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बच्चों को सिखाएं मोटापे पर नियंत्रण करना, माता-पिता को बनना होगा रोल मॉडल

बच्चों का मोटापा तेजी से बढ़ती समस्या है, जिसे लेकर मां-बाप का चिंतित होना स्वाभाविक है बच्चों से किस तरह बात करें कि वे आहत न हों।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 03:51 PM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 07:41 PM (IST)
बच्चों को सिखाएं मोटापे पर नियंत्रण करना, माता-पिता को बनना होगा रोल मॉडल

अनुभा की दस वर्षीया बेटी रचिता मोटापे से ग्रस्त है, पर उन्हें समझ नहीं आता कि किस तरह वह अपनी बेटी को वजन पर नियंत्रण के लिए प्रेरित करें। यहां समस्या सिर्फ बेटी का बढ़ा हुआ वजन नहीं हैं। अनुभा को यह महसूस होता है कि मोटापे की वजह से उसके संपूर्ण स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। आउटडोर गेम्स में बेटी जरा भी रुचि नहीं दिखाती, क्योंकि उसे थकान जल्दी हो जाती है। स्कूल के बच्चे भी मोटापे को लेकर उसे चिढ़ाते हैं, जिससे रचिता का आत्मविश्वास कमजोर होने लगा है। अनुभा ने जब भी रचिता को वजन पर नियंत्रण के लिए समझाना चाहा तो उसके पापा ने यह कहकर शांत करवा दिया कि अभी तो उसके खेलने और खाने के दिन हैं। उम्र बढ़ने के साथ बेटी स्वयं समझ जाएगी कि वजन पर नियंत्रण करना कितना जरूरी है। हालांकि इससे अनुभा की चिंताएं समाप्त नहींहुईं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह कैसे इस समस्या को हल करें।

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अनुभा और उनकी बेटी का यह कोई इकलौता मामला नहीं है। ऐसे अनेक उदाहरण हमें अपने आसपास मिल जाएंगे। संतान के मोटापे को लेकर मांओं की चिंता वाजिब है। दरअसल बच्चों में मोटापे की समस्या आजकल गंभीर रूप अख्तियार करती जा रही है। अभिभावक भी इस समस्या की गंभीरता को समझते हैं, पर इस बारे में बच्चों से बात करने में हिचकते हैं। मन ही मन उन्हें यह डर सताता रहता है कि मोटापे को लेकर बात करने पर बच्चा आहत न हो जाए। उसके आत्मविश्वास को चोट न पहुंचे। बच्चा कहीं अत्यधिक डाइटिंग या अन्य गलत तरीकों से वेट लॉस की कोशिश न करने लगे, जिसका उसकी सेहत पर उल्टा असर हो। ऐसे में क्या ऐसा कोई तरीका हो सकता है, जिससे मां-बाप बालमन को आहत किए बगैर मोटापे पर नियंत्रण और हेल्दी लिविंग के लिए प्रोत्साहित कर सकें। हेल्थ एक्सपट्र्स के मुताबिक यह इतना मुश्किल भी नहीं है, बस यहां बच्चों के मनोविज्ञान को समझना होगा।

काम करेंगे सही तरीके
अक्सर मां-बाप को लगता है कि खानपान को लेकर सही सलाह देकर वे बच्चे की मदद कर रहे हैं, जैसे उनसे यह कहना कि इतनी मिठाई, चॉकलेट या जंक फूड खाने से मोटापा बढ़ेगा। अगर वजन पर नियंत्रण करना है तो इन सब खाद्य पदार्र्थों से दूर रहो। आउटडोर गेम्स के बजाय लगातार कंप्यूटर पर गेम खेलने या टीवी देखने से भी मोटापा कभी कम नहीं होगा। यकीन मानिए, बच्चों को आपकी इन सलाहों से जरा भी फर्क नहीं पड़ता। वे हमेशा ही उन्हें अनसुना कर देते हैं। इसलिए अच्छा होगा कि उन्हें इस तरह की सलाह देने के बजाय वह करें, जो उनके हित में है। उदाहरण के रूप में घर पर ऐसे खाद्य पदार्थ न लाएं, जो उनकी सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले हों। किचेन और फ्रिज में भी ऐसी वस्तुएं नहीं होनी चाहिए, जिनके सेवन से मोटापा बढ़े। इसके बावजूद कभी-कभी उन्हें मनपंसद भोजन की ट्रीट देने में कोई हर्ज नहीं है। बच्चे हमेशा माता-पिता का अनुसरण करते हैं। अगर आप हेल्दी खाद्य पदार्र्थों का सेवन करेंगे तो वे भी उन्हीं ईटिंग हैबिट्स को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। उन्हें टॉफी या चॉकलेट दिलाने के बजाय सूखे मेवे, ताजे फ्रूट्स और फ्रूट जूस दें, जो स्वादिष्ट होने के साथ ही हेल्दी भी होते हैं। बाजार की रेडीमेड नमकीन के बजाय मखाने भूनकर दे सकती हैं या घर पर ही लईया को भूनकर उसमें मसाले डालकर नमकीन बनाकर दे सकती हैं।

बनना होगा रोल मॉडल
बच्चों के लिए माता-पिता रोल मॉडल होते हैं। मां-बाप की आदतें बच्चे सीखते हैं। इसलिए बच्चों को केवल एक्सरसाइज की सलाह देने से कुछ नहीं होगा। बात तो तब बनेगी जब उनके सामने आप उदाहरण पेश करेंगी। घर के सभी सदस्यों के लिए रोजाना मॉर्निंग में योगा या अन्य एक्सरसाइज व रात को डिनर के बाद थोड़ी देर वॉक का रूटीन सेट कर सकती हैं। इससे बच्चे को एक्सरसाइज का महत्व समझाना व उसे इसके लिए प्रेरित करना आसान होगा। यह जरूरी नहींकि आप जो एक्सरसाइज करें, बच्चा भी वही करे। वह अपने पसंद की एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टिविटी जैसे स्विमिंग, डांसिंग इत्यादि को फॉलो कर सकता है।

आनुवांशिक वजहें भी जिम्मेदार
कई बार यह भी देखा गया है कि माता -पिता दुबले-पतले और हेल्दी हैं। उनके एक से अधिक बच्चे हैं। सभी कद-काठी के मामले में उन पर गए हैं सिर्फ एक को छोड़कर। यहां जेनेटिक कारणों की भूमिका होती है। हो सकता है कि परिवार में दादा या परदादा में कभी कोई इस समस्या से ग्रसित रहा हो। यहां बच्चे के बढ़े हुए वजन से ज्यादा उसके हेल्दी होने पर जोर देना होगा। जहां मोटापे के लिए जेनेटिक कारण जिम्मेदार होते हैं, वहां ये उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि बच्चे की कद-काठी में एकदम से परिवर्तन आ जाएगा। हां, आप उसे स्वस्थ जीवनशैली के लिए अवश्य प्रेरित कर सकती हैं।

एक्टिव रहना ज्यादा जरूरी
अक्सर यह कहा जाता है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए वजन को नियंत्रित रखना जरूरी है, पर यह बात भी उतनी ही सही है कि हमारे वजन से ज्यादा फर्क इस बात से पड़ता है कि हम कितने चुस्त-दुरुस्त हैं। बच्चा अगर एक्टिव है और स्वास्थ्य को लेकर उसे किसी प्रकार की समस्या नहीं है तो वजन को लेकर ज्यादा परेशान न हों। हां, बच्चे को स्वास्थ्य का महत्व समझाना जरूरी है। इस मामले में बातचीत करना अच्छा रहता है। बातों ही बातों में आप उससे पूछ सकती हैं कि कौन सी ऐसी हेल्दी एक्टिविटीज या फूड प्रिफरेंस हो सकते हैं, जो पूरे परिवार के लिए फायदेमंद साबित हो सकें। जाहिर है कि जब बच्चा फैमिली हेल्थ के लिए सुझाव देगा तो खुद भी उसमें रुचि लेगा। इससे आपकी समस्या भी हल हो जाएगी।

भावनात्मक संबल भी जरूरी
बाल मनोवैज्ञानिक डा. मधुश्री बनर्जी का कहना है कि वजन पर नियंत्रण व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बच्चों को सचेत करना अच्छा है, पर सिर्फ इन्ही बातों पर अटक कर रह जाना ठीक नहीं। हो सकता है कि बच्चा स्कूल की पढ़ाई में कठिनाई या साथियों के अनुचित बर्ताव जैसी कुछ ऐसी समस्याओं से जूझ रहा हो, जिनका उसे हल न समझ आ रहा हो। जिन पर वह आपसे बातचीत करना चाहता हो, पर आपका रवैया देखकर कुछ कहने की हिम्मत न जुटा पाता हो। ये परिस्थितियां बच्चे के विकास पर असर डाल सकती हैं। इसलिए आपका व्यवहार बच्चे के साथ ऐसा होना चाहिए कि वह अपनी बातें शेयर कर सके। यह तभी होगा जब आप उसके साथ फ्रेंड्ली रहेंगी और हौसला बढ़ाने में मदद करेंगी। बच्चे के मोटापे को लेकर आपकी चिंता जायज है, पर और बातों पर भी आपको बराबर से ध्यान देना चाहिए। जिन चीजों में बच्चा अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, उनके लिए प्रोत्साहित करना भी जरूरी है, जैसे पढ़ाई, एक्स्ट्रा करीक्युलर एक्टिविटी इत्यादि। इससे उसका आत्मविश्वास मजबूत होगा और वह हर चुनौती के लिए स्वयं को तैयार कर सकेगा। 


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