कर्नाटकः जलते अंगारों पर चल मनाते हैं 'उगड़ी' का त्योहार
कर्नाटक में हिन्दू नव वर्ष को 'उगड़ी' त्योहार के नाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग आग के जलते अंगारों पर चलते हैं।
नई दिल्ली (एएनआई)। कर्नाटक में हिन्दू नव वर्ष को 'उगड़ी' त्योहार के नाम से मनाया जाता है। उगड़ी का शुद्ध रूप है युगादि, जिसका अर्थ है युग का प्रारंभ। ऐसा माना जाता है कि आज का दिन, एक सीजन के खत्म होने और दूसरे सीजन के शुरू होने का संकेत देती है। रागी फसल को काटकर खत्म करने के बाद बाजार में आम की बाहार आती है।
कर्नाटक में इस खास दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। नए वर्ष की शुरूआत के दिन लोग एक-दूसरे के नंगे बदन पर आग के जलते अंगार फेंकते हैं। इतना ही नहीं लोग खुशी में इन अंगारों पर चलते भी हैं। इस त्योहार पर अंगार के खेल में गांव के ज्यादर नौजवान युवक भाग लेते हैं।
ये युवक अपने नंगे बदन के साथ अंगारों के पास बैठ जाते हैं, फिर कुछ लोग उनके शरीर पर जलते अंगार फेंकते हैं। बावजूद इसके उनके चेहरे पर एक भी शिकन नहीं दिखती और वे लोग उछल-कूद कर खुशियां मनाते हैं। ये लोग इतने उत्साह में होते हैं कि खुद भी अंगारों को अपने हाथों से उठा कभी अासमान में तो कभी दूसरों पर फेंकते हैं।
PICS : जलते अंगारों पर चलकर मनाते हैं 'उगड़ी' का त्योहार
आंध्र प्रदेश में उगड़ी पर्व पर घर-घर खुशियां मनाई जाती है। सुबह बच्चों को तेल स्नान कराया जाता है। इसके बाद सभी लोग नहाकर नए कपड़े पहनते हैं। तब सभी लोग नव वर्ष की पचादि चटनी का स्वाद लेने के लिए एकत्रित होते हैं। यह चटनी उगादि का विशेष उपहार मानी जाती है। इसमें नीम की नरम कोपलें, गन्ना, गुड़, कच्चे आम की फांके तथा नमक डाला जाता है। चटनी में नीम की कोपलें मिलाने का अर्थ है जीवन मीठा ही नहीं, उसमें थोड़ी कटुता (कड़वापन) भी है।
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हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, सूरज इस दिन इक्वेटर (भूमध्य रेखा) और मेरीडियन के इंटरसेक्शन (कटाव) के वर्टिकल पॉइंट पर मौजूद होता है। जो वसंत रितू के आने का संकेत भी होता है।
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