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नस्लीय मुद्दे पर लिखी किताब के लिए पॉल बियटी को मिला '2016' का बुकर पुरस्कार

54 वर्षीय पॉल का जन्म अमेरिका के लॉस एंजिलिस शहर में हुआ था। इस पुरस्कार के तहत बियटी को 50 हजार पाउंड (61 हजार अमेरिकी डॉलर) दिए जाएंगे।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 26 Oct 2016 03:43 AM (IST)Updated: Wed, 26 Oct 2016 08:44 AM (IST)
नस्लीय मुद्दे पर लिखी किताब के लिए पॉल बियटी को मिला '2016' का बुकर पुरस्कार

नई दिल्ली, वेब डेस्क। अमेरिकी लेखक पॉल बियटी को वर्ष 2016 का बुकर अवार्ड विजेता घोषित किया गया है। बियटी को ये पुरस्कार नस्लीय राजनीति को लेकर तीखे व्यंग्य पर लिखी किताब 'द सेलआउट' के लिए दिया गया है। इस पुरस्कार के साथ बियटी पहले अमेरिकी लेखक बन गए हैं, जिन्होंने ये पुरस्कार जीता है।

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54 वर्षीय पॉल का जन्म अमेरिका के लॉस एंजिलिस शहर में हुआ था। इस पुरस्कार के तहत बियटी को 50 हजार पाउंड (61 हजार अमेरिकी डॉलर) दिए जाएंगे। उन्होंने अपनी किताब के माध्यम से अमेरिका में नस्ली संबंधों को लेकर लोगों के व्यवहार पर कटाक्ष किया गया है।

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हालांकि अमेरिकी लेखक ने यह माना कि ऐसे संवेदनशील विषय पर लिखना और लोगों में स्वीकार्यता बेहद कठिन होती है। दूसरी ओर पुरस्कार कमेटी की एक सदस्य अमांडा फोरमेन जो इतिहासकार भी हैं, उनका कहना है कि इस किताब में कुछ भी गलत नहीं है। इससे पहले ये पुरस्कार ब्रिटेन, आयरलैंड व राष्ट्रमंडल के सदस्य देशों को ही दिया जाता था।

क्या होता है मैन बुकर पुरस्कार

मैन बुकर पुरस्कार फॉर फिक्शन जिसे जिसे लघु रूप में मैन बुकर पुरस्कार या बुकर पुरस्कार भी कहा जाता है। कॉमनवैल्थ या आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिखे गए मौलिक अंग्रेजी उपन्यास के लिए हर वर्ष दिया जाता है। 2008 वर्ष का पुरस्कार भारतीय लेखक अरविन्द अडिग को दिया गया था। अडिग को मिलाकर कुल 5 बार यह पुरस्कार भारतीय मूल के लेखकों को मिला है। वी एस नाइपॉल, अरुंधति राय, सलमान रश्दी और किरण देसाई और कुल 9 पुरस्कार विजेता उपन्यास ऐसे हैं जिनका कथानक भारत या भारतीयों से प्रेरित है।

बुकर पुरस्कार की स्थापना सन् 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी। इसमें 60 हज़ार पाउण्ड की राशि विजेता लेखक को दी जाती है। इस पुरस्कार के लिए पहले उपन्यासों की एक लंबी सूची तैयार की जाती है और फिर पुरस्कार वाले दिन की शाम के भोज में पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाती है। पहला बुकर पुरस्कार अल्बानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था।


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