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Lunar Eclipse 2019: चंद्रग्रहण आज, 149 साल बाद दुर्लभ संयोग, लाल नजर आएगा चांद

Lunar Eclipse 2019 आज रात को इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगेगा। यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा जिसे अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों को छोड़कर देश भर में देखा जा सकेगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 07:30 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 05:09 PM (IST)
Lunar Eclipse 2019: चंद्रग्रहण आज, 149 साल बाद दुर्लभ संयोग, लाल नजर आएगा चांद

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। आज रात को इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगने वाला है। सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक, यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा जिसे अरु णाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों को छोड़कर देश भर में देखा जा सकेगा। यह रात एक बजकर 31 मिनट से शुरू होकर चार बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसा 149 साल बाद होने जा रहा है जब गुरु  पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण भी पड़ेगा। यह रात को तीन बजकर एक मिनट पर पूरे चरम पर होगा जब धरती की छाया चंद्रमा के आधे से ज्यादा हिस्से को ढक लेगी। आइये जाने इस चंद्रग्रहण को लेकर अन्य खास बातें... 

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खगोल विज्ञानियों के लिए खास पल
रात को तीन बजकर एक मिनट पर पूरे चरम पर होगा। इस एतिहासिक खागोलीय घटना के वक्त चंद्रमा नारंगी या लालिमा लिए नजर आएगा और इसकी दुधिया रोशनी में लालिमा घुली होगी। सुबह पांच बजकर 47 मिनट 38 सेकेंड पर चांद से धरती की धुंधली छाया भी खत्म हो जाएगी। खगोल वैज्ञानिकों को इस घटना का बेसब्री से इंतजार है। इस आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने में मदद मिलेगी। सबसे खास बात यह कि इस दौरान चंद्रमा धरती के नजदीक और आकार में अपेक्षाकृत बड़ा दिखाई देगा।

 

बेहद शानदार होगा नजारा 
यह खगोलीय घटना करीब 2 घंटे 58 मिनट तक देखी जा सकेगी। खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए यह नजारा बेहद शानदार होगा, बशर्ते मौसम साफ हो। वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्र ग्रहण को देखने के लिए किसी विशेष सावधानी की जरूरत नहीं होती है। चंद्र ग्रहण पूरी तरह से सुरिक्षत होता है इसलिए आप इसे नंगी आंखों से देख सकते हैं। यदि आप दूरबीन की मदद से चंद्र ग्रहण देखेंगे तो आपको यह खगोलीय घटना बेहद स्पष्ट दिखाई देगी। एशिया के देशों में चांद का 65 फीसद हिस्सा ब्लड रेड कलर में नजर आएगा। 

कहां-कहां दिखाई देगा यह चंद्र ग्रहण
यह इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण है, जो अरु णाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों को छोड़कर देश भर में देखा जा सकेगा। लेकिन, देश के पूर्वी हिस्सों जैसे बिहार, असम, बंगाल और ओडिशा में चंद्रमा ग्रहण की अवधि में ही अस्त हो जाएगा। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक, हाफ ब्लड मून इक्लिप्स ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका समेत यूरोप के कई हिस्सों में दिखाई देगा। एशिया की बात करें तो भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, सिंगापुर, फिलिपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ ईरान, इराक, तुर्की और सऊदी अरब में भी यह नजारा दिखाई देगा। 

विज्ञान के नजरिये से बेहद खास
आपको याद होगा इस साल का पहला चंद्रग्रहण 20 और 21 जनवरी की दरम्यानी रात को लगा था। यह पूर्ण चंद्रग्रहण था जिसे वैज्ञानिकों ने सुपर ब्लड वुल्फ मून (Super blood wolf moon) नाम दिया था। इसे यह नाम इसलिए दिया गया था क्योंकि ऐसे चंद्रग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह लाल नजर आता है। वुल्फ मून का नाम नेटिव अमेरिकी जनजातियों ने रखा, क्योंकि सिर्दयों के दौरान खाना ढूंढ़ते भेड़िए चिल्लाते हैं। यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया था। लेकिन, अमेरिका, ग्रीनलैंड, आइसलैंड, आयरलैंड, ग्रेट ब्रिटेन, नार्वे, स्वीडन, पुर्तगाल, फ्रांस और स्पेन में लोग इस अद्भुत नजारे के साक्षी बने थे। इस बार नंबर भारत का है जहां लोगों को सुपर ब्लड वुल्फ मून जैसा ही नजारा दिखाई देगा।

हाफ ब्लड थंडर मून इक्लिप्स
सुपर ब्लड थंडर मून के दौरान चंद्रमा पृथ्वी के करीब आ जाता है जिससे इसका आकार बाकी दिनों की तुलना में बड़ा दिखाई देता है। चंद्रमा का आकार बड़ा होने और रंग लाल होने के कारण ही इसे सुपर ब्लड मून नाम दिया गया है। चूंकि, इस बार का सुपर ब्लड थंडर मून इक्लिप्स (Super blood Thunder moon Eclipse) आंशिक है, इसलिए वैज्ञानिकों ने इसे हाफ ब्लड थंडर मून इक्लिप्स (Half Blood Thunder Moon Eclipse) नाम दिया है। थंडर (Thunder) शब्द दुनिया भर में चल रही प्राकृतिक घटनाओं से आया है।

क्यों लगता है चंद्र ग्रहण
खगोल विज्ञान के मुताबिक, जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य जब एक सीध में होते हैं तब ग्रहण पड़ता है। यदि चंद्रग्रहण की बात करें तो जब सूर्य और चंद्रमा के बीच धरती आ जाती है तो उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यही स्थिति चंद्रग्रहण कहलाती है। खगोल विज्ञानियों के अनुसार, कल रात लगने वाला ग्रहण इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है। ज्योतिष के मुताबिक, इस ग्रहण के प्रभाव से प्राकृतिक आपदाओं के कारण व्यापक क्षति की आशंका है। पिछली बार 12 जुलाई, 1870 को गुरु  पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ पड़े थे। हिंदू पंचांग की मानें तो इस ग्रहण को खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है।

आने वाले समय में पड़ने वाले ग्रहण
इस साल के अंत में 26 दिसंबर को तीसरा सूर्य ग्रहण पड़ेगा। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 06 जनवरी को जबकि दूसरा 02 जुलाई को लगा था। इस साल का 21 जनवरी को लगा था। साल 2020 का पहला चंद्रग्रहण जबकि दूसरा पांच जून को लगेगा। अगले साल का तीसरा चंद्रग्रहण 05 जुलाई को जबकि चौथा 30 नवंबर को लगेगा। अगले साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को जबकि दूसरा 14 दिसंबर को लगेगा। अगला पूर्ण चंद्र ग्रहण 26 मई 2021 को दिखेगा, जबकि इससे पहले 27 जुलाई 2018 को पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखा था।


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