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डब्ल्यूएचओ भारत में स्थापित करेगा पारंपरिक औषधि का वैश्विक केंद्र, पीएम मोदी बोले- देश के लिए गर्व की बात

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आयुर्वेद भारत की विरासत है। इसके मूल में ही मानवजाति की भलाई है। कोरोना महामारी के दौरान भारत के आयुर्वेद का ज्ञान दुनिया के लिए काफी मददगार साबित हुआ।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 04:53 PM (IST)Updated: Fri, 13 Nov 2020 08:08 PM (IST)
डब्ल्यूएचओ भारत में स्थापित करेगा पारंपरिक औषधि का वैश्विक केंद्र, पीएम मोदी बोले- देश के लिए गर्व की बात
पीएम मोदी ने कहा कि इससे शोध में मिलेगा बढ़ावा

नई दिल्ली, जेएनएन। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत में एक वैश्विक पारंपरिक औषधि केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि भारत जिस तरह वैश्विक औषधि निर्माता देश के रूप में उभरा है उसमें डब्ल्यूएचओ के इस वेलनेस केंद्र से उसकी साख और मजबूत होगी। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहैनम घेब्रेयसस ने शुक्रवार को जयपुर और जामनगर में दो आयुर्वेदिक केंद्रों को राष्ट्रीय केंद्र का दर्जा दिये जाने के अवसर पर वैश्विक सेंटर की स्थापना की घोषणा एक वीडियो संदेश में की। पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात के जामनगर में इंस्टीट्यूट ऑफ टी¨चग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद (आइटीआरए) और जयपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद (NIA) का उद्घाटन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया।

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ये संस्थान देश के सबसे अहम आयुर्वेद संस्थानों का स्वरूप लेंगे। संसद में पारित एक एक्ट के अनुसार जामनगर का संस्थान राष्ट्रीय महत्व का संस्थान (INI) होगा जबकि जयपुर के संस्थान को यूजीसी ने विश्वविद्यालय का दर्जा दिया है।

अपने संदेश में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने कहा कि मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि हम लोग भारत में पारंपरिक और पूरक चिकित्सा के एक ग्लोबल सेंटर की स्थापना पर सहमत हुए हैं। इस केंद्र की स्थापना पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को विकसित करने के लिए डब्ल्यूएचओ के 2014 से 2023 तक चलाए जा रहे विशेष अभियान का हिस्सा होगी। आयुर्वेद जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति लोगों के लिए बहुत कारगर हो सकती है लेकिन दुनिया के लोगों ने इस पर बहुत कम ध्यान दिया। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने आयुष्मान भारत जैसी कल्याणकारी योजना के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया।

पीएम मोदी बोले, आयुर्वेद भारत की है विरासत 

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आयुर्वेद भारत की विरासत है। इसके मूल में ही मानवजाति की भलाई है। कोरोना महामारी के दौरान भारत के आयुर्वेद का ज्ञान दुनिया के लिए काफी मददगार साबित हुआ। भारत की नई शिक्षा नीति में एलोपैथी के डाक्टर को आयुर्वेद तथा आयुर्वेद के डाक्टर को एलोपैथी का ज्ञान दिया जाएगा। उन्होंने कहा, कोरोना काल में भारत की आयुर्वेद पद्धति का विश्व में प्रभाव बढ़ा है, आयुर्वेद दवा के निर्यात में बढ़ोतरी हुई। आज दुनिया के कई देश हल्दी व अदरक जैसे मसालों से निíमत दवाओं का भारत से आयात कर रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के लिए भारत को चुनने पर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक को धन्यवाद देते हुए मोदी ने कहा भारत के पास आयुर्वेद की बहुत बड़ी विरासत है। यह ज्ञान शास्त्रों में ही रहा जिसे अब आधुनिक जरूरत के अनुसार विकसित करना जरूरी है।

कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, इस समारोह में शामिल हुए। रुपाणी ने कहा कि समुद्र मंथन से लोगों का दुख दूर करने के लिए धन्वंतरि का जन्म हुआ। आयुर्वेद संस्थान दुनिया में आयुर्वेद पर शोध, उपचार व शिक्षा का अहम केंद्र बनेगा।

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि उम्मीद है कि एनआइए को मानद विवि का दर्जा देने से और भी लाभ होगा। केंद्रीय आयुर्वेद मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा कि अभी देशभर में 5 लाख आयुर्वेद चिकित्सक हैं आने वाले समय में इस संख्या में बढ़ोतरी होगी।


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