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संसदीय राजभाषा समिति की बैठक: शाह ने कहा- स्थानीय भाषाओं की सखी के रूप में हो हिंदी का विकास

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हमें ऐसे वातावरण का निर्माण करना चाहिए जिसमें राजभाषा हिंदी का विकास सहज रूप से स्थानीय भाषाओं की सखी के रूप में हो। हिंदी अगर कालबाह्य नहीं हुई है तो इसका यही कारण है कि हमने इसे कभी थोपने का प्रयास नहीं किया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 10 Aug 2021 10:58 PM (IST)Updated: Tue, 10 Aug 2021 10:58 PM (IST)
केंद्रीय गृहमंत्री ने संसदीय राजभाषा समिति की 36वीं बैठक को किया संबोधित

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि हमें ऐसे वातावरण का निर्माण करना चाहिए, जिसमें राजभाषा हिंदी का विकास सहज रूप से स्थानीय भाषाओं की सखी के रूप में हो। हिंदी अगर कालबाह्य नहीं हुई है, तो इसका यही कारण है कि हमने इसे कभी थोपने का प्रयास नहीं किया।

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गृहमंत्री ने संसदीय राजभाषा समिति की 36वीं बैठक को किया संबोधित

संसदीय राजभाषा समिति की 36वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए शाह ने कहा, 'बहुत हर्ष का विषय है कि हमने समिति के 10वें प्रतिवेदन को राष्ट्रपति के पास भेजने की मंजूरी दे दी है। हम समय लेकर उनके पास जाएंगे।' उन्होंने कहा कि हम आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। अगर कोई मूल्यांकन करे तो वह कह सकता है कि इन वर्षो में हम सभी ने लोकतंत्र की जड़ों को गांव व कस्बों तक पहुंचाया है। बैठक में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा और संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष श्री भर्तृहरि महताब भी उपस्थित थे।

अमित शाह ने कहा- स्थानीय भाषाओं व राजभाषा ने देश को एक करने का किया काम

हमारा पथ सही व लक्ष्य की ओर है और हम लक्ष्य तक जरूर पहुंचेंगे। इसमें हमारी स्थानीय भाषाओं और विशेषरूप से राजभाषा हिंदी का बड़ा योगदान है। कई देशों की लिपियों और भाषाओं का अस्तित्व खत्म हो गया, लेकिन मैं गर्व के साथ कह रहा हूं कि आजादी के बाद हमने बोलियों और भाषाओं को संरक्षित व संवर्धित किया है। स्थानीय भाषाओं व राजभाषा ने देश को एक करने का काम किया है।

शाह ने कहा- हिंदी माध्यम के बच्चों के लिए इंजीनियर व डाक्टर बनना आसान

शाह ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में तकनीकी व औषधीय शिक्षा का भी संपूर्ण अभ्यासक्रम राजभाषा में अनुदित कराने का काम शुरू किया गया है। इसके बाद हिंदी माध्यम के बच्चों के लिए भी इंजीनियर व डाक्टर बनने का रास्ता आसान हो जाएगा।

अमित शाह ने कहा- न्याय व्यवस्था में भी हिंदी का प्रयोग होना चाहिए

न्याय व्यवस्था में भी हिंदी का प्रयोग होना चाहिए। इसके लिए न्यायविदों के साथ चर्चा करनी पड़ेगी। टोक्यो ओलिंपिक में पहली बार हिंदी में कमेंट्री की व्यवस्था की गई, ये हमारे लिए बहुत उत्साहवर्धक है।' 


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