मोदी के हाथों देश को मिला जंगी पोत विक्रमादित्य
प्रणय उपाध्याय [आइएनएस विक्रमादित्य से]। भारत के सैन्य सशक्तीकरण पर अपनी प्राथमिकता स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का सबसे नया और विशालतम युद्धपोत आइएनएस विक्रमादित्य राष्ट्र को समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री बनने के बाद राजधानी दिल्ली के बाहर पहले कार्यक्रम में सीधे विक्रमादित्य पर पहुंचे मोदी ने नौसेना की मजबूती को देश की आर्थिक प्रगति की बड़ी जरूरत करार दिया।
प्रणय उपाध्याय [आइएनएस विक्रमादित्य से]। भारत के सैन्य सशक्तीकरण पर अपनी प्राथमिकता स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का सबसे नया और विशालतम युद्धपोत आइएनएस विक्रमादित्य राष्ट्र को समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री बनने के बाद राजधानी दिल्ली के बाहर पहले कार्यक्रम में सीधे विक्रमादित्य पर पहुंचे मोदी ने नौसेना की मजबूती को देश की आर्थिक प्रगति की बड़ी जरूरत करार दिया।
आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास को देश की सैन्य ताकत के लिए मजबूती का मंत्र बताते हुए मोदी ने कहा कि भारत किसी को आंखें दिखाने का सपना नहीं रखता लेकिन आंखें झुकाने को भी तैयार नहीं होगा। हम दुनिया की बड़ी से बड़ी ताकत से आंख मिलाकर बात करने का हौसला रखता है।
नौनुक तूफान का असर दिखा रहे अरब सागर में तेज हवाओं और रह-रहकर आती बारिश से अप्रभावित प्रधानमंत्री ने 44,500 टन वजनी जंगी विमानवाहक पोत पर करीब चार घंटे बिताए। लड़ाकू विमानों और आधुनिक युद्धक प्रणालियों से लैस आइएनएस विक्रमादित्य भारतीय नौसेना के जवानों को समर्पित करते हुए मोदी ने इसे भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम पन्ना करार दिया। रूस से 15हजार करोड़ रुपये की लागत और दस साल की कोशिश के बाद आए युद्धपोत पर पहुंचे पीएम ने इस बात पर खासा जोर दिया कि आजादी के साठ दशक बाद भारत को अगर सैन्य जरूरतों के लिए आयात करना पड़ता है तो यह ठीक नहीं है। इस स्थिति से जल्द बाहर आना जरूरी है।
'समंदर में एक दिन' बिताने आए प्रधानमंत्री मोदी ने एक दर्जन नौसैनिक युद्धपोतों व मिग-29के युद्धक विमानों का शक्ति प्रदर्शन देखने के बाद इस कार्यक्रम के बहाने सैनिक सशक्तीकरण पर देश के सैन्य नेतृत्व को अपना नजरिया भी जता दिया। भारतीय सैनिकों के हौसले और जज्बे को सलामी देने के साथ ही नमो ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक व एक रैंक एक पेंशन जैसे मुद्दों पर दृढ़ता से आगे बढ़ने का भी संकल्प जताया। इन मुद्दों पर पिछली सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए मोदी ने कहा कि जाने क्यों, पहले वाले लोगों ने इन कामों को क्यों नहीं किया?
सैन्य क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास को बेहद अहम बताते हुए विक्रमादित्य पर तैनात जवानों व अधिकारियों से मुखातिब प्रधानमंत्री ने हौसला अफजाई के साथ ही चुनौतियों से निपटने के लिए तैयारियों पर भी जोर दिया। सत्ता में आने के बाद आर्थिक विकास पर खासा जोर दे रहे मोदी ने रक्षा क्षेत्र में निर्यात की संभावनाएं बढ़ाने के भी संकेत दिए। पीएम ने कहा कि देश में सैन्य आत्मनिर्भरता के साथ ही दुनिया के छोटे देशों के बीच भी भारतीय सैन्य उत्पाद क्षमता का भरोसा बनना चाहिए।
नौसेना और तटीय सुरक्षा को भारत की अहम जरूरत बताते हुए पीएम ने समुद्र तट से जुड़े राज्यों में युवाओं को निगरानी कार्यक्रम से जोड़ने को कहा। उन्होंने तटीय इलाकों में एनसीसी की नौसेना विंग से युवाओं को जोड़ने तथा सूचना संकलन में इस नेटवर्क के इस्तेमाल की योजना पर भी जोर दिया। पीएम ने भारत की आर्थिक प्रगति के लिए नौसैनिक मजबूती को बेहद अहम करार दिया।
बारिश ने किया नौसेना की तैयारियों को किरकिरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे अपनी ताकत की नुमाइश में नौसेना की तैयारियों को बारिश ने बदमजा कर दिया। विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य पर चार घंटे का वक्त बिताने के बावजूद प्रधानमंत्री के आगे इस जंगी जहाज से न तो कोई लड़ाकू विमान उड़ान भर सका और न ही उतारा जा सका।
हालांकि निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक पीएम के आगे नौसैनिक शक्ति प्रदर्शन के लिए ध्वंसक पोत तेग व तरकश से गोलाबारी के साथ ही अग्रिम पंक्ति के 10 जंगी जहाजों की सलामी भी हुई। इस कड़ी में नौसैनिक विमानों का फ्लाईपास्ट जरूर हुआ। साथ ही मिग-29के लड़ाकू विमान ने युद्धपोत के फ्लाइट रन-वे को छूते हुए उड़ानें भी भरी। लेकिन 34 विमानों से लैस युद्धपोत पर शनिवार को लैंडिंग हुई तो केवल आवाजाही के लिए इस्तेमाल हुए हेलीकॉप्टरों की।
दिल्ली से गोवा पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी को भी नौसेना के सीकिंग हेलीकॉप्टर से विक्रमादित्य पर लाया गया। नौसेना सूत्रों के मुताबिक खराब मौसम और सुरक्षा कारणों में कोई जोखिम न उठाते हुए युद्धपोत पर लड़ाकू विमानों की लैंडिंग व उड़ान का संचालन नहीं किया गया।
वैसे छह महीने पहले भारत पहुंचे इस रूसी मूल के विमानवाहक पोत से युद्धक विमानों की उड़ान के लिए केवल एक दर्जन पायलट ही प्रशिक्षित किए जा सके हैं। वहीं तीन महीने पहले प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने वाले पायलटों का दस्ता अभी रात के वक्त इस युद्धपोत से लड़ाकू विमानों को उड़ा व उतार नहीं पा रहा है। ऐसे में एक दशक के इंतजार और पंद्रह हजार करोड़ रुपये की लागत से आए युद्धपोत की पूरी क्षमताओं के इस्तेमाल को लेकर संशय के कुछ सवाल अभी बाकी हैं।
महत्वपूर्ण है कि विक्रमादित्य युद्धपोत को हवाई हमले के खिलाफ अपना एयर डिफेंस सिस्टम अभी तक नहीं मिला है। वहीं देश के सबसे बड़े युद्धपोत विक्रमादित्य पर हवाई हमले से मुकाबले के लिए कौन सी हवाई रक्षा प्रणाली होगी, यह अभी तय ही नहीं है। सूत्रों केअनुसार इसके लिए इजराइल से खरीदी जाने वाली बराक और रूसी श्टील मिसाइल प्रणाली में अभी चयन होना बाकी है।
विक्रमादित्य की खूबियांलंबाई-
282 मीटर, चौड़ाई 60 मीटर यानी कुल तीन फुटबॉल मैदानों के बराबर
ऊंचाई-
निचले छोर से उच्चतम शिखर तक 20 मंजिल और वजन 44500 टन
इस्पात का तैरता शहर
एक बार में 1600 से अधिक लोग होंगे तैनात, 8000 टन वजन ले जाने में सक्षम 181300 किमी के दायरे में किसी सैन्य अभियान के संचालन में सक्षम 18 इसमें बनेगी 18 मेगावाट बिजली, जो किसी छोटे शहर के लिए काफी है
ताकत का दस्तखत
-आठ स्टीम बॉयलर देंगे इसे 1,80,000 एसएचपी की ताकत
-समंदर के सीने पर 60 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार
-आधुनिक रडार व निगरानी प्रणाली से लैस विक्रमादित्य 500 किमी के दायरे में किसी भी हलचल को पकड़े में सक्षम
-तैनात होंगे मिग-29के/सी हैरियर, कामोव-31, कामोव-28, ध्रुव व चेतक हेलीकॉप्टर समेत 30 विमान
-इस पर खड़े चौथी पीढ़ी के मिग-29 के लड़ाकू विमान 700 किमी के दायरे में कर सकते हैं मार, पोत ध्वंसक मिसाइल, हवा से हवा में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र और गाइडेड बमों से होंगे लैस
-इस पर लगा माइक्रोवेव लैंडिंग सिस्टम सटीक तरीके से विमानों की उड़ान व लैंडिंग के संचालन में सक्षम।