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ग्लासगो के अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन में हिस्सा लेंगे पीएम मोदी, भविष्य के लिए करेंगे नई घोषणाएं

Cop26 climate summit भारत पर्यावरण सुधार के लिए लगातार कदम उठा रहा है। लेकिन इस सिलसिले में चीन की मंशा संदिग्ध है। वहां के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का ग्लासगो सम्मेलन में भाग लेना अभी तय नहीं है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 09:31 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 09:56 PM (IST)
पर्यावरण सुधार के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देंगे पीएम मोदी

नई दिल्ली, रायटर। संयुक्त राष्ट्र के बैनर तले ब्रिटेन के ग्लासगो शहर में होने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिस्सा लेंगे। सम्मेलन में प्रधानमंत्री पर्यावरण सुधार के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देंगे और भविष्य के लिए नई घोषणाएं करेंगे। यह जानकारी गुरुवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने दी।

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भारत में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गैसों का सबसे ज्यादा उत्सर्जन करने वाला दुनिया का तीसरा देश है। भारत पर्यावरण सुधार के लिए लगातार कदम उठा रहा है। लेकिन इस सिलसिले में चीन की मंशा संदिग्ध है। वहां के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का ग्लासगो सम्मेलन में भाग लेना अभी तय नहीं है।

किसी अन्य देश के मुकाबले भारत की इच्छाशक्ति ज्यादा मजबूत

पर्यावरण मंत्री यादव ने कहा, पर्यावरण सुधार के लिए हमारी इच्छाशक्ति किसी अन्य देश के मुकाबले ज्यादा मजबूत है। भारत वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत विकसित करने की दिशा में लगातार कार्य कर रहा है। देश ने अक्षय ऊर्जा स्रोतों से 2030 तक 450 गीगावाट ऊर्जा पैदा करने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। वर्तमान में इन स्रोतों से 100 गीगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है।

भारत के प्रयासों का बोरिस जानसन ने सराहा: भूपेंद्र यादव

हाल ही में केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों को हाल में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन ने भी सराहा। पीएम मोदी से टेलीफोन वार्ता के दौरान उन्होंने भारत को अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया का अगुवा बताया था।

बता दें कि स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन को लेकर गुरुवार को जारी किए गए लैंसेट काउंटडाउन के आंकड़ों के मुताबिक भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में 2020 में गर्मी के चलते काम के घंटों में सबसे ज्यादा नुकसान दर्ज किया गया। 2020 में दुनिया भर में लगभग 295 बिलियन घंटे के करीब काम कम हुआ। ये करीब 88 घंटे प्रति व्यक्ति के बराबर है।


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