पेट्रोल व डीजल महंगा होने के बावजूद बढ़ी खपत
पहली अप्रैल को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 66.29 रुपये प्रति लीटर थी जो इस साल 31 जनवरी को 72.92 रुपये पर पहुंच गयी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पेट्रोल व डीजल की कीमतों में तेजी का असर उसकी खपत पर नहीं दिख रहा है। देश में इन दोनों पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में भी लगातार वृद्धि हो रही है। कम से कम खपत के ताजा आंकड़े तो यही बता रहे हैं। अकेले जनवरी में पेट्रोल की खपत 15 फीसद और डीजल की 14.5 फीसद बढ़ गई।
बढ़ती कीमतों को लेकर तेल कंपनियों की राय अलग है। उनका मानना है कि केवल कच्चे तेल के दाम घटने से इसकी खुदरा कीमतों में कमी नहीं आएगी। कच्चे तेल के अलावा कई दूसरे तथ्य भी हैं, जिनके आधार पर पेट्रोल व डीजल की कीमत तय होती है। इन दोनों उत्पादों की कीमत अब रोजाना तय की जाती है।
बढ़ती ही गई खपत
हिंदुस्तान पेट्रोलियम के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक एम. के. सुराना के मुताबिक, सभी तेल मार्केटिंग कंपनियों के पेट्रोल की बिक्री के आंकड़े देखें तो इस साल जनवरी में 15.6 फीसद बढ़ी पिछले साल जनवरी में बिक्री बढ़ने के बजाय 0.6 फीसद घटी थी। हालांकि यह भी अहम तथ्य है कि जनवरी 2017 में नोटबंदी के चलते बिक्री प्रभावित हुई थी। अप्रैल से जनवरी के बीच की बात करें तो भी खपत में वृद्धि बरकरार रही। इस अवधि में पेट्रोल की खपत नौ फीसद बढ़ी जबकि 2016-17 की समान अवधि में बिक्री दस फीसद बढ़ी थी। इस साल जनवरी में डीजल की खपत 14.5 फीसद बढ़ी, जबकि बीते साल जनवरी में खपत 7.8 फीसद घटी थी। अप्रैल-जनवरी में इसकी खपत 6.5 फीसद बढ़ी थी। पिछले साल समान अवधि में यह वृद्धि दर 2.6 फीसद था, जबकि इस साल 10 महीनों में डीजल के दाम 15 फीसद से ज्यादा बढ़े।
वाहनों की बिक्री में इजाफा
तेल कंपनियों की राय है कि आम तौर पर दोपहिया वाहनों और कारों के मामले में कीमत का असर खपत नहीं पड़ता है। यह तथ्य भी अहम है कि चालू वित्त वर्ष में वाहनों की बिक्री दोहरे अंक में बढ़ी। इससे भी पेट्रोल व डीजल की मांग बढ़ी।
दस माह में पेट्रोल दस फीसद महंगा
पहली अप्रैल को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 66.29 रुपये प्रति लीटर थी जो इस साल 31 जनवरी को 72.92 रुपये पर पहुंच गयी। नौ फरवरी यानी शुक्रवार को कीमत 73.35 रुपये हो गई। पहली अप्रैल से 31 जनवरी के बीच पेट्रोल की कीमत में 10 फीसद की तेजी देखने को मिली। अकेले जनवरी में ही दाम चार फीसद से ज्यादा बढ़े।
तीन कारक तय करते हैं कीमत
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कम कीमत के बारे में सुराना की दलील है कि खुदरा कीमत महज कच्चे तेल के भाव पर निर्भर नहीं करती। दरअसल, खुदरा कीमत तय करने में तीन तथ्यों की भूमिका होती है, पहला इंडियन बास्केट में कच्चे तेल की कीमत, दूसरा, डॉलर का एक्सचेंज रेट और तीसरा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमत। इन तीनों कारकों के अनुकूल होने पर ही कीमतें कम हो सकती हैं।