Move to Jagran APP

पाकिस्तानी भी कोसते हैं, विभाजन के खलनायक जिन्ना को

उनके अनुसार, अविभाजित भारत में मुसलमान एक बड़ी ताकत होते, लेकिन जिन्ना की जिद के चलते भारत बंटा और मुसलमान पहले दो हिस्सों में बंटे और फिर बांग्लादेश बनने के बाद तीन हिस्सों में।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sun, 06 May 2018 04:36 PM (IST)Updated: Sun, 06 May 2018 07:14 PM (IST)
पाकिस्तानी भी कोसते हैं, विभाजन के खलनायक जिन्ना को
पाकिस्तानी भी कोसते हैं, विभाजन के खलनायक जिन्ना को

नई दिल्ली, जेएनएनः जब भारत में कुछ लोग एएमयू छात्रसंघ के भवन में जिन्ना की फोटो लगाए रखने की जिद कर रहे हैं तब यह जानना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान में कई विचारक और बुद्धिजीवी ऐसे हैं जो यह मानते हैं कि जिन्ना ने उनका बेड़ा गर्क किया। वे जिन्ना को न केवल विभाजन का जिम्मेदार बताते हैं, बल्कि यह भी कहते हैं कि जिन्ना ने सबसे ज्यादा नुकसान मुसलमानों का किया। उनके अनुसार, अविभाजित भारत में मुसलमान एक बड़ी ताकत होते, लेकिन जिन्ना की जिद के चलते भारत बंटा और मुसलमान पहले दो हिस्सों में बंटे और फिर बांग्लादेश बनने के बाद तीन हिस्सों में।

loksabha election banner

पाकिस्तान के जाने-माने विचारक परवेद हूदभाई ने पिछले साल अक्टूबर में कराची में “70 साल बाद पाकिस्तान” विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा था, इस सवाल का जवाब आज तक नहीं मिला कि जिन्ना और उनके साथियों ने क्या सोचकर पाकिस्तान बनाया था? परवेज हुदभाई के अनुसार, भले ही पाकिस्तान बनने के ठीक पहले 11 अगस्त 1947 को जिन्ना ने यहा कहा हो कि रियासत की नजर में सभी बाशिंदे एक बराबर होंगे और उनमें कोई फर्क नहीं किया जाएगा, लेकिन जनवरी 1948 में कराची बार एसोसिएशन में उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान में इस्लामिक कानून वैसे ही लागू होंगे जैसे 1300 साल पहले थे और इसमें हमें संदेह नहीं होना चाहिए।

देश-विदेश में व्याख्यान देने वाले फिजिक्स के प्रोफेसर परवेद हुदभाई ने अपने व्याख्यान में इसका भी जिक्र किया था कि बंटवारे के बाद जब एक विदेशी पत्रकार ने जिन्ना से पूछा था कि क्या पाकिस्तान एक सेक्युलर देश बनेगा तो उनका जवाब था कि वह नहीं जानते कि सेक्युलरिज्म क्या है? इस पर जब पत्रकार ने पूछा कि इस नए देश में लोगों से मजहब के आधार पर भेदभाव तो नहीं होगा तो उनका जवाब था इस्लाम सेक्युलर है। परवेज हुदभाई की राय में जिन्ना चाहते क्या थे, इस सवाल का जवाब देना मुश्किल है। उनके मुताबिक जिन्ना पाकिस्तान को कोई सही राह इसलिए नहीं दिखा सके, क्योंकि उन्हें पता था कि जैसे ही मैं यह कहूंगा कि पाकिस्तान ऐसा बनेगा-वैसा बनेगा वैसे ही उनके पीछे खड़े लोगों में से कुछ इधर चले जाएंगे और कुछ उधर। उनके मुताबिक जिन्ना पैदा तो शिया हुए थे, लेकिन बहुत जल्द उन्हें होश आया और वह सुन्नी बन गए।

परवेज हुदभाई के अनुसार, जिस वक्त पाकिस्तान बना तब उसके बनने की कोई ठोस वजह नहीं थी। सिवाय इसके कि जिन्ना और उनके साथियों ने कहा, “हम हिंदुओं के साथ नहीं रह सकते, चलो एक नया मुल्क बनाएं। यह मुल्क जिस दो कौमी नजरिये पर बना उसकी 1971 में मौत हो गई। अगर दो कौमी नजरिया दुरुस्त होता तो बलूचिस्तान के लोग अलग होने की मांग नहीं कर रहे होते।“

पाकिस्तान में केवल परवेज हुदभाई ही ऐसे नहीं हैं जो जिन्ना को एक खलनायक के तौर पर देखते हैं। उनके जैसे कई बुद्धजीवी हैं जो यह कहते हैं कि अगर जिन्ना 11 अगस्त की तकरीर को लेकर तनिक भी ईमानदार होते तो पाकिस्तान बनाते ही नहीं। ध्यान रहे कि आडवाणी और जसवंत सिंह ने जिन्ना की इसी तकरीर के आधार पर ही उनकी तारीफ की थी।

फोटो के बचाव में खोखले तर्क

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन में लगी मोहम्मद अली जिन्ना की फोटो के समर्थन में छात्रसंघ के पदाधिकारी और इस विवि के कुछ शिक्षक एवं अन्य इस फोटो को लगाए रखने के लिए तरह-तरह के कुतर्कों का सहारा लेने को मजबूर हैं। एक कुतर्क यह है कि जिन्ना की तारीफ तो आडवाणी और जसंवत सिंह ने भी की थी। क्या अन्य अनेक मामलों में एएमयू छात्रसंघ इन दोनों नेताओं के विचारों को भी मानता है? दूसरा कुतर्क यह है कि वह इतिहास को संजोए हुए हैं। इतिहास मुंबई में बने जिन्ना हाऊस के रूप में सुरक्षित हो सकता है, लेकिन किसी इमारत में जिन्ना की फोटो लगाकर नहीं।

एक अन्य कुतर्क यह है कि जिन्ना 1940 के पहले तक सेक्युलर थे और आजादी की लड़ाई में हिस्सेदार थे, लेकिन क्या किसी व्यक्ति का मूल्यांकन इस आधार पर होता है कि उसने बचपन, जवानी या बुढ़ापे में क्या-क्या किया? क्या किसी भ्रष्ट आइएएस अफसर का मूल्यांकन इस आधार पर हो सकता है कि उसने सिविल सेवा की परीक्षा में पहला या दूसरा स्थान हासिल किया था? किसी का भी मूल्यांकन इसी आधार पर होता है कि लोग उसे किस नजर से देखते हैं? इसीलिए सम्राट अशोक का मूल्यांकन इस आधार पर नहीं होता कि कलिंग युद्ध में उसकी सेना के हाथों लाखों लोग मारे गए थे, बल्कि इस आधार पर होता है कि इस युद्ध के बाद उसने खुद को एक दयालु शासक के रूप में ढाला। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.