पेट्रोल की तपिश में संसद का कामकाज स्वाहा
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी की तपिश में संसद का कामकाज स्वाहा हो गया। सोमवार को मुख्य विपक्ष भाजपा समेत वामदल, तृणमूल कांग्रेस और सपा सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए बढ़ोत्तरी वापस लेने की मांग की। राज्यसभा में विपक्षी नेताओं ने इस तरह की बढ़ोत्तरी को संसद की अवमानना भी बताया। शोर-शराबे के कारण दोनों सदनों में कोई कामकाज नहीं हो पाया।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी की तपिश में संसद का कामकाज स्वाहा हो गया। सोमवार को मुख्य विपक्ष भाजपा समेत वामदल, तृणमूल कांग्रेस और सपा सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए बढ़ोत्तरी वापस लेने की मांग की। राज्यसभा में विपक्षी नेताओं ने इस तरह की बढ़ोत्तरी को संसद की अवमानना भी बताया। शोर-शराबे के कारण दोनों सदनों में कोई कामकाज नहीं हो पाया।
सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही वामदल, तृणमूल और सपा के सदस्य वेल में थे, तो भाजपा सदस्यों ने सीट पर खड़े होकर कीमत बढ़ोत्तरी का विरोध किया। राज्यसभा में भाजपा के उपनेता रविशंकर प्रसाद ने संसदीय गरिमा का भी सवाल उठाया और कहा कि जब संसद चल रहा हो तो कीमत बढ़ाने की घोषणा कैसे हो सकती है। कुछ दूसरे सदस्यों ने भी उनका समर्थन किया। दूसरी ओर लोकसभा में वामदल के वासुदेव आचार्य ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव दिया था, लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिली। तीन बार के स्थगन के बाद अंतत: कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। बाहर भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार संवेदनहीन है और महंगाई पर काबू पाने के बजाय इसे बढ़ाने का रास्ता ढूंढती है।
उन्होंने कहा कि सरकार के 'अर्थशास्त्री एमएमसी' [मनमोहन, मोंटेक और चिदंबरम] ने पूरी अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है। आम आदमी के हितों की अनदेखी करते हुए तेल कंपनियों को मनमानी करने की छूट दे दी है।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर