कोरोना महामारी से लड़ने के लिए अपना खून देंगे नक्सल मोर्चे पर तैनात जवान
बस्तर पुलिस ने प्रदेश सरकार के सामने यह पेशकश रख दी है लेकिन राज्य में फिलहाल प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का उपचार नहीं शुरू हुआ है इसलिए अभी इंतजार करना होगा।
जगदलपुर, अनिल मिश्रा। नक्सलवाद रूपी वायरस को हराने के लिए अपना खून बहाने वाले अर्धसैन्य बलों के जवान अब कोरोना वायरस को हराने के लिए भी अपना खून (प्लाज्मा) देंगे। बस्तर पुलिस ने प्रदेश सरकार के सामने यह पेशकश रख दी है, लेकिन राज्य में फिलहाल प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का उपचार नहीं शुरू हुआ है, इसलिए अभी इंतजार करना होगा। राज्य में राजधानी स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को प्लाज्मा थेरेपी से उपचार की अनुमति मिली हुई है पर अभी वहां भी यह व्यवस्था शुरू नहीं हुई है।
राज्य सरकार ने अपने अस्पतालों में प्लाज्मा थेरेपी से उपचार की अनुमति भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से मांगी है और हरी झंडी मिलने का इंतजार किया जा रहा है। ज्ञात हो कि बस्तर में सीआरपीएफ, एसटीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी समेत विभिन्न अर्धसैन्य बलों के 50 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। अधिकतर जवान दूसरे राज्यों से हैं। कोरोना काल में जो भी जवान छुट्टी से लौट रहे हैं सभी की जांच कराई जा रही है। अब तक चार सौ से ज्यादा जवान कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं।
कोरोना से बचाव के लिए विभिन्न बलों ने बटालियन स्तर पर क्वारंटाइन सेंटर बना रखे हैं। बाहर से आने वाले जवानों को 14 दिन क्वारंटाइन सेंटर में रखकर उनकी निगरानी की जा रही है। जवानों का खानपान और रोज शारीरिक श्रम करने की उनकी क्षमता की वजह से उनकी प्रतिरोधक क्षमता सामान्य लोगों से काफी ज्यादा है। कोरोना पॉजिटिव जवानों के स्वस्थ होने की दर काफी ज्यादा है। फोर्स में लगातार कोरोना के केस निकल रहे हैं और लगातार जवान स्वस्थ भी हो रहे हैं। ऐसे में जवानों के खून से प्लाज्मा बैंक बन सकता है।
जनता के स्वास्थ्य की चिंता
बस्तर में तैनात अर्धसैन्य बल हमेशा जनता के स्वास्थ्य की चिंता करते हैं। सीआरपीएफ सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करती है। अंदरूनी इलाकों में जहां स्वास्थ्य विभाग की पहुंच नहीं है वहां जवान ही दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। मरीजों को खाट पर पैदल निकालने, गश्त के दौरान बाइक पर जवानों को लाने जैसे काम जवान कर रहे हैं। बीमारों को रक्तदान करने में जवान हमेशा आगे रहते हैं।
क्या है प्लाज्मा थेरेपी
प्लाज्मा रक्त का महत्वपूर्ण घटक है। लाल रक्त कणिका, श्वेत रक्त कणिका, प्लेटलेट्स का संवहन प्लाज्मा के जरिए ही होता है। यह द्रव्य है जो रक्त का 55 फीसद हिस्सा निर्मित करता है। प्लाज्मा में पानी, लवण, एंजाइम आदि होते हैं। एंटीबॉडी का विकास भी प्लाज्मा में होता है। यही एंटीबॉडी किसी वायरस के खिलाफ हथियार बनती है। किसी वायरस को हराकर ठीक हुए व्यक्ति के प्लाज्मा में उस वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी होती है। ऐसे व्यक्ति का रक्त अगर उसी बीमारी से पीड़ित दूसरे व्यक्ति को दिया जाता है तो उसके रक्त में भी एंटीबॉडी का विकास हो जाता है। इससे बीमार ठीक हो जाते हैं।
आइजी बस्तर सुंदरराज पी ने कहा कि जवानों में कोरोना संक्रमण ज्यादा असर नहीं कर रहा है। उनकी प्रतिरोधक क्षमता काफी ज्यादा है। यहां जवान तेजी से ठीक हो रहे हैं। हमने सरकार को प्रस्ताव दिया है कि अगर प्लाज्मा की जरूरत हो, तो जवान देंगे। छत्तीसगढ़ में फिलहाल प्लाज्मा थेरेपी शुरू नहीं हुई है। जरूरत होगी तो जवान प्लाज्मा देंगे।