हैं और यह परियोजना सुनिश्चित करेगी कि उनकी शिक्षाओं का कम से कम 1,000 वर्षों तक अभ्यास किया जाए। हमारा मिशन स्टैच्यू आफ इक्वलिटी को दुनिया भर के लोगों के लिए सांस्कृतिक रूप से सर्वोपरि बनाना है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि परियोजना की आधारशिला 2014 में रखी गई थी। 'भद्र वेदी' नाम की 54 फीट ऊंची इमारत एक वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथों की एक शैक्षिक गैलरी, एक थिएटर और रामानुजाचार्य के कई कार्यों का विवरण देने वाली एक मजबूत बहु-भाषा आडियो यात्रा के लिए समर्पित है।