मध्यप्रदेश में नही होंगे पंचायत चुनाव, राज्य निर्वाचन आयोग ने लिया फैसला
मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने फैसला लिया है कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव नही होंगे। मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव बी.एस. जामोद ने कहा कि आयोग ने ये फैसला किया है कि 4 दिसंबर से जो पंचायत चुनाव घोषित हुए थे वो प्रक्रिया निरस्त की जाए।
भोपाल, एजेंसी। मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने फैसला लिया है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव नही होंगे। 4 दिसंबर को जारी हुई अधिसूचना को निरस्त कर दिया गया है। मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव बी.एस. जामोद ने कहा कि आयोग ने ये फैसला किया है कि 4 दिसंबर से जो पंचायत चुनाव घोषित हुए थे वो प्रक्रिया निरस्त की जाए। जिन अभ्यर्थियों ने अपने नामांकन पेपर के साथ निक्षेप राशि जमा की है वो सभी अपनी निक्षेप राशि वापस प्राप्त करने के हकदार हैं।
ज्ञात हो कि रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश को वापस लेने का निर्णय लिया था। इसे राज्यपाल मंगुभाई पटेल की अनुमति मिलने के बाद विधि एवं विधायी विभाग ने देर रात तत्काल प्रभाव से वापस लेने की अधिसूचना जारी कर दी। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के बिना नहीं कराए जाएंगे। कैबिनेट द्वारा अध्यादेश वापस लेने के बाद अब 2019 की स्थिति लागू हो जाएगी यानी जो मौजूदा चुनाव प्रक्रिया है वो विधि मान्य नहीं होगी। इसके मद्देनजर राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव स्थगित करना पड़ा।
सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक करनी होगी प्रक्रिया
अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण के संबंध में दिए गए आदेश के मुताबिक सरकार को प्रक्रिया करनी होगी। इसके लिए पहले पिछड़ा वर्ग की गणना होगी और उसके आधार पर आरक्षण का निर्धारण होगा। यह आरक्षण अनुसूचित जाति-जनजाति के आरक्षण को मिलाकर 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक नहीं हो सकता है। राज्य सरकार के प्रवक्ता गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण को रुकवाने का काम किया है। अब पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को नए सिरे से चुनाव कराने की तैयारी करनी होगी। इसमें ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश की रोशनी में काम करना होगा। नए सिरे से परिसीमन कराकर रोटेशन के आधार पर आरक्षण प्रक्रिया करनी होगी। इसमें दो-तीन माह का समय लग सकता है।