IIT Bombay में घटी प्लेसमेंट की दर, जानिए क्या है देश के अन्य आईआईटी संस्थानों की स्थिति
IIT Bombay Placement उच्च शिक्षा (एमटेक) या स्टार्टअप स्थापना की वजह से बहुत से छात्र प्लेसमेंट में शामिल ही नहीं होते हैं। आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत के अनुसार प्लेसमेंट कम होने का कारण छात्रों का रुझान कोर इंडस्ट्री की तरफ कम होना भी है। बॉम्बे आइआइटी की तुलना में अन्य संस्थानों की स्थिति बेहतर मानी जा सकती है।
जागरण टीम, नई दिल्ली। इस आईआईटी बॉम्बे में प्लेसमेंट दर अभी तक सिर्फ 64 प्रतिशत रही है। यानी 36 प्रतिशत छात्रों को नौकरियां नहीं मिली हैं। पिछले वर्ष भी 32.8 प्रतिशत छात्र बिना नौकरी के रह गए थे। इसके कारण माने जा रहे हैं।
कोर इंडस्ट्री की तरफ कम हो रहा छात्रों का रुझान
उच्च शिक्षा (एमटेक) या स्टार्टअप स्थापना की वजह से बहुत से छात्र प्लेसमेंट में शामिल ही नहीं होते हैं। आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत के अनुसार प्लेसमेंट कम होने का कारण छात्रों का रुझान कोर इंडस्ट्री की तरफ कम होना भी है।
बॉम्बे आइआइटी की तुलना में अन्य संस्थानों की स्थिति बेहतर मानी जा सकती है। जैसे आइआइटी मंडी में 2021-22 के मुकाबले 2022-23 में प्लेसमेंट में करीब चार प्रतिशत की कमी तो आई है, लेकिन यह 94 प्रतिशत से ज्यादा है।
आइआइटी रुड़की में 2023-24 में अब तक 65 प्रतिशत कैंपस प्लेसमेंट हुआ
आइआइटी इंदौर में भी प्लेसमेंट दर 90 प्रतिशत से अधिक है। हालांकि 2021-22 के मुकाबले 2022-23 में करीब चार प्रतिशत की कमी आई है। बात अगर कानपुर आइआइटी की करें तो यहां स्थिति बेहतर है और ऑफर ज्यादा आ रहे हैं।
आइआइटी रुड़की में 2023-24 में अब तक 65 प्रतिशत कैंपस प्लेसमेंट हुआ है। यहां अभी प्लेसमेंट जारी है, ऐसे में आंकड़ा बढ़ सकता है। दिल्ली आइआइटी में 2022-23 में 1270 छात्रों का प्लेसमेंट मिला तो 2021-22 यह संख्या 1105 रही। यानी 18 प्रतिशत की वृद्धि।
सीएस विभाग के भी सभी छात्रों का प्लेसमेंट नहीं हो पाया
वर्ष 2023-24 के लिए कई संस्थानों के प्लेसमेंट के आंकड़े अभी सामने नहीं आए हैं।बता दें, आईआईटी बॉम्बे में हर साल दिसंबर से फरवरी के बीच प्लेसमेंट्स होते हैं। पहली बार ऐसा हुआ है कि यहां के कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के भी सभी छात्रों का प्लेसमेंट नहीं हो पाया है। अब तक इस क्षेत्र में आइआइटी बांबे का रिकार्ड 100 प्रतिशत रहा है।
आईआईटी बॉम्बे में प्लेसमेंट सेल के एक अधिकारी का कहना है कि कई कंपनियां आइआइटी बांबे द्वारा निर्धारित वेतन पैकेज देने को तैयार नहीं थीं, जिस कारण प्लेसमेंट दर कम रही। इसके अलावा इस बार कैंपस में आईं ज्यादातर कंपनियां भारत की ही थीं। जबकि पहले कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी यहां से योग्य छात्रों को चुनकर ले जाती थीं। विदेशी कंपनियों का न आना वैश्विक मंदी का परिणाम माना जा रहा है।
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