कैदियों की रिहाई के आदेश पर अमल सुनिश्चित कराने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका
गैर सरकारी संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन याचिका दाखिल की। रिहा होने वालों के मिले कफ्र्यू पास दिहाड़ी मजदूर मान आर्थिक मदद भी दी जाए।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई है जिसमें कोर्ट से कैदियों की रिहाई के आदेश पर अमल सुनिश्चित कराने की मांग की गई है। साथ ही कहा गया है कि रिहा किए होने वालों को कफ्र्यू पास के अलावा दिहाड़ी मजदूर मानते हुए उन्हें आर्थिक मदद भी मुहैया कराई जाए। बुधवार को कोर्ट में यह याचिका सेंटर फार अकाउंटबेलिटी एंड सिस्टेमेटिक चेंज (सीएएससी) ने दाखिल की है।
इसके अलावा एक अन्य संस्था ने मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भेजकर कोरोना के चलते असम के डिटेंसन सेंटर में बंद विदेशियों को तत्काल रिहा किए जाने का आदेश मांगा है। यह ज्ञापन जस्टिस एंड लिबर्टी इनीशिएटिव संस्था ने ईमेल के जरिये भेजा है।
सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले जेलों में बंद कैदियों की कोराना संक्रमण से सुरक्षा करने के लिए कई आदेश दिए थे। एक निर्देश सात साल या उससे कम सजा के अपराध में दोषी और ऐसे अपराधों में विचाराधीन कैदियों को उचित समय के लिए पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने के बारे में विचार करने को कहा गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उच्चस्तरीय समिति गठित करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने किसे जमानत और पैरोल दी जाएगी यह तय करने का अधिकार उच्चस्तरीय समिति को दिया था। कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेने के बाद ये आदेश दिए थे।
सीएएससी की ओर से ऑनलाइन दाखिल की गई याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कोरोना संकट के चलते कैदियों की रिहाई के गत 23 मार्च के आदेश पर अमल सुनिश्चित कराने का आग्रह किया गया है। अर्जी में कहा गया है कि कोरोना के चलते अमेरिका और ईरान में भी बहुत से कैदी रिहा किए गए हैं।
भारत में चल रहे कोरोना संकट को देखते हुए कोर्ट कैदियों की रिहाई के आदेश पर अमल की रिपोर्ट राज्यों से मांगे। इसके साथ ही रिहा होने वाले कैदियों को कफ्र्यू पास जारी किए जाएं और उन्हें दिहाड़ी मजदूर मानते हुए आर्थिक मदद भी मुहैया कराई जाए। अर्जी में मांग की गई है कि कोर्ट मामले पर जल्दी से जल्दी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करे।