'वंदे भारत' में सफर कर हुआ गर्व का अनुभव, पीएम मोदी ने हरी झंडी दिखाकर किया उद्घाटन
हमारे इंजीनियरों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और डेढ़ साल के रिकार्ड समय में दुनिया का सबसे सस्ता ट्रेन सेट तैयार किया है।
संजय सिंह, वंदे भारत ट्रेन से। आखिरकार देश की पहली अपनी सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत का आज आधिकारिक उद्घाटन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली स्टेशन से ट्रेन 22436 अप को हरी झंडी दिखाकर वाराणसी के लिए रवाना किया। इस अवसर पर रेलमंत्री पीयूष गोयल, वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी तथा वाराणसी के कुछ स्थानीय नेताओं के अलावा रेलवे बोर्ड के अधिकारी तथा अन्य चुनिंदा आमंत्रित अतिथि उपस्थित थे।
पुलवामा आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री की सुरक्षा के मद्देनजर कार्यक्रम को संक्षिप्त कर दिया गया था। पीएम ने गोयल के साथ ट्रेन के इंजन केबिन में जाकर उसकी सुविधाओं का निरीक्षण भी किया और चालक दल तथा यात्रियों को सकुशल यात्रा की शुभकामनाएं दीं। बाद में उन्होंने प्लेटफार्म से हाथ हिला कर ट्रेन में बैठे यात्रियों का इस्तेकबाल किया।
रेलमंत्री गोयल ने किया सफर
रेलमंत्री गोयल तथा मुरली मनोहर जोशी ने अन्य लोगों के साथ वंदे भारत में सफर किया। इस दौरान गोयल ने हर कोच में जाकर सबसे मुलाकात-बात की। उन्होंने कहा कि ये ट्रेन देश की शान है। प्रधानमंत्री चाहते थे कि देश में आधुनिक तकनीक से लैस विश्व स्तरीय ट्रेन सेट बनाए जाएं। हमारे इंजीनियरों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और डेढ़ साल के रिकार्ड समय में दुनिया का सबसे सस्ता ट्रेन सेट तैयार किया है। पूरी 130 किमी की स्पीड पर ट्रेन अच्छे से चल रही है। आगे इसकी स्पीड बढ़ाकर 160 किमी और अन्ततः 180 किमी पर चलाया जाएगा। ऐसी 30 ट्रेने और बनाने के टेंडर दे दिए गए हैं। जबकि 100 और ट्रेने बनाने की योजना है। इस तरह कुल 130 वंदे भारत चलाई जाएंगी। सारी ट्रेनों को चार महानगरों को जोड़ने वाले स्वर्णिम चतुर्भुज पर चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम भारतीय रेल के सभी प्रमुख मार्गों पर ट्रैक का उन्नयन करके 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के अनुकूल बनाऐंगे। इस क्रम में पहले स्वर्णिम चतुर्भुज एवं तियर्क मार्गों की गति बढ़ाई जाएगी।
किराया गतिमान, राजधानी से कम
रेलवे बोर्ड के सदस्य, यातायात गिरीश पिल्लई ने बातचीत के दौरान कहा कि वंदे भारत को शुरू में शताब्दी की जगह शताब्दी के रूटों पर चलाया जाएगा। बाद में प्रमुख महानगरों के बीच इंटरसिटी रूटों पर इसका संचालन होगा। उन्होंने कहा कि वंदे भारत के किराए को लेकर लोगों में भ्रम है। वास्तव में इसका किराया शताब्दी से ज्यादा किन्तु गतिमान, राजधानी के किरायों और सुविधा ट्रेनो के फ्लेक्सी किरायों के मुकाबले कम है। गतिमान का किराया शताब्दी से 45 फीसद ज्यादा है । जबकि वंदे भारत का किराया चेयरकार में 40 फीसद और एग्जेक्युटिव क्लास में केवल 30 फीसद ज्यादा है। राजधानी का दिल्ली-इलाहाबाद का थर्ड एसी का किराया 1620 रुपये, जबकि वंदे भारत का 1240 रुपये है । इसी तरह राजधानी का फर्स्ट क्लास का किराया 2680 रुपये है, जबकि वंदे भारत का एक्जीक्यूटिव क्लास का किराया केवल 2550 रुपये है।
वंदे भारत की सारी सीटें हुई बुक
पिल्लई के अनुसार ट्रेन के किराए को लेकर लोगों को कोई शिकायत नहीं है। इसका अंदाजा इसकी 17 फरवरी को होने वाली पहली कमर्सियल यात्रा के लिए हुई जोरदार बुकिंग से लगाया जा सकता है। बृहस्पतिवार को सुबह आठ बजे खुली बुकिंग में शुक्रवार को सुबह 11 बजे तक ही पूरी ट्रेन बुक हो गई थी।
रास्ते भर उत्साहित दिखे लोग
वंदे भारत के प्रति आम जनता में जबरदस्त कौतूहल और उत्साह देखने को मिला। हर स्टेशन, कस्बे, शहर से गुजरते वक्त लोग ट्रेन को देखने के लिए लाइन लगाए दिखाई दिए। साथ ही मोबाइल फोन से तस्वीरें खींचने की होड़ सी थी। कई घरों में लोग, खासकर स्त्रियां बालकनी से वीडियो बनाते देखे जा सकते थे।
पत्रकारों का अनुभव
जहाँ तक ट्रेन के भीतर के अनुभव की बात है तो अभी ट्रेन स्पीड पकड़ने पर कहीं कम तो कहीं कहीं ज्यादा कंपन करती है। जबकि कुछ जगहों पर एकदम शांत होकर चलती है।अधिकारियों ने इसके लिए ट्रैक को जिम्मेदार ठहराया, जिसकी स्थिति शहरों के आसपास ठीक नहीं है। शहर के बाहर निकलते ही ट्रेन का अनुभव बेहतर हो जाता है। ट्रेन के भीतर सुविधाएं निसंदेह शानदार हैं। लेकिन चेयरकार की सीटों में पुशबैक की कमी सभी ने महसूस की। चेयरकार की सीटें आठ घंटे के सफर के लिहाज से शताब्दी के मुकाबले कठोर भी हैं। अधिकारियों ने यात्रियों के फीडबैक के आधार पर कमियों को दूर किए जाने का आश्वासन दिया है।