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हवाई सफर करने वालों को अब नहीं होगी बोर्डिंग पास की टेंशन, चेहरा करेगा ये काम

बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (बीआइएएल) पर अब आपका चेहरा ही आपका बोर्डिंग पास होगा। बीआइएएल 2019 तक पेपरलेस बॉयोमीट्रिक सेल्फ बोर्डिंग टेक्नोलॉजी की शुरुआत करने जा रही है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 11:43 AM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 10:18 PM (IST)
हवाई सफर करने वालों को अब नहीं होगी बोर्डिंग पास की टेंशन, चेहरा करेगा ये काम
हवाई सफर करने वालों को अब नहीं होगी बोर्डिंग पास की टेंशन, चेहरा करेगा ये काम

नई दिल्‍ली (जागरण स्‍पेशल)। हवाई यात्रा के दौरान बोर्डिंग पास लेने के लिए जल्द ही लंबी लाइनों से छुटकारा मिल जाएगा। बेंगलुरु एयरपोर्ट ने यात्रियों की इस सहूलियत की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (बीआइएएल) पर अब आपका चेहरा ही आपका बोर्डिंग पास होगा। बीआइएएल 2019 तक पेपरलेस बॉयोमीट्रिक सेल्फ बोर्डिंग टेक्नोलॉजी की शुरुआत करने जा रही है। इस तकनीक से यात्रियों का चेहरा देखकर एयरपोर्ट पर एंट्री मिल सकेगी। इस सुविधा को शुरू करने वाला बेंगलुरू एयरपोर्ट देश का पहला एयरपोर्ट होगा।

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चेहरे से होगी पहचान
फेस रिकॉग्नाइजेशन तकनीक बॉयोमीट्रिक सॉफ्टवेयर पर काम करेगी। इसमें चेहरे के बॉयोमीट्रिक डिटेल के जरिए यात्रियों की पहचान होगी और वे एयरपोर्ट पर आराम से जा सकेंगे। इसके लिए उन्हें बार-बार बोर्डिंग पास, पासपोर्ट या अन्य पहचान प्रमाण पत्र नहीं दिखाने पड़ेंगे।

बीआईएएल का ट्वीट
बीआईएएल ने अपने एक ट्वीट में कहा, 'अब आपका चेहरा ही आपका बोर्डिंग पास होगा। बेंगलुरु को भारत का पहला पेपरलेस एयरपोर्ट बनाने के लिए बीआईएएल ने बोर्डिंग टेक्नॉलजी के लिए विजन-बॉक्स से अग्रीमेंट साइन किया है। इस समझौते पर हस्ताक्षर पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा की उपस्थिति में किए गए।' बीआईएएल के एमडी और सीईओ हरि मरार ने कहा कि इस सुविधा से यात्री बिना लाइन में लगे हवाई यात्रा कर सकेंगे। वहीं बीआईएएल की ओर से जारी एक स्टेटमेंट में कहा गया है कि बोर्डिंग के लिए रजिस्ट्रेशन को पेपरलेस बनाकर हवाई यात्रा को आसान करने के लिए यह सुविधा शुरू की गई है। बायोमेट्रिक टेक्नॉलजी से पैसेंजर्स के चेहरे से उनकी पहचान होगी और वे एयरपोर्ट पर जा सकेंगे। इसके लिए उन्हें बार-बार बोर्डिंग पास, पासपोर्ट या अन्य आइडेंटिटी डॉक्युमेंट्स नहीं दिखाने पड़ेंगे।

देश का पहला पेपरलेस एयरपोर्ट
बीआइएएल ने पेपरलेस बॉयोमीट्रिक सेल्फ बोर्डिंग टेक्नोलॉजी लांच करने के लिए लिस्बन की विजन-बॉक्स कंपनी के साथ एक करार करने जा रही है। ये तकनीक 2019 के शुरुआती महीनों में शुरू हो सकती है। बेंगलुरु  एयरपोर्ट पर इसका फायदा सबसे पहले जेट एयरवेज, एयर एशिया और स्पाइसजेट के यात्रियों को मिलेगा।

रेलवे पहले ही हो चुका है पेपरलेस
भारतीय रेलवे पहला सरकारी उपक्रम बना जिसने अपना कामकाज पेपरलेस किया। अक्टूबर 2011 में आइआरसीटीसी (भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम) ने सुविधा देते हुए कहा कि यात्रियों को अपने साथ काउंटर टिकट रखना जरूरी नहीं होगा। लोग मोबाइल पर एसएमएस या ई-टिकट के जरिए यात्रा कर सकते हैं।

एशिया में चीन बना पहला देश
एशियाई देशों में एयरपोर्ट पर फेस रिकॉग्नाइजेशन तकनीक इस्तेमाल करने वाला पहला देश चीन है। वहीं जर्मनी इस तकनीक का इस्तेमाल ट्रेन स्टेशन पर आतंकियों की पहचान के लिए कर रहा है।

कई देशों में है ये तकनीक
अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, जापान, चीन, जर्मनी, रूस, आयरलैंड, स्कॉटलैंड, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, न्यूजीलैंड, फिनलैंड, हांगकांग, नीदरलैंड, सिंगापुर, रोमानिया, कतर, पनामा

अब एयरपोर्ट पर मिलेगा सस्ता नाश्ता
अब एयरपोर्ट पर यात्रियों को सस्ती चाय और नाश्ता मिलेगा। इसके लिए अलग से काउंटर खोले जाएंगे। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) के मुताबिक, यह सुविधा सरकार द्वारा संचालित एयरपोर्ट पर ही मिलेगी। इन हवाई अड्डों पर सस्ती दरों पर पेय पदार्थ और पानी के स्टॉल शुरू भी हो चुके हैं। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब एएआइ को यात्रियों से एयरपोर्ट पर खाने-पीने के सामान पर ज्यादा वसूली की शिकायतें मिल रही हैं।

मार्च में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने चेन्नई एयरपोर्ट पर चाय की ज्यादा कीमत वसूलने को लेकर ट्वीट भी किया था। भारत में पिछले तीन-चार सालों से हवाई यात्रियों की संख्या में प्रति वर्ष 20-25 फीसद की बढ़ोतरी हो रही है। नागरिक उड्डयन मंत्रलय के आंकड़ों केमुताबिक, इस साल जुलाई में 1 करोड़ 16 लाख यात्रियों ने घरेलू उड़ानों से यात्र की। जुलाई 2017 की तुलना में यह 21 प्रतिशत ज्यादा है। एएआइ ने बताया कि यह सुविधा देश के90 सरकारी एयरपोर्ट पर मिलेगी। दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु समेत ऐसे किसी एयरपोर्ट पर यह सुविधा नहीं मिलेगी, जिसका संचालन निजी हाथों में है।

जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण
जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का रास्ता शनिवार को साफ हो गया है। प्रथम चरण में निर्माण के लिए छह गांवों की 1334 हेक्टेयर भूमि की जरूरत है। जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू करने से पहले 70 फीसद भूमि के लिए किसानों की सहमति जरूरी थी। इस आंकड़े को प्रशासन ने पार कर लिया है। इसके साथ ही जेवर में एयरपोर्ट के निर्माण से संबंधित एक बड़ी अड़चन दूर हो गई है। शनिवार को 228 किसानों ने करीब 80 हेक्टेयर जमीन के लिए सहमति दी है। किसानों ने पहले जमीन के मुआवजे को कम बताकर सहमति देने से इन्कार कर दिया था।

जिला प्रशासन और प्राधिकरण ने किसानों को 2300 रुपये प्रति वर्गमीटर का मुआवजा देने का प्रस्ताव रखा था, जबकि किसान जमीन के सर्किल रेट से चार गुना अधिक मुआवजा मांग रहे थे। बाद में जेवर के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह के आग्रह पर किसान जमीन देने को तैयार हो गए। जिला प्रशासन को अब तक करीब 2600 किसान एक हजार हेक्टेयर भूमि के लिए अपनी सहमति दे चुके हैं। सोमवार को प्राधिकरण व प्रशासन के आला अफसरों की एक महत्वपूर्ण बैठक होगी। जमीन अधिग्रहण का रास्ता साफ होने के बाद प्राधिकरण और प्रशासन अगला कदम उठाएंगे। संभावना है कि अक्टूबर में नवरात्रों के दौरान जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास होगा।


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