सामने आई विक्रमादित्य सिंहदेव की दबंगई की एक और तस्वीर
जशपुर में एक स्कूल संचालक को अपनी गाड़ी के नीचे रौंदने वाले विक्रमादित्य लगातार पुलिस के सामने ही दबंगई दिखाते रहे हैं। इस घटना के बाद उनकी दबंगई के कई किस्से सामने आ रहे हैं। विक्रमादित्य की दादागिरी पुलिस के सामने चलती रही है और पुलिस हमेशा मूकदर्शक बनी रही जिससे
बिलासपुर (निप्र)। जशपुर में एक स्कूल संचालक को अपनी गाड़ी के नीचे रौंदने वाले विक्रमादित्य लगातार पुलिस के सामने ही दबंगई दिखाते रहे हैं। इस घटना के बाद उनकी दबंगई के कई किस्से सामने आ रहे हैं।
विक्रमादित्य की दादागिरी पुलिस के सामने चलती रही है और पुलिस हमेशा मूकदर्शक बनी रही जिससे उनके हौसले बढ़ते रहे। ऐसा ही एक मामला 2013 का है, जब विक्रमादित्य ने बगीचा बस स्टैंड में पुलिस की मौजूदगी में मामूली बात पर एक बस के ड्राइवर व कंडक्टर की जमकर धुनाई कर दी और पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
उन्होंने बस कंडक्टर को 25 हजार रुपये घर पहुंचाने का फरमान सुनाया और अपने गुर्गों से कहा कि इसमें से कुछ पैसा पुलिस को भी पहुंचा देना। हालांकि तब इस मामले को रफा दफा कर दिया गया था लेकिन जशपुर की घटना के बाद अब इस घटना की तस्वीरें सामने आ गई हैं।
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि 3 मार्च 2013 को विक्रमादित्य कांग्रेस नेता अमित जोगी की एक आमसभा में शामिल होने बगीचा गए थे। मौके पर यूथ कांग्रेस द्वारा बाइक रैली का आयोजन किया गया था। दोपहर लगभग 12 बजे विक्रमादित्य सायरन बजाते हुए पावर हाउस के करीब पहुंचे और अपनी कार सड़क के बीचोंबीच खड़ी कर दी।
उन्हें अपनी गाड़ी सड़क से हटाने के लिए कहने का साहस पुलिस वाले नहीं जुटा पाए और उनकी कार आधे घंटे से ज्यादा सड़क पर खड़ी रही। इसी दौरान मरोल से अंबिकापुर की ओर चलने वाले यात्री बस क्रमांक सीजी 14 ए 1341 के चालक ने कार की बगल से अपनी बस निकालने की कोशिश की। इस दौरान कार में बैठे विक्रमादित्य के किसी समर्थक ने कार का गेट खोल दिया और बस कार से रगड़ खा गई।
बस फिर क्या था। विक्रमादित्य के गुर्गे बस चालक से गाली गलौज व मारपीट तथा नुकसान की भरपाई की मांग करने लगे। हंगामा सुनकर विक्रमादित्य अपनी कार के पास पहुंचे। अपनी कार के दरवाजे में मामूली खरोंच देखते ही उनका पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने आव देख न ताव और ड्राइवर को तमाचा जड़ दिया। उन्होंने ड्राइवर की जेब की तलाशी ली।
जब ड्राइवर ने पैसा कंडक्टर के पास होने की बात कही तो वे कंडक्टर पर टूट पड़े। लोगों का यह भी कहना है कि विक्रमादित्य की दबंगई से बुरी तरह सहमा कंडक्टर सहायता के लिए आसपास नजर दौड़ाता रहा लेकिन किसी ने उसकी मदद करने की हिम्मत नहीं जुटाई। बाद में बतौर हर्जाना 25 हजार रुपये घर पहुंचाने का फरमान सुनाते हुए विक्रमादित्य कार में बैठ अपने गुर्गों के साथ आराम से सायरन बजाते रैली में शामिल होने चले गए। मामला थाने तक नहीं पहुंच पाया और बाद में इसे रफादफा कर दिया गया।
तब भी मूकदर्शक थी पुलिस
बगीचा शहर के बीच दिनदहाड़े विक्रमादित्य सिंहदेव की इस गुंडागर्दी का सबसे शर्मनाक पहलू मौके पर मौजूद पलिस वालों का मूकदर्शक बने रहना था। कार्यक्रम की सुरक्षा के लिए बगीचा पावर हाउस के आसपास बड़ी संख्या में पुलि के जवानों की तैनाती की गई थी।
लेकिन पुलिस के जवान मूकदर्शक बने रहे। किसी ने भी बस कंडक्टर को बचाने का प्रयास नहीं किया। इतना ही नहीं, जब पीड़ित कंडक्टर ने मामले की शिकायत बगीचा थाने में करने की कोशिश की तो उसपर दबाव डालकर मामले को खत्म करा दिया गया।
[साभार: नई दुनिया]