Price Rise of Potatoes: आलू के तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं दाम, सामने आई ये है वजह
लॉकडाउन के दौरान खपत बढ़ने के चलते स्टाक कम हो गया है। थोक भाव में आलू 35 से 40 रुपये किलो के भाव उपलब्ध है तो खुदरा व्यापारी 55 से 60 रुपये प्रति किलो के भाव से बेच रहे हैं।
राधाकिशन शर्मा, बिलासपुर। लॉकडाउन के दौरान आलू की खपत दोगुनी हो जाने से नवंबर में कीमत तिगुनी हो गई है। बारिश के कारण नई फसल आने में अभी और 15 दिन लगने का अनुमान है। तभी कीमत नीचे उतरेगी। थोक व्यापारियों के अनुसार वर्ष 2019 में मार्च से सितंबर महीने के बीच छत्तीसगढ़ में आलू की प्रतिमाह औसत खपत 50 से 55 टन रही। लॉकडाउन दौर में हरी सब्जी के लिए बाजार जाने की जगह घर में आलू स्टाक करने की प्रवृति बढ़ी। परिणाम रहा कि मार्च से सितंबर 2020 तक प्रदेश में प्रतिमाह 145 से 150 टन आलू की खपत रही। यही वजह है कि वर्तमान में बाजार में आलू का संकट खड़ा हो गया है। व्यापारियों का स्टाक भी धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।
नई फसल आने के बाद गिरेगा आलू के दाम
वर्तमान में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से आलू की आपूर्ति छत्तीसगढ़ में की जा रही है। यह कोल्ड स्टोरेज का आलू है। कम स्टाक के कारण कीमतों में भारी तेजी है। छत्तीसगढ़ के प्रमुख स्टाकिस्ट रमेश वाधवानी का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान खपत बढ़ने के चलते स्टाक कम हो गया है। थोक भाव में आलू 35 से 40 रुपये किलो के भाव उपलब्ध है तो खुदरा व्यापारी 55 से 60 रुपये प्रति किलो के भाव से बेच रहे हैं।
यह अब तक की आलू की सबसे ज्यादा कीमत है। वर्ष 2018 में अक्टूबर से नवंबर के महीने में आलू की कीमत प्रति किलो 10-12 रुपये थी। वर्ष 2019 में इसी सीजन में 15- 20 रुपये किलो के भाव बिका था। थोक व्यापारियों का कहना है कि बाजार में नई फसल आने के बाद ही दाम गिरेगा। अभी दिल्ली, प्रयागराज और नासिक के व्यापारियों के लिए छत्तीसगढ़ का बाजार लाभदायक बना हुआ है।