Move to Jagran APP

PM Modi Oath Ceremony: बार-बार चुने गए विश्व के कई नेताओं से बड़ा मोदी का कीर्तिमान, पंडित नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी की

PM Modi Oath Ceremony सिर्फ भारत ही नहीं लगातार तीन सफल कार्यकाल की बात करें तो मोदी ने विश्वभर के तमाम उन बड़े और लोकप्रिय नेताओं से भी आगे कीर्तिमान रच डाला है जो बार-बार चुने गए। नेहरू तीन बार प्रधानमंत्री तो रहे लेकिन उससे पहले वह किसी निर्वाचित राज्य सरकार के मुखिया नहीं रहे जबकि मोदी 2001 से लेकर 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Sun, 09 Jun 2024 10:12 PM (IST)
PM Modi Oath Ceremony: बार-बार चुने गए विश्व के कई नेताओं से बड़ा मोदी का कीर्तिमान, पंडित नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी की
नरेंद्र मोदी 2014, 2019 के बाद 2024 में प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। PM Modi Oath Ceremony: 'मैं शपथ लेता हूं...' राष्ट्रपति भवन के सभागार में जैसे ही यह शब्द प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के मुंह से निकले, इन शब्दों ने इतिहास रच दिया। लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बनने के मामले में बेशक उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) के रिकार्ड की बराबरी की है, लेकिन सतत राज्य और फिर केंद्र की सरकार के मुखिया के तौर पर इतने लंबे कार्यकाल के मामले में पीएम मोदी इकलौते नेता हैं।

सिर्फ भारत ही नहीं, लगातार तीन सफल कार्यकाल की बात करें तो मोदी ने विश्वभर के तमाम उन बड़े और लोकप्रिय नेताओं से भी आगे कीर्तिमान रच डाला है, जो बार-बार चुने गए। नेहरू तीन बार प्रधानमंत्री तो रहे, लेकिन उससे पहले वह किसी निर्वाचित राज्य सरकार के मुखिया नहीं रहे, जबकि मोदी 2001 से लेकर 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे।

फिर 2014, 2019 के बाद 2024 में प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं। अब तक जवाहरलाल नेहरू लगातार तीन चुनाव जीतने वाले एकमात्र भारतीय प्रधानमंत्री थे। एएनआई के अनुसार, नेहरू को 1952 के चुनाव में 45 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 1957 में बढ़कर 47.8 प्रतिशत हो गया। लेकिन 1963 के चुनाव में वोट शेयर घटकर 44.7 प्रतिशत रह गया।

पीएम मोदी के वोट शेयर में निरंतरता बनी हुई है। 2014 में भाजपा ने 31.3 प्रतिशत वोट हासिल किया, जबकि 2019 में यह 37.7 प्रतिशत हो गया और 2024 के चुनाव में मामूली रूप से घटकर 36.6 प्रतिशत रह गया। भाजपा ने राजग का हिस्सा रहते हुए 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल किया।

2019 में पीएम मोदी की जीत की तुलना अक्सर राजीव गांधी की 1984 की जीत से की जाती है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के कारण उत्पन्न सहानुभूति लहर के बाद राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 49 प्रतिशत वोट हासिल किया और 414 सीटें जीतीं। 2019 में पीएम मोदी ने 45 प्रतिशत वोट हासिल किया और भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 353 सीटें हासिल कीं।

यही नहीं, विश्वभर के लोकप्रिय नेताओं के कार्यकाल पर नजर डालें तो यहां भी पीएम मोदी नया इतिहास रचते दिखाई देते हैं। यदि लोकतांत्रिक देशों के नेताओं के रिकार्ड पर नजर डालें तो कनाडा के प्रधानमंत्री के तौर पर पियरे ट्रूडो 1968, 1972 और 1974 में लगातार तीन बार चुने तो गए, लेकिन अपना दूसरा कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे और चुनाव में उतरना पड़ा।

कनाडा के ही जस्टिन ट्रूडो भी तीन बार 2015, 2019 और 2021 में चुने जाने के बाद वर्तमान में प्रधानमंत्री हैं, लेकिन अपना दूसरा कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे। लगातार तीन चुनाव जीतने वालों में जापान के शिंजो एबी, ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर जैसे सभी नेताओं को मध्यावधि चुनाव का सामना करना पड़ा। वहीं, कुछ नेता जो लगातार तीन उससे अधिक बार जीते भी तो वोट शेयर में गिरावट ने उनकी लोकप्रियता में गिरावट को भी स्पष्ट दर्शाया

तीन बार जीतने के मामले में रूजवेल्ट और मर्केल के बराबर

एएनआई के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में एक नेता के रूप में पीएम मोदी की लोकप्रियता पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट के करीब है, जिन्होंने 1932 से 1944 तक चार बार राष्ट्रपति चुनाव जीते। सभी चुनावों में उनका वोट प्रतिशत काफी हद तक एक जैसा रहा। रूजवेल्ट ने अपना पहला चुनाव 1932 में 57.4 प्रतिशत वोट के साथ जीता और 1944 में अपना आखिरी चुनाव 53.4 प्रतिशत के साथ जीता।

रूजवेल्ट दो से अधिक कार्यकाल वाले अंतिम अमेरिकी राष्ट्रपति थे। पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल की तुलना पूर्व जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की सफलता से भी की जा सकती है, जिन्होंने 2005 से 2017 तक लगातार चार चुनाव जीते। हालांकि, 2009 और 2017 में उनका वोट शेयर गिरा। आधुनिक सिंगापुर के संस्थापक ली क्वान यू ने 1968 और 1988 के बीच लगातार छह चुनाव जीते और उनके दूसरे, चौथे और पांचवें कार्यकाल में उनका वोट शेयर कम हो गया। ली क्वान यू ने 1968 का चुनाव 86.7 प्रतिशत वोट के साथ जीता था और 1988 में उन्हें 63.1 प्रतिशत वोट के साथ जीत मिली।