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कश्मीर आतंकवाद पर श्वेत पत्र के पक्ष में संसदीय समिति

गृह मंत्रालय से संबद्ध स्थायी संसदीय समिति का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में जारी आतंकवाद की सच्चाई दुनिया के सामने आनी चाहिए। इसके लिए उसने घाटी के आतंकवाद पर श्वेत पत्र जारी करने का सुझाव दिया है। उसने इस बारे में राज्य सरकार की आपत्तियों को खारिज कर दिया है।

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Sun, 22 Mar 2015 06:31 PM (IST)Updated: Sun, 22 Mar 2015 06:45 PM (IST)
कश्मीर आतंकवाद पर श्वेत पत्र के पक्ष में संसदीय समिति

नई दिल्ली। गृह मंत्रालय से संबद्ध स्थायी संसदीय समिति का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में जारी आतंकवाद की सच्चाई दुनिया के सामने आनी चाहिए। इसके लिए उसने घाटी के आतंकवाद पर श्वेत पत्र जारी करने का सुझाव दिया है। उसने इस बारे में राज्य सरकार की आपत्तियों को खारिज कर दिया है। उसने घाटी से पलायन करने वाले कश्मीरी पंडितों का पंजीकरण बंद करने के लिए सूबाई सरकार की आलोचना की है।

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स्थायी संसदीय समिति ने संसद में पेश अपनी 184वीं रिपोर्ट में उपरोक्त सिफारिश की है। रिपोर्ट के अनुसार वैसे तो जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद से जुड़े कई पहलुओं को काफी अच्छे तरीके से लिपिबद्ध किया गया है, लेकिन इससे पूरी सच्चाई उजागर नहीं हो पा रही है। लिहाजा कश्मीर के आतंकवाद पर श्वेत पत्र लाया जाना चाहिए ताकि दुनिया जमीनी हकीकत से वाकिफ हो सके।

समिति ने राज्य सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर की मौजूदा संवदेनशील स्थिति को देखते हुए ऐसा करना ठीक नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है, ' समिति राज्य सरकार के विचार से सहमत नहीं है। ऐसे समय जब सरकार और ज्यादा पारदर्शी हो रही है और इस दिशा में बड़े कदम उठा रही है। ऐसी स्थिति में लोकतंत्र में इस तरह की रूढि़वादी विचार के लिए कोई जगह नहीं है।

समिति के मुताबिक, 'जब पूरी दुनिया आतंकवाद पर भारत के विचारों की सराहना कर रही है और हमें आतंकवाद से सर्वाधिक पीडि़त देशों में से एक मान रही है। उस समय श्वेत पत्र जारी करने से चिंतित नहीं होना चाहिए।' समिति ने नब्बे के दशक में आतंकवाद के चलते घाटी से पलायन करने वाले कश्मीरी पंडितों के परिवार का पंजीकरण बंद करने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की है। उसका कहना है कि अभी ढेरों ऐसे कश्मीर पंडित परिवार हैं, जिनका राज्य सरकार की ओर से पंजीकरण नहीं किया गया है। उसने गृह मंत्रालय से इसकी जांच करने के लिए कहा है।

वैसे मंत्रालय ने 25 अगस्त 2014 के अपने परिपत्र में जम्मू-कश्मीर सरकार से कहा है कि वह पलायन करने वाले कश्मीरी पंडित परिवारों को प्रवासी प्रमाण पत्र और परिचय पत्र दिया जाना सुनिश्चित करे। उसने राज्य सरकार के इस तर्क को भी खारिज कर दिया है कि घाटी में हालात सुधरने के कारण कश्मीरी पंडित परिवारों को पंजीकरण बंद कर दिया गया है। देश भर में कुल 62,000 पंजीकृत कश्मीरी पंडित परिवार हैं, इनमें से करीब 40,000 अकेले जम्मू में शरण लिए हैं।

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