प्रदूषण को कम करने के लिए रेलवे स्टेशनों पर लगेंगी प्लास्टिक बॉटल क्रशिंग मशीनें
दुनिया भर में प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बहुत बड़े खतरे के रूप में सामने आया है। भारतीय रेलवे भी इस खतरे से अछूती नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में प्लास्टिक कचरे के बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए रेलवे ने रेल नीर तथा प्लास्टिक की अन्य बोतलों को रिसाइकल करने के मकसद से देश के प्रमुख 2000 स्टेशनों पर प्लास्टिक बॉटल क्रशिंग मशीने लगाने का निर्णय लिया है।
इस आशय के राइट्स के प्रस्ताव को रेलवे बोर्ड ने मंजूरी दे दी है। राइट्स ने बोर्ड से बॉटल क्रशिंग मशीनों की आपूर्ति, स्थापना, संचालन तथा रखरखाव करने वाली फर्मो का चयन करने के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंसी एजेंसी की नियुक्ति की अनुमति मांगी थी।
दुनिया भर में प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बहुत बड़े खतरे के रूप में सामने आया है। भारतीय रेलवे भी इस खतरे से अछूती नहीं है। रेलवे रेल नीर के लिए बड़े पैमाने पर प्लास्टिक बोतलों का उपयोग करती है। इसके अलावा स्टेशनों पर बिकने वाले पेयों में भी प्लास्टिक बोतलों का प्रयोग होता है। इन बोतलों को रेल यात्री उपयोग करने के बाद इधर-उधर फेंक देते हैं। अभी इन बोतलों का निस्तारण मैन्युअल ढंग से होता है। प्लास्टिक क्रशिंग मशीने इस प्रक्रिया को ऑटोमैटिक करेंगी जिससे निस्तारण प्रक्रिया में तेजी आएगी।
पहले चरण में राइट्स की ओर से 17 जोनो और 70 डिवीजनों से संबंधित 2000 चुनिंदा रेलवे स्टेशनों पर इन मशीनों को लगाने का प्रस्ताव किया गया है। इसके लिए फर्मो को आठ-आठ वर्षो के अनुबंध दिए जाएंगे। फर्मो का चयन पारदर्शी बोली प्रक्रिया के जरिए होगा। छोटे स्टेशनों पर मशीने लगाने के लिए सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों को कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलटी (सीएसआर) के तहत पैसा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।