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PM Modi visit Dhaka: तीस्‍ता नदी और CAA पर गतिरोध के बावजूद भारत के लिए क्‍यों खास है बांग्‍लादेश

वर्ष 2019 में दोनों देशों के बीच संबंधों में तब तल्‍खी देखने को मिली जब मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून पारित किया। उस वक्‍त बांग्‍लादेश ने इस पर अपना विरोध जताया था। बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस कानून को गैरजरूरी बताया था।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 01:57 PM (IST)Updated: Wed, 17 Mar 2021 08:16 AM (IST)
PM Modi visit Dhaka: तीस्‍ता नदी और CAA पर गतिरोध के बावजूद भारत के लिए क्‍यों खास है बांग्‍लादेश
ऐतिहासिक होगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्‍लादेश यात्रा। फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली, ऑनलाइन डेस्‍क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय बांग्‍लादेश यात्रा कई मायने में उपयोगी और ऐति‍हासिक होगी। बता दें कि बांग्‍लादेश इस वर्ष अपनी आजादी के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्‍य में कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। यह आयोजन बांग्‍लादेश के निर्माता शेख मुजीब उर रहमान के सम्‍मान में हो रहा है। बांग्‍लादेश के इस राष्‍ट्रीय पर्व और उत्‍सव में पीएम मोदी भी हिस्‍सा लेंगे। प्रधानमंत्री मोदी 25 और 26 मार्च को ढाका में रहेंगे। आइए, जानते हैं दोनों देशों के बीच मतभेद के महत्‍वपूर्ण बिंदुओं को। आखिर भारत के लिए क्‍यों अहम है बांग्‍लादेश। 

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संबंधों में उतार-चढ़ाव के बावजूद दोनों देश के दूसरे के सहयोगी

किंग्‍स कॉलेज लंदन में विदेश और सामरिक मामलों के प्रोफेसर हर्ष वी पंत का मानना है कि बांग्‍लादेश के अस्तित्‍व में आने के बाद से ही दोनों देशों के बीच संबंधों में उतार-चढ़ाव तो जरूर आए, लेकिन दोनों एक-दूसरे के लिए महत्‍वपूर्ण बने रहे। भारत और बांग्‍लादेश के संबंध कभी भी चिंताजनक रूप से तनावपूर्ण नहीं रहे। दोनों देशों के बीच अलबत्ता परस्‍पर हितों और मुद्दों को लेकर समय-समय पर मतभेद पैदा होते रहे हैं। आखिर भारत और बांग्‍लादेश के बीच किन मुद्दों को लेकर मतभेद रहे हैं। आइए, जानते हैं इन 50 वर्षों में भारत-बांग्‍लादेश के बीच सौहार्द और विवाद की बड़ी वजहें। 

तल्‍ख हुए रिश्‍ते

1- नागरिकता संशोधन कानून पर तल्‍ख हुए रिश्‍ते

वर्ष 2019 में दोनों देशों के बीच संबंधों में तब तल्‍खी देखने को मिली, जब मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून पारित किया। उस वक्‍त बांग्‍लादेश ने इस पर अपना विरोध जताया था। बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस कानून को गैरजरूरी बताया था। इसके बाद बांग्‍लादेश ने दोनों देशों के बीच प्रस्‍तावित द्विपक्षीय दौरे और मुलाकात कार्यक्रमों को भी रद कर दिया था। शेख हसीना ने कई महीनों तक भारत के उच्‍चायुक्‍त से भी मुलाकात करने से इन्‍कार कर दिया था। हालांकि, इस कानून को लेकर भारत की शुरू से दलील रही है कि यह उसके देश का आतंरिक मामला है। इसमें किसी अन्‍य देश को हस्‍तक्षेप नहीं करना चाहिए। 

2- तीस्‍ता नदी के जल बंटवारे को लेकर विवाद

तीस्‍ता नदी के जल बंटवारे को लेकर भी दोनों देशों के बीच विवाद बना हुआ है। वर्ष 2019 में दोनों देशों के बीच वर्चुअल बैठक में व्‍यापार और निवेश पर चर्चा हुई, लेकिन तीस्‍ता नदी पर कोई वार्ता नहीं हुई थी। दोनों देशों के लिए तीस्‍ता नदी जल बंटवारा उतना आसान नहीं है। यह थोड़ा जटिल है। दरअसल, तीस्‍ता नदी में पश्चिम बंगाल सरकार भी एक महत्‍वपूर्ण क‍िरदार है। पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए तीस्‍ता नदी जीवन रेखा है। पश्चिम बंगाल का कहना है कि तीस्‍ता नदी का जल बांग्‍लादेश के साथ बांटा जाएगा तो फ‍िर पश्चिम बंगाल में सूखे की स्थिति पैदा हो जाएगी। एक खास बात यह है कि दोनों ही देशों में चारों मौसम में फसल लगाई जा रही है। इसके लिए तीस्‍ता नदी का जल बेहद उपयोगी है। ऐसे में तीस्‍ता नदी का विवाद आसानी से सुलझता हुआ नहीं दिखता है।

बांग्‍लादेश के अस्तित्‍व में भारत की अहम भूमिका

बता दें कि वर्ष 1971 में बांग्‍लादेश की आजादी में भारतीय सेना की महत्‍वपूर्ण भूमिका थी। बांग्‍लादेश में पाकिस्‍तान की सेना ने तत्‍कालीन भारतीय सेना के जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्‍मसमर्पण किया था। इसके बाद ही बांग्‍लादेश आजाद हुआ। एक नया देश बांग्‍लादेश अस्तित्‍व में आया। इन संबंधों और भारतीय सेना के योगदान को देखते हुए इस वर्ष 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस के मौके पर बांग्‍लादेश सेना की एक टुकड़ी ने भी हिस्‍सा लिया था।  


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