मोदी और पाक पीएम अब्बासी होंगे आमने-सामने, मुलाकात तो नहीं दुआ-सलाम मुमकिन
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, अब्बासी से मुलाकात को लेकर भारतीय खेमा इसलिए भी उदासीन है कि पाकिस्तान की तरफ से द्विपक्षीय रिश्ते को लेकर कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिया जा रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री एक बार फिर एक ही मंच पर होंगे, लेकिन इनके बीच विशेष मुलाकात के आसार बेहद कम हैं। हां, मौका मिलने पर दोनो नेता एक दूसरे का कुशल क्षेम पूछ सकते हैं। अगले हफ्ते (19 व 20 अप्रैल) को राष्ट्रमंडल देशों के राष्ट्र प्रमुखों की बैठक (चोगम) में पीएम नरेंद्र मोदी और पाक के पीएम शाहिद अब्बासी एक साथ होंगे। विदेश मंत्रालय के आला अधिकारी तो बताते हैं कि विशेष मुलाकात के आसार तो नहीं है, लेकिन जब दोनों नेता एक ही सम्मेलन में दो दिनों तक साथ साथ रहेंगे तो उनके बीच दुआ सलाम की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
दोनों नेताओं के बीच बातचीत होती है या नहीं यह बहुत कुछ शीर्ष नेताओं के बैठने की व्यवस्था पर भी निर्भर करेगा। अगर मोदी और अब्बासी की सीटें एक दूसरे के पास होती है तो बातचीत के आसार बढ़ जाएंगे। इसके अलावा दो दिनों तक चलने वाली इस बैठक में दो रात्रिभोज व दो दोपहर के भोज का आयोजन किया जाएगा। इन आयोजनों में सभी राष्ट्र प्रमुख होंगे और वहां का माहौल भी काफी खुला खुला सा होगा। इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ के साथ राष्ट्र प्रमुखों के साथ होने वाली बैठक का माहौल आम तौर पर काफी खुशनुमा माहौल में होता है। वहां सभी देशों के राष्ट्र प्रमुख घूम-घूम एक दूसरे से वार्ता करते हैं। ऐसे में बहुत संभव है कि मोदी और अब्बासी एक दूसरे से टकरा जाए। लेकिन जहां तक द्विपक्षीय वार्ता का सवाल है तो उसका अभी तक कोई सुझाव नहीं आया है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, अब्बासी से मुलाकात को लेकर भारतीय खेमा इसलिए भी उदासीन है कि पाकिस्तान की तरफ से द्विपक्षीय रिश्ते को लेकर कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिया जा रहा है। इसका एक उदाहरण हाल ही में संपन्न गुटनिरपेक्ष देशों के सम्मेलन में मिला। भारत ने इस बैठक में आतंकवाद का जिक्र जरूर किया, लेकिन पाकिस्तान पर सीधे तौर पर ह मला करने से परहेज किया गया।
दूसरी तरफ पाक पीएम के विशेष प्रतिनिधि डॉ. मुसादिक मसूद मलिक ने कश्मीर राग अलापने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अगर पाक पीएम अब्बासी अपने भाषण में लंदन में भी कुछ ऐसा ही रुख दिखाते हैं तो भारत के पास उसका उसी भाषा में जवाब देने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा। वैसे मोदी और अब्बासी चोगम के बाद शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में एक ही मंच पर होंगे। यह बैठक जून, 2018 में चीन में होने वाली है।