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पार्थसारथी को मिला था इंदिरा कैबिनेट में शामिल होने का प्रस्ताव

जी पार्थसारथी (जीपी) के पुत्र और पूर्व नौकरशाह अशोक पार्थसारथी ने किताब में अपने पिता से हासिल संदर्भों को आधार बनाया है।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Sat, 24 Mar 2018 08:22 PM (IST)Updated: Sat, 24 Mar 2018 08:26 PM (IST)
पार्थसारथी को मिला था इंदिरा कैबिनेट में शामिल होने का प्रस्ताव

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का कहना है कि इंदिरा गांधी के सलाहकार रहे जी पार्थसारथी को पूर्व प्रधानमंत्री ने अपनी कैबिनेट में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था। पार्थसारथी के पुत्र और पूर्व नौकरशाह अशोक पार्थसारथी की पुस्तक 'जीपी-1915-1995' के विमोचन के मौके पर सिंह ने बताया कि पार्थसारथी ने यह कहते हुए इस ऑफर को अस्वीकार कर दिया था कि वो कैबिनेट के बिजनेस में नहीं पड़ना चाहते।

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अपने करीबियों और साथियों के बीच जीपी के नाम से प्रसिद्ध के जीवन पर लिखी इस पुस्तक का विमोचन जानीमानी इतिहासकार रोमिला थापर और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने किया। मंच पर जी पार्थसारथी को करीब से जानने वाले और उनके साथ काम कर चुके घनिष्ठ लोगों की मौजूदगी में इस किताब के बारे में विस्तार से चर्चा की की हुई। जी पार्थसारथी की जि़न्दगी के तमाम पहलुओं को करीब से छूने की कोशिश की गयी।

जी पार्थसारथी (जीपी) के पुत्र और पूर्व नौकरशाह अशोक पार्थसारथी ने किताब में अपने पिता से हासिल संदर्भों को आधार बनाया है। किताब का शीर्षक है, 'जीपी 1915-1995' इस किताब की प्रस्तावना पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लिखी है। डिप्लोमेसी के क्षेत्र में लंबा अनुभव रखने वाले जी पार्थसारथी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ,जवाहरलाल नेहरू और राजीव गांधी के साथ भी काम किया था। पार्थसारथी को नेहरू ने भारत-चीन युद्ध से पहले 1958 में राजदूत नियुक्त कर चीन भेजा था।

किताब के एक हिस्से में जी पार्थसारथी के बेटे अशोक पार्थसारथी, जो कि खुद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विज्ञान और तकनीकी सलाहकार थे, ने जीपी के नोट्स का हवाला देते हुए नेहरू द्वारा कही गई बातों का विवरण दिया है। किताब में जी पार्थसारथी के चीन, पाकिस्तान, संयुक्त राष्ट्र के कार्यकाल की विस्तार पूर्वक जानकारी दी गयी है।

जीपी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के कुलपति भी रहे, इतिहासकार रोमिला थापर ने जीपी को याद करते हुए कहा कि 'जीपी अपने आप में एक संस्था थे, उनका मानना था कि छात्रों को केवल डिग्री दे देना ही संस्थान का मकसद नहीं होना चाहिए , बल्कि छात्रों में सवाल करने की इच्छा को पैदा करना संस्थाओं का मकसद होना चाहिए। संस्थान में एडवांस स्टडीज की पढाई पर जीपी का जोर था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नटवर सिंह भी जीपी के करीबी थे , नटवर सिंह ने जीपी को याद करते हुए उपस्थित मेहमानों को इस बात से गुदगुदाया कि एक बार जीपी ने उनसे कहा कि नटवर मद्रास में मुझे लोग जी पार्थसारथी बुलाते हैं और दिल्ली में पार्थसारथी जी।


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