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लक्जरी ट्रेनों में रेलवे अफसरों की मुफ्त सैर बंद हो : संसदीय समिति

पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली संसद की रेलवे से जुड़ी स्थायी समिति ने अपनी हाल में पेश रिपोर्ट में यह सिफारिश की है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sun, 07 Jan 2018 08:07 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jan 2018 08:07 PM (IST)
लक्जरी ट्रेनों में रेलवे अफसरों की मुफ्त सैर बंद हो : संसदीय समिति
लक्जरी ट्रेनों में रेलवे अफसरों की मुफ्त सैर बंद हो : संसदीय समिति

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेलवे के एक से बढ़कर एक आला अफसरों ने लक्जरी टूरिस्ट ट्रेनो में मुफ्त सैर का आनंद लिया। इनमें रेलवे बोर्ड, से लेकर जोन और मंडलों के आला अधिकारी शामिल हैं। संसदीय समिति ने इसे जनता के धन का दुरुपयोग बताते हुए इन ट्रेनों में कांप्लीमेंटरी पास की सुविधा बंद करने को कहा है।

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पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली संसद की रेलवे से जुड़ी स्थायी समिति ने अपनी हाल में पेश रिपोर्ट में यह सिफारिश की है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच सालों में लगभग साढ़े पांच सौ रेलवे अधिकारियों ने बिना धेला खर्च किए धनाड्य विदेशी टूरिस्टों के लिए चलाई जाने वाली महंगी व आलीशान लक्जरी ट्रेनों का मजा लिया। इनमें रेलवे बोर्ड के सदस्य, जीएम, डीजीएम, डीआरएम, अतिरिक्त सदस्य, कार्यकारी निदेशक और निदेशक स्तर के अधिकारी शामिल हैं। जबकि मंत्रियों से जुड़े निजी सहायकों ने इक्का-दुक्का मर्तबा ही लक्जरी यात्रा के लिए अपने ओहदे का इस्तेमाल किया।

रिपोर्ट के अनुसार 2011-12 में पैलेस ऑन ह्वील्स में 50 तो रॉयल राजस्थान में 6 अफसरों ने मुफ्त की सैर की। जबकि 2012-13 में पैलेस ऑन ह्वील्स में 46, महाराजा एक्सप्रेस में 30 और रॉयल राजस्थान में 14 अफसरों की बिना पैसों की आवभगत हुई। वर्ष 2013-14 में 42 अफसरों ने पैलेस ऑन ह्वील्स, 97 ने महाराजा एक्सप्रेस तथा 4 ने रॉयल राजस्थान की शाही मेजबानी का लुत्फ उठाया। वर्ष 2014-15 में 42, 53 तथा शून्य रहा। जबकि 2015-16 में क्रमश: 42, 71 और 2 अफसरों तथा 2016-17 में क्रमश: 24, 46 और 2 अफसरों ने उक्त ट्रेनों के राजसी ठाठ-बाठ का अनुभव लिया।

इन ट्रेनों का संचालन कमाई के लिहाज से धनाड्य पर्यटकों, खासकर विदेशियों को आकर्षित करने तथा उन्हें भारत की एतिहासिक विरासत, आतिथ्य, कला-संस्कृति और स्वाद से परिचित कराने के लिए किया जाता है। महाराजा एक्सप्रेस को छोड़ बाकी ट्रेने राज्य पर्यटन निगमों के सहयोग से चलाई जाती है। जिनसे रेलवे को केवल आधा राजस्व प्राप्त होता है। इसीलिए इनकी प्रत्येक ट्रिप में केवल दो कांप्लीमेंटरी बर्थ का प्रावधान है। परंतु चूंकि ज्यादातर लक्जरी ट्रेने खाली और घाटे में चल रही हैं। लिहाजा संसदीय समिति ने इन मुफ्त पासों पर एतराज जताया है। और इन्हें बंद करने की सिफारिश की है।


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