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हंगामे के बाद संसद की कार्यवाही स्थगित

एफडीआई और 2जी मामले पर कैग रिपोर्ट को लेकर विपक्षी पार्टियों के हंगामे के चलते संसद की कार्यवाही को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। भाजपा, टीएमसी व डीएमके द्वारा एफडीआई और 2जी मुद्दे पर मचाए गए शोर शराबे के बाद शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन भी संसद की कार्यवाही स्थगित रही।

By Edited By: Published: Mon, 26 Nov 2012 08:30 AM (IST)Updated: Mon, 26 Nov 2012 02:26 PM (IST)
हंगामे के बाद संसद की कार्यवाही स्थगित

नई दिल्ली। एफडीआई और 2जी मामले पर कैग रिपोर्ट को लेकर विपक्षी पार्टियों के हंगामे के चलते संसद की कार्यवाही को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। भाजपा, टीएमसी व डीएमके द्वारा एफडीआई और 2जी मुद्दे पर मचाए गए शोर शराबे के बाद शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन भी संसद की कार्यवाही स्थगित रही। इससे पहले गुरुवार और शुक्रवार को भी संसद को इन्हीं कारणों के चलते चलने नहीं दिया गया था।

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इस बीच, सरकार की सहयोगी द्रमुक भी एफडीआइ और 2जी दोनों मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ अड़ी हुई है और अब 2जी पर आरपी सिंह के विवादास्पद बयान के बाद डीएमके ने इस पर चर्चा करने के लिए लोक सभा में नोटिस भेज दिया है।

इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने रविवार को चेन्नई में द्रमुक प्रमुख करुणानिधि से मिलकर उन्हें फिर साधने की कोशिश की थी, लेकिन, वह करुणानिधि से कोई आश्वासन लेने में नाकाम रहे।

संसद सत्र के दो दिन बर्बाद होने के बाद कई जरूरी विधेयक पारित कराने को लेकर सरकार की बेचैनी बढ़ती जा रही है। लिहाजा सोमवार को उसने फिर सर्वदलीय बैठक तो बुलाई है, लेकिन हालात अब भी जस के तस बने हुए हैं।

भाजपा और वामदल लोक सभा में एफडीआइ के मुद्दे पर नियम-184 के तहत चर्चा और उसके बाद वोटिंग से कम पर मानने वाले नहीं हैं। सूत्रों की मानें तो संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ की ओर से एफडीआइ पर संसद का गतिरोध खत्म कराने के लिए सोमवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी भाजपा और वामदल इसी साझा रणनीति पर कायम रहेंगे। भाजपा और वामदल मानकर चल रहे हैं कि वोटिंग की नौबत आने पर एफडीआइ के विरोध में सपा लोक सभा से बहिर्गमन कर और बसपा सदन में रहकर सरकार की मदद कर सकती है, फिर भी वे ऐसा कर सरकार की फजीहत कराना चाहते हैं। गौरतलब है कि जद-यू और तृणमूल कांग्रेस भी एफडीआइ पर सरकार के खिलाफ वोटिंग करेंगे।

पेंशन और बीमा क्षेत्र समेत अन्य कई जरूरी विधेयकों को संसद से पारित कराने के मद्देनजर सरकार विपक्ष से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहती। यही वजह है कि वह विपक्षी दलों को बार-बार मनाने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री की तरफ से डिनर डिप्लोमैसी के जरिये सबको साधने की कोशिशें नाकाम होने के बाद संसदीय कार्य मंत्री की तरफ से सभी दलों के साथ बैठक सरकार की इसी रणनीति का हिस्सा है। सूत्रों की मानें तो इसके बाद भी बात नहीं बनी और लोक सभा में सरकार अपनी जीत का भरोसा सुनिश्चित कर सकी तो अंत में वह वोटिंग के लिए भी राजी हो सकती है।

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