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Positive India: पितृ पक्ष में सामाजिक और धार्मिक जिम्मेदारियों का अनोखा संयोग है यह अभियान

आश्विन कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक को पितृपक्ष कहा जाता है। पुराणों में भी बताया गया है कि पितृ पक्ष के दौरान परलोक गए पूर्वजों को पृथ्वी पर अपने लोगों से मिलने का अवसर मिलता है।

By Vineet SharanEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 08:24 AM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 08:25 AM (IST)
Positive India: पितृ पक्ष में सामाजिक और धार्मिक जिम्मेदारियों का अनोखा संयोग है यह अभियान

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। आश्विन कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक को पितृपक्ष कहा जाता है। लोक मान्यता के साथ ही पुराणों में भी बताया गया है कि पितृ पक्ष के दौरान परलोक गए पूर्वजों को पृथ्वी पर अपने लोगों से मिलने का अवसर मिलता है और वे पिंडदान, अन्न एवं जल ग्रहण करने की इच्छा से अपनी संतानों के पास रहते हैं। इन दिनों मिले अन्न और जल से पितरों को बल मिलता है और इसी से वे परलोक के अपने सफर को तय कर पाते हैं। इन्हीं अन्न-जल की शक्ति से वे अपने परिवार के सदस्यों का कल्याण भी कर पाते हैं।

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उदय फाउंडेशन इसी भावना को जेहन में रखते हुए गरीबों को रोजाना खाना खिलाने का एक अभियान चला रहा है। इस कैंपेन के तहत गरीबों को लोग पितृपक्ष के दिन खाना खिला सकते हैं। उदय फाउंडेशन के राहुल वर्मा बताते हैं कि हम श्राद्ध के धार्मिक पक्षों में पूरी आस्था रखते हैं। कोरोना काल में जहां लोगों को फिजिकल डिस्टैंसिंग मेंटेन करनी पड़ रही है, ऐसे में वे अपने पूर्वजों का तर्पण करने में भी काफी एहतियात बरत रहे हैं।

इसे देखते हुए उदय फाउंडेशन ने लोगों की धार्मिक आस्थाओं के साथ आश्रितों और गरीबों की जनभावनाओं का ख्याल रखते हुए यह अभियान चलाया है। वर्मा ने बताया कि हमने कैंपेन चलाकर लोगों से अपील की है कि वे अपने पितरों की याद में लोगों को खाना खिलाएं। इससे जहां लोगों की धार्मिक भावनाओं और रीति-रिवाजों को मजबूती मिलेगी, वहीं जनसेवा को भी बल मिलेगा।

उन्होंने बताया कि हमने 1 सितंबर से इस अभियान को चलाया हुआ है और लोगों का भरपूर सपोर्ट मिल रहा है। लोग कॉल करके गरीबों के लिए खाना खिलाने को कह रहे हैं। वह कहते हैं कि ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति श्राद्ध नहीं कर पा रहा है तो उसे किसी जरूरतमंद व्यक्ति को खाना खिलाना चाहिए और अनाज का दान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग इस नंबर पर फोन कर +919599635450 सहयोग दे सकते हैं। राहुल कहते हैं कि ब्रह्मपुराण में कहा गया है कि भगवान की पूजा से पहले लोगों को अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि इससे ईश्वर खुश होते हैं। इसलिए भारतीय समाज में पूर्वजों की पूजा की जाती है। 


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