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1975 इमरजेंसी मामले पर केंद्र को SC का नोटिस, 45 साल बाद इस मुद्दे पर विचार हो या नही; कोर्ट करेगा फैसला

25 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए 1975 के आपातकाल को असंवैधानिक घोषित करने की अपील की गई है। यह अपील वीरा सरीन नामक महिला ने कही है। दरअसल आपातकाल के दौरान उनकी संपत्‍ति जब्‍त कर ली गई थी।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 10:11 AM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 05:00 PM (IST)
1975 के आपातकाल में जब्‍त संपत्‍ति के लिए मुआवजे की भी मांग

नई दिल्ली, जेएनएन।  सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को  इंदिरा गांधी सरकार द्वारा 1975 में घोषित आपातकाल को असंवैधानिक घोषित करने की मांग पर केंद्र को नोटिस जारी कर दिया । सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'देखना होगा कि 45 साल बाद इस मुद्दे पर विचार हो सकता है कि नही।'  दरअसल, कोर्ट में 1975 के आपातकाल (Emergency) को असंवैधानिक (Unconstitutional) घोषित करने व 25 करोड़ रुपये के मुआवजे वाली एक याचिका दर्ज की गई है। यह याचिका वीरा सरीन (Vera Sarin) नामक महिला ने दर्ज की है। इसमें उन्होंने आपातकाल के दौरान अपनी संपत्ति जब्त किए जाने के एवज में मुआवजे की मांग रखी है।

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वीरा सरीन के पक्ष से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्‍वे (Harish Salve) हैं। सुनवाई के दौरान एडवोकेट हरीश साल्‍वे ने कहा, 'हमें इतिहास में दोबारा झांकना होगा और देखना होगा कि उस वक्‍त चीजें सही थीं या नहीं।' उन्‍होंने कहा, 'यदि इतिहास को सही नहीं किया गया तो यह खुद को दोहराता है। कृपया इस मामले पर गौर करें।'

आपातकाल के दौरान जब्‍त की गई संपत्‍ति के लिए मुआवजे की मांग और इसे असंवैधानिक घोषित करने वाले मामले की सुनवाई जस्‍टिस संजय किशन कौल (Justice Sanjay Kishan Kaul) की अगुवाई वाली बेंच कर रही है। इस बेंच में जस्‍टिस दिनेश माहेश्‍वरी (Dinesh Maheshwari) और ऋषिकेश रॉय (Hrishikesh Roy) शामिल हैं। 

याचिका में वीरा सरीन ने कहा कि उन्‍हें और उनके पति को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। उन्‍हें धमकी दी गई कि यदि वे देश में रहे तो जेल में डाल दिए जाएंगे। देश में आपातकाल के 45 साल व इसके हटाए जाने के 43 साल बाद सुप्रीम कोर्ट में 94 वर्षीय वीरा सरीन ने याचिका दर्ज की। यह आपातकाल 25 जून 1975 की मध्‍यरात्रि से लागू किया गया था और मार्च 1977 में इसे हटाया गया था।

याचिका में वीरा सरीन ने चार दशक पहले लगाए गए आपातकाल में अपने और बच्चों को हुए नुकसान के भरपाई की मांग की है। इस क्रम में उनका अच्‍छा खासा चल रहा बिजनेस ठप हो गया था। याचिका के अनुसार, तत्कालीन सरकार ने उनके पति और उन पर ‘अनुचित और मनमाने ढंग से गिरफ्तारी के आदेश’ जारी किए जिसके कारण मजबूरन उन्हें देश छोड़ना पड़ा। 

वीरा सरीन ने याचिका में कहा है कि उनके पति का निधन इसी दबाव को नहीं सह पाने के कारण हुआ। उन्‍होंने बताया कि तब से वह अकेले ही इन सब अत्‍याचारों को बर्दाश्‍त कर रही हैं। वर्ष 2014 में मामले में यह मामला खत्‍म कर दिया गया था लेकिन उनकी संपत्‍ति उन्‍हें वापस नहीं मिली। वर्ष 1957 में वीरा और एचके सरीन की शादी हुई। उनका करोल बाग व कनॉट प्‍लेस में कला व रत्न का बिजनेस था। आपातकाल के दौरान उनकी संपत्‍ति को सरकार ने अवैध तौर पर कब्‍जे में ले लिया था। अब देहरादून में बेटे के साथ रहने वाली वीरा सरीन अपने उस संपत्‍ति के लिए मुआवजे की मांग कर रही हैं। 


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