आयुर्वेद शिक्षण एवं शोध संस्थान की स्थापना का रास्ता साफ, राज्यसभा ने भी दी विधेयक को मंजूरी
लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी दी विधेयक को मंजूरी-तीन संस्थानों को मिलाकर बनेगा होगा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा।
नई दिल्ली, एजेंसियां। आयुर्वेद में शिक्षण एवं शोध संस्थान विधेयक, 2020 बुधवार को राज्यसभा से पारित हो गया। लोकसभा इसे 19 मार्च को ही पारित कर चुकी है। विधेयक में तीन आयुर्वेदिक संस्थानों को मिलाकर 'आयुर्वेद शिक्षण एवं शोध संस्थान' (आइटीआरए) स्थापित करने का प्रावधान है। इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा हासिल होगा।कोरोना से संक्रमित आयुष मंत्री श्रीपद नाइक की अनुपस्थिति में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सदन में विधेयक को पेश किया।
उन्होंने कहा कि देश में इस समय राष्ट्रीय महत्व के 103 संस्थान हैं, लेकिन एक भी आयुर्वेद का नहीं है। जामनगर के संस्थान को इसलिए चुना गया है क्योंकि यह देश का सबसे पुराना संस्थान है जिसकी स्थापना सरकार ने 1956 में की थी। मालूम हो कि विधेयक में इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद, श्री गुलाब कुंवरबा आयुर्वेद महाविद्यालय और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक फार्मास्यूटिकल साइंसेज को मिलाकर एक करने का प्रावधान है। ये तीनों ही गुजरात के जामनगर में स्थित हैं।
प्रस्तावित संस्थान जामनगर स्थित गुजरात आयुर्वेद यूनिवर्सिटी के कैंपस में स्थित होगा। चर्चा के दौरान टीआरएस, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट, अन्नाद्रमुक, माकपा, बसपा और विभिन्न पार्टियों के कई सांसदों ने अन्य राज्यों में भी इसी तरह के संस्थान खोलने की मांग की। इस पर सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा, 'हर राज्य में ऐसे संस्थानों को खोलने की मांग पर मंत्री को विचार करना चाहिए।'
महर्षि संस्कृत विश्वविद्यालय में शुरू होगा आयुर्वेद डिप्लोमा कोर्स
हरियाणा के महर्षि संस्कृत विश्वविद्यालय में इस बार नए सत्र से आयुर्वेद में डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालय की ओर से शुरुआती चरण में 10 सीटें देने की घोषणा की गई है। बता दें कि विवि में दाखिले को लेकर आवेदन की तिथि का समय भी 30 सितंबर तक बढ़ाया गया है। डिप्लोमा और डिग्री की 200 सीटों के लिए 888 आवेदन आ चुके हैं।बता दें कि सरकार की ओर से संस्कृत भाषा के प्रचार के लिए इस विवि की घोषणा की थी।